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LU: पीएचडी कंप्यूटर साइंस की मेरिट लिस्ट में हुई हेरा-फेरी, जाने किसने और कैसे किया खेल - लखनऊ समाचार

लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में पीएचडी 2019-20 के दाखिलों में हेराफेरी की गई. यहां साक्षात्कार के दौरान समिति ने जो अंक अभ्यर्थियों को दिए गए उन्हें प्रवेश समन्वयक के स्तर पर पूरी तरह से बदल दिया गया. कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष और वर्तमान डीन साइंस फैकल्टी प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह के एक पत्र में इसका खुलासा हुआ है.

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Published : Oct 16, 2021, 6:27 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में पीएचडी 2019-20 के दाखिलों में हेराफेरी की गई है. दरअसल, यहां प्रवेश के लिए तैयार की गई मेरिट सूची में छेड़छाड़ की गई. साक्षात्कार के दौरान समिति ने जो अंक अभ्यर्थियों को दिए गए, उन्हें प्रवेश समन्वयक के स्तर पर पूरी तरह से बदल दिया गया. इसका खुलासा कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष और वर्तमान डीन साइंस फैकल्टी प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह के एक पत्र में हुआ है. खुलासे के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है. मामले की जानकारी होते ही आनन-फानन में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय की ओर से तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.इस समिति में न्यायमूर्ति केडी सिंह (सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति भगीरथ वर्मा और सेवानिवृत्त आईएएस प्रभात मित्तल शामिल है. कुलपति के निर्देश पर कुलसचिव विनोद कुमार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं.

ऐसे हुआ खुलासा
दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में सत्र 2019-20 में पीएचडी की 6 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए थे. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई. तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने सीटों की संख्या को लेकर आपत्ति उठाई और 4 सीटों पर दाखिले लिए जाने की बात कही. इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से 6 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए और दाखिले की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेश पर 5 सदस्य समिति ने दाखिले के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए. यह अंक विभाग की तरफ से प्रवेश समिति को दाखिले की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भेजे गए.

जिसके बाद विभागाध्यक्ष की तरफ से बीते जून 2021 में विश्वविद्यालय प्रशासन को एक पत्र भेजा गया था. इस पत्र में प्रवेश प्रक्रिया को देख रहे प्रवेश समन्वयक और उनकी टीम पर सवाल खड़े किए गए. आरोप लगाया गया कि जो अंक साक्षात्कार करने वाली समिति की तरफ से प्रवेश के संबंध में को भेजे गए थे, उनमें फेरबदल कर दी गई.


करा लिया प्रवेश, अब फंसा कोर्स वर्क
विभाग अध्यक्ष की आपत्ति के बावजूद प्रवेश समन्वयक के स्तर पर दाखिले की प्रक्रिया को पूरा किया गया और सभी 6 सीटों पर दाखिले भी ले लिए गए. अब इन अभ्यर्थियों का कोर्स वर्क और आगे की प्रक्रिया फंसी हुई है. विभागाध्यक्ष की ओर से पहले ही इन दावों पर सवाल खड़े कए जा चुके हैं. उधर, विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक इस मामले में चुप्पी साधे बैठा हुआ था. विवाद बढ़ने के बाद आनन-फानन में बीते सप्ताह 3 सदस्य समिति का गठन किया गया. कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि कुलपति के आदेश पर कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में पीएचडी 2019-20 के दाखिलों में हेराफेरी की गई है. दरअसल, यहां प्रवेश के लिए तैयार की गई मेरिट सूची में छेड़छाड़ की गई. साक्षात्कार के दौरान समिति ने जो अंक अभ्यर्थियों को दिए गए, उन्हें प्रवेश समन्वयक के स्तर पर पूरी तरह से बदल दिया गया. इसका खुलासा कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष और वर्तमान डीन साइंस फैकल्टी प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह के एक पत्र में हुआ है. खुलासे के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है. मामले की जानकारी होते ही आनन-फानन में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय की ओर से तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.इस समिति में न्यायमूर्ति केडी सिंह (सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति भगीरथ वर्मा और सेवानिवृत्त आईएएस प्रभात मित्तल शामिल है. कुलपति के निर्देश पर कुलसचिव विनोद कुमार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं.

ऐसे हुआ खुलासा
दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में सत्र 2019-20 में पीएचडी की 6 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए थे. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई. तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह ने सीटों की संख्या को लेकर आपत्ति उठाई और 4 सीटों पर दाखिले लिए जाने की बात कही. इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से 6 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए और दाखिले की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेश पर 5 सदस्य समिति ने दाखिले के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए. यह अंक विभाग की तरफ से प्रवेश समिति को दाखिले की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भेजे गए.

जिसके बाद विभागाध्यक्ष की तरफ से बीते जून 2021 में विश्वविद्यालय प्रशासन को एक पत्र भेजा गया था. इस पत्र में प्रवेश प्रक्रिया को देख रहे प्रवेश समन्वयक और उनकी टीम पर सवाल खड़े किए गए. आरोप लगाया गया कि जो अंक साक्षात्कार करने वाली समिति की तरफ से प्रवेश के संबंध में को भेजे गए थे, उनमें फेरबदल कर दी गई.


करा लिया प्रवेश, अब फंसा कोर्स वर्क
विभाग अध्यक्ष की आपत्ति के बावजूद प्रवेश समन्वयक के स्तर पर दाखिले की प्रक्रिया को पूरा किया गया और सभी 6 सीटों पर दाखिले भी ले लिए गए. अब इन अभ्यर्थियों का कोर्स वर्क और आगे की प्रक्रिया फंसी हुई है. विभागाध्यक्ष की ओर से पहले ही इन दावों पर सवाल खड़े कए जा चुके हैं. उधर, विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक इस मामले में चुप्पी साधे बैठा हुआ था. विवाद बढ़ने के बाद आनन-फानन में बीते सप्ताह 3 सदस्य समिति का गठन किया गया. कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि कुलपति के आदेश पर कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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