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प्रदेश में करीब पांच लाख से अधिक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति फंसी, जानिए वजह

यूपी में संस्थाओं की लापरवाही के चलते लाखों विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति फंसी हुई है. जिसके चलते प्रदेश के विद्यार्थी काफी परेशान हैं. समाज कल्याण विभाग का कहना है कि विश्वविद्यालयों ने स्कॉलरशिप फॉर्म को फॉरवर्ड नहीं किया है.

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Published : Mar 18, 2023, 8:42 PM IST

Updated : Mar 18, 2023, 9:07 PM IST

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लखनऊ : समाज कल्याण विभाग की ओर से विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति को लेकर प्रदेश के छात्र काफी परेशान हैं. विभाग की ओर से छात्रवृत्ति का पैसा प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों के खाते में नहीं पहुंचा है. स्कॉलरशिप के लिए जब विद्यार्थियों ने अपने संबंधित विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों में संपर्क किया तो उन्हें जानकारी न होने की बात कहकर वापस भेज दिया जा रहा है, जबकि इस पूरे मामले पर समाज कल्याण विभाग का कहना है कि जिन विश्वविद्यालयों ने स्कॉलरशिप फॉर्म को फॉरवर्ड नहीं किया है, उन विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप फंस गई है. विद्यार्थी स्कॉलरशिप के लिए सोशल मीडिया से लेकर समाज कल्याण विभाग के दफ्तर तक आवाज उठा रहे, लेकिन उनके मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि 'विश्वविद्यालयों की गलती विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही है, वहीं प्रदेश में ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा किए गए दशमोत्तर छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति के 2,73,489 आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं, जिन्हें विश्वविद्यालयों (एफिलियेटिंग एजेंसी) द्वारा निर्धारित समय 31 जनवरी तक पोर्टल पर लॉक नहीं किया गया था. इस कारण योजना से तमाम डिग्री काॅलेज की छात्र-छात्राएं समय से आवेदन करने पर भी वंचित रह गए हैं, वहीं प्रदेश के एकेटीयू जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में भी अभी तक विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं मिली है.'

करीब पांच लाख आवेदन निरस्त किए गए हैं. जिनकी फिलहाल संख्या जारी नहीं की गई है. वैसे आवेदन पोर्टल पर निरस्त करने का समय 10 मार्च दिया गया था. जुलाई से दिसंबर तक निजी व सरकारी विश्वविद्यालयों के त्योहार के कारण दो दिन बढ़ा दिए गए थे. इसके बाद कुल 17,83,363 आवेदन किए गए थे. जिनका एनआईसी से वेरिफिकेशन कराने पर 8,45,721 सही पाए गए थे. जबकि 9,37,642 आवेदन संदेहास्पद मिले. पोर्टल पर वापस किए गए और समय रहते सुधार किया गया, जिसमें 6,64,153 आवेदन सही पाए गए.

वाराणसी में सबसे अधिक आवेदन हुए निरस्त : पिछड़ा वर्ग कल्याण मुख्यालय, उप निदेशक अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि 'लगभग हर जिले में हजारों की संख्या में विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप के आवेदन फॉर्म निरस्त किए गए हैं. उन्होंने बताया कि बड़े जिलों खासकर वाराणसी, कानपुर, अलीगढ़, गाजियाबाद, नोएडा, आजमगढ़ व गोरखपुर सहित सभी जिलों में हजारों की संख्या में विद्यार्थियों के आवेदन निरस्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि आवेदन निरस्त होने वालों में सबसे अधिक संख्या प्राविधिक शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों का है, जहां पर संस्थाओं द्वारा जितनी फीस ली जाती है, उसका डाटा उनके द्वारा फॉरवर्ड नहीं किया गया है. जिस कारण विद्यार्थियों के खातों में स्कॉलरशिप नहीं भेजी गई है.'

यह भी पढ़ें : पीजीआई में मनाया गया World Kidney Day, गुर्दा रोगियों की जान बचाने का लिया संकल्प

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लखनऊ : समाज कल्याण विभाग की ओर से विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति को लेकर प्रदेश के छात्र काफी परेशान हैं. विभाग की ओर से छात्रवृत्ति का पैसा प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों के खाते में नहीं पहुंचा है. स्कॉलरशिप के लिए जब विद्यार्थियों ने अपने संबंधित विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों में संपर्क किया तो उन्हें जानकारी न होने की बात कहकर वापस भेज दिया जा रहा है, जबकि इस पूरे मामले पर समाज कल्याण विभाग का कहना है कि जिन विश्वविद्यालयों ने स्कॉलरशिप फॉर्म को फॉरवर्ड नहीं किया है, उन विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप फंस गई है. विद्यार्थी स्कॉलरशिप के लिए सोशल मीडिया से लेकर समाज कल्याण विभाग के दफ्तर तक आवाज उठा रहे, लेकिन उनके मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि 'विश्वविद्यालयों की गलती विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही है, वहीं प्रदेश में ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा किए गए दशमोत्तर छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति के 2,73,489 आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं, जिन्हें विश्वविद्यालयों (एफिलियेटिंग एजेंसी) द्वारा निर्धारित समय 31 जनवरी तक पोर्टल पर लॉक नहीं किया गया था. इस कारण योजना से तमाम डिग्री काॅलेज की छात्र-छात्राएं समय से आवेदन करने पर भी वंचित रह गए हैं, वहीं प्रदेश के एकेटीयू जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में भी अभी तक विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं मिली है.'

करीब पांच लाख आवेदन निरस्त किए गए हैं. जिनकी फिलहाल संख्या जारी नहीं की गई है. वैसे आवेदन पोर्टल पर निरस्त करने का समय 10 मार्च दिया गया था. जुलाई से दिसंबर तक निजी व सरकारी विश्वविद्यालयों के त्योहार के कारण दो दिन बढ़ा दिए गए थे. इसके बाद कुल 17,83,363 आवेदन किए गए थे. जिनका एनआईसी से वेरिफिकेशन कराने पर 8,45,721 सही पाए गए थे. जबकि 9,37,642 आवेदन संदेहास्पद मिले. पोर्टल पर वापस किए गए और समय रहते सुधार किया गया, जिसमें 6,64,153 आवेदन सही पाए गए.

वाराणसी में सबसे अधिक आवेदन हुए निरस्त : पिछड़ा वर्ग कल्याण मुख्यालय, उप निदेशक अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि 'लगभग हर जिले में हजारों की संख्या में विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप के आवेदन फॉर्म निरस्त किए गए हैं. उन्होंने बताया कि बड़े जिलों खासकर वाराणसी, कानपुर, अलीगढ़, गाजियाबाद, नोएडा, आजमगढ़ व गोरखपुर सहित सभी जिलों में हजारों की संख्या में विद्यार्थियों के आवेदन निरस्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि आवेदन निरस्त होने वालों में सबसे अधिक संख्या प्राविधिक शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों का है, जहां पर संस्थाओं द्वारा जितनी फीस ली जाती है, उसका डाटा उनके द्वारा फॉरवर्ड नहीं किया गया है. जिस कारण विद्यार्थियों के खातों में स्कॉलरशिप नहीं भेजी गई है.'

यह भी पढ़ें : पीजीआई में मनाया गया World Kidney Day, गुर्दा रोगियों की जान बचाने का लिया संकल्प

Last Updated : Mar 18, 2023, 9:07 PM IST
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