लखनऊ: आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक बार फिर अयोध्या में हुए श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए जमीन की खरीद-फरोख्त का मामला एक बार फिर उठाया है. संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पछा है कि आखिर मंदिर का चंदा खाने वालों पर कार्रवाई कब होगी?
आम आदमी पार्टी कार्यालय में बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि संजय सिंह ने कहा कि प्रभु श्री राम की मंदिर के लिए लोगों ने अपना पेट काटकर चंदा दिया था, माताओं-बहनों ने अपना गहने गिरवी रखी चंदा दिया था. इस चंदे में भ्रष्टाचार और लूट वह कभी नहीं करने देंगे. संजय सिंंह ने कहा कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की आड़ में दो करोड़ की जमीन पांच मिनट के अंदर साढ़े सोलह करोड़ खरीदी गई. भ्रष्टाचार में डूबे ट्रस्ट पदाधिकारियों सहित भाजपा नेताओं का राजफाश किया तो उनके ऊपर तमाम मुकदमे किए गए थे. विश्व हिंदू परिषद भारतीय जनता पार्टी और ऐसे तमाम नेता, विधायक-मंत्री आदि कह रहे थे कि उनके ऊपर मानहानि का मुकदमा करेंगे. आज तक उन्होंने मानहानि का मुकदमा करने की हिम्मत इसलिए नहीं की, क्योंकि पूरी की पूरी भारतीय जनता पार्टी प्रभु श्री राम के मंदिर के नाम पर उस क्षेत्र में जमीन का घोटाला और भ्रष्टाचार करने में जुटी हुई है.
योगी राज में जमीन की जालसाजी
संजय सिंंह ने कहा कि राम जन्मभूमि क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में किस तरह से तमाम अधिकारियों, भारतीय जनता पार्टी के विधायकों, उनके रिश्तेदारों और भाजपा के मेयर ने जमीनें खरीदी है, जिसका पूरा खाका उनके पास है. संजय सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में नियम है कि 3.5 बीघे से अधिक जिस दलित की जमीन होगी वही बेच सकता है, अन्यथा नहीं बेच सकता. इसमें पहले एक रोघई नाम के व्यक्ति को तैयार किया गया, क्योंकि दलित ही दलित की जमीन को खरीद सकता है, यह ट्रस्ट के लोग जानते थे. एक-दो बीघे की जमीन रखने वाले उस क्षेत्र के दलितों से रोघई ने 21 बीघा जमीन खरीदी. फिर वह 21 बीघा जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को दान कर देता है. जब वह जमीन दान में चली गई और इस बात का पता उसमें शामिल एक एक जमीन बेचने वाले दलित महादेव को पता चली, तो उसने शिकायत की. उसने कहा कि हमारी जमीनों को गलत ढंग से खरीद कर, गलत ढंग से बेचा जा रहा है, जो कि ट्रस्ट नहीं कर सकता.
अधिकारियों ने ट्रस्ट बनाकर खरीदी जमीन
संजय सिंंह ने कहा कि जब इस बात का खुलासा हुआ तो अधिकारियों ने जांच बैठा दी. हद तो यह रही जो अधिकारी इस मामले की जांच बैठाते हैं वही अधिकारी ट्रस्ट से फिर जमीने खरीदते हैं. यह सीधा-सीधा भाजपा नेताओं और अफसरों द्वारा मिलीभगत करके किया गया भ्रष्टाचार है. यह मामला बताता है कि रामजन्मभूमि क्षेत्र में योगी राज में जमीन की जालसाजी चल रही है. इसमें कोई मामूली लोग शामिल नहीं है. एमपी अग्रवाल जो अयोध्या के कमिश्नर रहे उनके ससुर ने 2530 स्क्वायर मीटर और उनके साले आनंद वर्धन ने 12060 स्क्वायर मीटर एक जमीन खरीदी. उनकी पत्नी अपने पिता के साथ बनाई गई एक कंपनी की पार्टनर भी हैं. इसके बाद डीआईजी दीपक कुमार इनकी साली महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर 2021 को 19 लाख ₹75000 में 1020 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदी.
