लखनऊ : ब्लैक फंगस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. राजधानी में ब्लैक फंगस से रविवार को दूसरी मौत हुई है. गोरखपुर से इलाज कराने आई 54 वर्षीय महिला एक निजी अस्पताल में भर्ती थी, जहां उसने दम तोड़ दिया. वर्तमान में ब्लैक फंगस के 13 मरीज केजीएमयू और तीन लोहिया संस्थान में भर्ती हैं. डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों की हालत में कुछ सुधार है.
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक ब्लैक फंगस के 13 मरीजों में से सात अभी तक कोरोना की जद में हैं. वहीं, छह मरीज कोरोना को मात देने के बाद ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं. कोई भी मरीज यहां इलाज के दौरान इस वायरस की चपेट में नहीं आया है. वहीं लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह के मुताबिक ब्लैक फंगस के तीनों मरीजों की हालत स्थिर है.
नए ऑक्सीजन मास्क का करें इस्तेमाल
केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के डॉ. संजीव कुमार गुप्ता के मुताबिक ब्लैक फंगस की चपेट में आने की पहली वजह संक्रमित ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल है. हर मरीज को नया मास्क प्रयोग करना चाहिए. डायबिटीज के मरीज कोरोना की चपेट में आने के बाद डॉक्टर की सलाह पर ही स्टेरॉयड लें. डायबिटीज के मरीजों में पहले से रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है. स्टेरॉयड से प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है. इससे ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है.
ब्लैक फंगस से घबराएं नहीं, इलाज कराएं
लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश ने कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर घबराएं नहीं. यह फंगस नसें ब्लॉक कर देता है, जिससे टिश्यू मरने लगते हैं. ब्लॉकेज वाले स्थान के आगे खून की सप्लाई बंद हो जाती है, जो दवा देने पर भी आगे नहीं बढ़ती. ऐसे में सर्जरी करनी पड़ती है. यह फंगस हवा में रहते हैं, जो सांस के जरिए हमारी नाक से होते हुए साइनस और फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. ब्लैक फंगस की पहचान के लिए कंट्रास्ट एमआरआई की जरूरत पड़ती है.