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लोहिया संस्थान में हुआ लाखों का गोलमाल, कमेटी करेगी मामले की जांच

लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लाखों के घोटाले के मामला सामने आया है. मरीजों के ऑनलाइन जमा किए गए पैसे संस्थान के खाते में पहुंचे ही नहीं.

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लोहिया संस्थान के खाते में घोटाला
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Published : Apr 1, 2022, 11:01 PM IST

लखनऊ: राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लाखों के गोलमाल का मामला सामने आया है. यहां मरीजों ने ऑनलाइन पैसे तो जमा किए लेकिन संस्थान के बैंक खाते तक वह रकम पहुंची ही नहीं. वहीं, शियाकत मिलने के बाद हरकत में आए संस्थान प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एक मकमेटी का गठन कर दिया है.

जानकारी के मुताबिक लोहिया संस्थान में ओपीडी, भर्ती, दवा और जांच के लिए मरीजों को शुल्क जमा करना पड़ता है. इसके लिए हॉस्पिटल इनफॉरमेशन सिस्टम व्यवस्था लागू है. इसमें मरीज और उनके तीमारदार नगद, ऑनलाइन फीस या फिर कार्ड के माध्यम से पैसे जमा कर सकते हैं. रोजाना करीब आठ लाख संस्थान की आय है जबकि हर माह करीब दो करोड़ से अधिक जमा किए जाते हैं. बताया जा रहा है कि जो नगद शुल्क जमा होता है. वह पैसा संस्थान के बैंक खाते में नियमित जमा हो रही है. ऑनलाइन फीस संस्थान के बैंक खाते तक पहुंच ही नहीं रही है.

यह भी पढ़ें- जौहर विश्वविद्यालय की मान्यता समाप्त करने की याचिका पर हाईकोर्ट का दखल से इंकार

वहीं, अकाउंट डिपार्टमेंट ने मामले की शिकायत की. इसके बाद संस्थान के अफसर जागे और बैंक के एक हफ्ते का ब्यौरा मिलान किया गया तो संस्थान और बैंक खाते में जमा रकम में भारी अंतर मिला जिसके बाद संस्थान में हड़कंप मच गया. इस संबंध में संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद का कहना है कि पैसे में गड़बड़ी पकड़ी गई है. ऐसे में तीन माह में जमा रकम की जांच कराने का फैसला किया है. इसमें सभी तरह के बिलों की जांच होगी. मामला गंभीर है. इसके लिए जांच कमेटी गठित की गई है.

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लखनऊ: राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लाखों के गोलमाल का मामला सामने आया है. यहां मरीजों ने ऑनलाइन पैसे तो जमा किए लेकिन संस्थान के बैंक खाते तक वह रकम पहुंची ही नहीं. वहीं, शियाकत मिलने के बाद हरकत में आए संस्थान प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एक मकमेटी का गठन कर दिया है.

जानकारी के मुताबिक लोहिया संस्थान में ओपीडी, भर्ती, दवा और जांच के लिए मरीजों को शुल्क जमा करना पड़ता है. इसके लिए हॉस्पिटल इनफॉरमेशन सिस्टम व्यवस्था लागू है. इसमें मरीज और उनके तीमारदार नगद, ऑनलाइन फीस या फिर कार्ड के माध्यम से पैसे जमा कर सकते हैं. रोजाना करीब आठ लाख संस्थान की आय है जबकि हर माह करीब दो करोड़ से अधिक जमा किए जाते हैं. बताया जा रहा है कि जो नगद शुल्क जमा होता है. वह पैसा संस्थान के बैंक खाते में नियमित जमा हो रही है. ऑनलाइन फीस संस्थान के बैंक खाते तक पहुंच ही नहीं रही है.

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वहीं, अकाउंट डिपार्टमेंट ने मामले की शिकायत की. इसके बाद संस्थान के अफसर जागे और बैंक के एक हफ्ते का ब्यौरा मिलान किया गया तो संस्थान और बैंक खाते में जमा रकम में भारी अंतर मिला जिसके बाद संस्थान में हड़कंप मच गया. इस संबंध में संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद का कहना है कि पैसे में गड़बड़ी पकड़ी गई है. ऐसे में तीन माह में जमा रकम की जांच कराने का फैसला किया है. इसमें सभी तरह के बिलों की जांच होगी. मामला गंभीर है. इसके लिए जांच कमेटी गठित की गई है.

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