योगी राज में जमीन की जालसाजी
संजय सिंह ने ऐसा ही दूसरा मामला सामने रखा. उन्होंने बताया कि अयोध्या के पूर्व मुख्य राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तम दास गुप्ता ने अपने साले और उनकी पत्नी अमरजीत यादव के साथ मिलकर 12 अक्टूबर 2021 को 1130 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं. बीजेपी के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ उर्फ खब्बू तिवारी जो अभी फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में सजा पाकर जेल में है. वह 18 नवंबर 2019 को एक जमीन पुरुषोत्तम दास के साले से 2593 स्क्वायर मीटर खरीदते हैं. 16 मार्च 2021 को स्वयं जिस विद्यालय के वह प्रबंधक हैं उसके लिए 47 लाख रुपये में 6320 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं. मां शारदा ट्रस्ट के नाम पर 9860 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं. 19 दिसंबर 2020 को 14860 मीटर जमीन चार करोड़ रुपये में खरीदते हैं.
योगी सरकार ने नहीं कराई जांच
संजय सिंह ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के एक और विधायक वेद प्रकाश गुप्ता हैं, उनके भतीजे तरुण मित्तल रेनू सिंह और सीमा सोनी से एक करोड़ 15 लाख की 5174 स्क्वायर मीटर जमीन 21 नवंबर 2019 को खरीदी. रिटायर्ड आईएएस उमा धर द्विवेदी 39 लाख रुपए में अयोध्या क्षेत्र में 23 अक्टूबर को 1680 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं. संजय सिंंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का मेयर ऋषिकेश उपाध्याय जिसके ऊपर पहले भी तमाम कागजों सहित मैंने आरोप लगाए थे, आज तक उसकी जांच आदित्यनाथ जी की सरकार ने नहीं की.
1480 स्क्वायर मीटर जमीन 18 सितंबर 2019 को हरीश कुमार से 3000000 रुपये में उन्होंने खरीदी. इसी तरह से इसके बाद स्टेट इनफॉरमेशन कमिश्नर हर्षवर्धन शाही की पत्नी संगीता शाही और उनके पुत्र सहर्ष शाही 18 नवंबर 2021 को इंद्र प्रकाश सिंह से 1500000 रुपये में जमीन खरीदते हैं. बलराम मौर्या जो एस्टेट ओबीसी कमिशन के मेंबर हैं, वह 5000000 रुपये की जमीन जगदंबा सिंह से खरीदते हैं.लेखपाल बद्री उपाध्याय भी वहां पर जमीन खरीदते हैं. सुधांशु रंजन जो कानूनगो है, वह 270 स्क्वायर मीटर जमीन 750000 की खरीदते हैं. 28 नवंबर 2020 को एसडीएम आयुष चौधरी के चचेरे भाई 1700000 रुपये में आसाराम से 5350 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं. इनके एक फाउंडेशन द्वारा 1130 स्क्वायर मीटर जमीन 700000 में खरीदी जाती है और उनके ससुर संतोष कुमार जून 2021 को 280 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं.
इसे भी पढ़ें-कांग्रेस पर बृजेश पाठक भड़के, कहा- राहुल गांधी नहीं जानते हिंदुत्व की परिभाषा
उच्च स्तरीय जांच करने की मांग
संजय सिंह ने कहा कि बार-बार इस मांग उठा रहा हूं कि पूरे जमीन खरीद मामले की जांच कराई जाए. जिस प्रकार से 5 मिनट में दो करोड़ 1 की जमीन 18.5 करोड़ रुपये में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा खरीदकर भ्रष्टाचार किया गया, उसकी जांच कराई जानी चाहिए. संजय सिंह ने आरोप लगाया कि इस क्षेत्र में दलितों की जमीन दान में लेकर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने तमाम मंत्रियों और विधायकों को जमीने बेंच दींं, वह भी तब जबकि उसकी जांच चल रही है. यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का खेल है. इसलिए इन सारे अधिकारियों के खिलाफ जांच कराकर इनको जेल में भेजना चाहिए. इन सब की जांच हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटर्ड कमेटी की निगरानी में एसआईटी बनाकर और सीबीआई के द्वारा जांच कराई जानी चाहिए. यह एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें खुद अधिकारी, विधायक और भाजपा के नेता शामिल हैं.