लखनऊ : समाज सुधारक के रूप में सावित्री बाई फूले का नाम अविस्मरणीय रहेगा. यह सावित्री बाई फूले के दृढ़ संकल्प का परिणाम रहा कि शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार करने की एक बार ठान ली तो उसे पूरा करके ही दिखाया. उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय (Uttar Pradesh Congress Headquarters) में सावित्री बाई फूले की जयंती मनाई गई. इस मौके पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर संविधान को बचाने का संकल्प लिया.
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (State President Ajay Kumar Lallu) ने कहा कि महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में तीन जनवरी 1831 को सतारा जिले के एक छोटे से गांव (नायेगांव) में जनमी सावित्री बाई हिन्दुस्तान के पहले बालिका विद्यालय की शिक्षिका, प्रिंसिपल रहते हुए पहले किसान स्कूल की स्थापना की.
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उन्होंने कहा कि 1840 में नौ साल की उम्र में विवाह के बंधन में बांध दिया गया. फिर भी अपने संघर्ष को जारी रखते हुए कठिन परिश्रम कर अध्ययन करती रहीं. उन्होंने सिर्फ पढ़ना ही नहीं सीखा बल्कि अनगिनत लड़कियों को शिक्षा देकर उनका भविष्य सवांरने का कार्य किया. लल्लू ने कहा कि देश के पहले बालिका स्कूल की स्थापना 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में सावित्री बाई फूले ने ही की. सावित्री फूले को प्रथम शिक्षिका होने का भी श्रेय जाता है.
इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव सत्य नारायण पटेल, राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व विधायक सतीश आजमानी, जिला कांग्रेस कमेटी लखनऊ अध्यक्ष वेद प्रकाश त्रिपाठी, शहर अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव अज्जू, दिलप्रीत सिंह डीपी, महासचिव सुबोध श्रीवास्तव, सैफ अली नकवी, पिछड़ा वर्ग विभाग (Backward Classes Department) कार्यकारी चेयरमैन मनोज यादव, तनुज पुनिया, दुर्गविजय सिंह मान, रमेश शुक्ला, फिरोज खान, रेहान अहमद, अनीस अंसारी, मीडिया संयोजक अशोक सिंह, प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय, प्रियंका गुप्ता, संजय सिंह, सचिन रावत, अजय चन्द्र चौबे सहित काफी संख्या में कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
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