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77th Independence Day : जश्न ए आजादी के कई राज सहेज रखा है लखनऊ मांटेसरी स्कूल, पढ़िए खास रिपोर्ट - Contribution of Lucknow in Freedom Struggle

देश की आजादी में राजधानी लखनऊ को विशेष योगदान है. 1857 की क्रांति से लेकर देश के स्वतंत्रत होने के तक यहां के तमाम क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व न्यौछार कर दिया. आजादी की लड़ाई में यहां वीरांगनाएं भी पीछे नहीं रहीं. लखनऊ मांटेसरी स्कूल की संस्थापक वीरांगना दुर्गा भाभी के क्रांतिकारी अतीत के चिह्न आज भी स्कूल में संरक्षित हैं.

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Published : Aug 15, 2023, 6:59 AM IST

Updated : Aug 15, 2023, 3:24 PM IST

जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल. देखें खबर

लखनऊ : देश की आजादी में लखनऊ का अलग ही महत्व है. लखनऊ में 1857 की गदर से लेकर जंगे आजादी के कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं. कई ऐसी विरासतें अब भी वजूद में हैं जो जंगे आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों की यादें आज भी संजोए हुए हैं. लखनऊ मांटेसरी स्कूल भी इसी का एक जीता जागता उदाहरण है. यह स्कूल महान क्रांतिकारी और जंगे आजादी की वीरांगना दुर्गा भाभी ने वर्ष 1940 में स्थापित किया था. रेलवे लाइन के किनारे बने इस इंटर कॉलेज में आज भी उनसे और जंगे आजादी से जुड़ी हुई कई महत्वपूर्ण जानकारियां सहेज कर रखी हुई हैं.

जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
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इलाहाबाद में जिला अध्यक्ष रहे बांके बिहारी लाल भट्ट की बेटी दुर्गा देवी शादी होकर भगवती चरण वोहरा के घर आई. कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि वह एक क्रांतिकारी की दुल्हन बनी हैं और हिंदुस्तान की आजादी में उन्हें एक अहम रोल अदा करना है. वह लाहौर में हिंदी की शिक्षिका थीं. बच्चों को पढ़ाना उनका शौक था और हिंदुस्तान को गुलामी से आजाद कराना उनका धर्म था. उन्होंने अपने पति से बम बनाना सीखा, पिस्तौल चलाने में वह पारंगत हुईं. अंग्रेजी अफसरों पर गोली चलाने में भी उनके हाथ नहीं कांपते थे. अल्फ्रेड पार्क में बैठे शख्स के साथ हुई चंद्रशेखर आजाद की आखिरी मुठभेड़ में जो पिस्टल उनके हाथ में थी वह दुर्गा भाभी नहीं उन्हें पहुंचाई थी.

जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
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जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
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शिक्षिका वत्सला राजीव के अनुसार दुर्गा भाभी के क्रांतिकारी पति भगवती चरण वोहरा की सरदार भगत सिंह और सुखदेव के बीच भाइयों जैसे संबंध थे. सुखदेव और भगत सिंह की वजह से क्रांतिकारी के बीच हुआ दुर्गा भाभी के नाम से जानी जाती थी. भगत सिंह सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद की मदद से वह लाहौर से कोलकाता कानपुर और लखनऊ के चक्कर लगाती थीं. भगत सिंह और सुखदेव ने असेंबली पर बम फेंक कर जब खुद को गिरफ्तार करवाया था. तब चंद्रशेखर आजाद काकोरी ट्रेन एक्शन में नामजद होने की वजह से अंडरग्राउंड थे. उन्होंने भगत सिंह और सुखदेव को फांसी से बचने के लिए गांधी जी से मदद मांगने के लिए दुर्गा भाभी को दिल्ली भेजा. हालांकि गांधी जी ने भगत सिंह के तरीके पर असहमति जताते हुए पैरवी से इंकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी परिसर में सोमवार का ASI सर्वे पूरा, 3D मैपिंग का काम खत्म, कल नहीं होगा सर्वे

जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल. देखें खबर

लखनऊ : देश की आजादी में लखनऊ का अलग ही महत्व है. लखनऊ में 1857 की गदर से लेकर जंगे आजादी के कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं. कई ऐसी विरासतें अब भी वजूद में हैं जो जंगे आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों की यादें आज भी संजोए हुए हैं. लखनऊ मांटेसरी स्कूल भी इसी का एक जीता जागता उदाहरण है. यह स्कूल महान क्रांतिकारी और जंगे आजादी की वीरांगना दुर्गा भाभी ने वर्ष 1940 में स्थापित किया था. रेलवे लाइन के किनारे बने इस इंटर कॉलेज में आज भी उनसे और जंगे आजादी से जुड़ी हुई कई महत्वपूर्ण जानकारियां सहेज कर रखी हुई हैं.

जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.
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जश्न ए आजादी के कई राज सहेज है लखनऊ मांटेसरी स्कूल.

इलाहाबाद में जिला अध्यक्ष रहे बांके बिहारी लाल भट्ट की बेटी दुर्गा देवी शादी होकर भगवती चरण वोहरा के घर आई. कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि वह एक क्रांतिकारी की दुल्हन बनी हैं और हिंदुस्तान की आजादी में उन्हें एक अहम रोल अदा करना है. वह लाहौर में हिंदी की शिक्षिका थीं. बच्चों को पढ़ाना उनका शौक था और हिंदुस्तान को गुलामी से आजाद कराना उनका धर्म था. उन्होंने अपने पति से बम बनाना सीखा, पिस्तौल चलाने में वह पारंगत हुईं. अंग्रेजी अफसरों पर गोली चलाने में भी उनके हाथ नहीं कांपते थे. अल्फ्रेड पार्क में बैठे शख्स के साथ हुई चंद्रशेखर आजाद की आखिरी मुठभेड़ में जो पिस्टल उनके हाथ में थी वह दुर्गा भाभी नहीं उन्हें पहुंचाई थी.

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शिक्षिका वत्सला राजीव के अनुसार दुर्गा भाभी के क्रांतिकारी पति भगवती चरण वोहरा की सरदार भगत सिंह और सुखदेव के बीच भाइयों जैसे संबंध थे. सुखदेव और भगत सिंह की वजह से क्रांतिकारी के बीच हुआ दुर्गा भाभी के नाम से जानी जाती थी. भगत सिंह सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद की मदद से वह लाहौर से कोलकाता कानपुर और लखनऊ के चक्कर लगाती थीं. भगत सिंह और सुखदेव ने असेंबली पर बम फेंक कर जब खुद को गिरफ्तार करवाया था. तब चंद्रशेखर आजाद काकोरी ट्रेन एक्शन में नामजद होने की वजह से अंडरग्राउंड थे. उन्होंने भगत सिंह और सुखदेव को फांसी से बचने के लिए गांधी जी से मदद मांगने के लिए दुर्गा भाभी को दिल्ली भेजा. हालांकि गांधी जी ने भगत सिंह के तरीके पर असहमति जताते हुए पैरवी से इंकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी परिसर में सोमवार का ASI सर्वे पूरा, 3D मैपिंग का काम खत्म, कल नहीं होगा सर्वे

Last Updated : Aug 15, 2023, 3:24 PM IST
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