लखनऊ: कथक को विश्व स्तर पर बढ़ाने के उद्देश्य को लेकर बुधवार को राष्ट्रीय कथक संस्थान में संगीत संचार उत्सव का आयोजन किया गया. इसमें कथक, गायन और तबले की थाप पर छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुति दी. कथक नृत्य उत्तर भारत का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य है. इसके लिए प्रदेश में तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि कथक को विश्व स्तर पर बढ़ाया जाये. इस उद्देश्य को राष्ट्रीय कथक संस्थान, कथक की तमाम विधाओं का शिक्षण देकर पूरा कर रहा है.
संगीत संचार उत्सव में राग पूर्वी और भजन के साथ अर्धनारीश्वर पर कथक के कोमल रूप और लास्य नृत्य के साथ भगवान शिव के रौद्र रूप को तांडव द्वारा प्रस्तुत किया गया. इसके अलावा सूफी, भजन और तबले की थाप पर जुगलबंदी कर भारतीय संगीत को बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया. आयोजन में न केवल तबले की थाप और कथक के रंग दिखाई पड़े, बल्कि साथ ही यहां पर गायन के साथ तबला, हारमोनियम, सिंथेसाइजर, सितार, सारंगी, साइडरिद्म के साथ पढण्त के रंग भी दिखे.
राष्ट्रीय कथक संस्थान द्वारा संगीत संचार उत्सव संगीत की 3 विधाओं गायन, वादन और नृत्य को मिलाकर किया जा रहा है. जिसमें सुर, लय, ताल, रस और छंद जैसे विभिन्न विधाओं को एक साथ समय देते हुए प्रस्तुतियां दी जा रही हैं. यहां पर राष्ट्रीय कथक संस्थान में पढ़ रहे बच्चे ही इस प्रस्तुति को दे रहे हैं. यह हमारे लिए हर्ष का विषय है कि राष्ट्रीय कथक संस्थान लगातार हमारी संस्कृति को बढ़ाने का काम कर रहा है. कथक की तमाम विधाओं को सीख कर बच्चे देश-विदेश में अपना नाम कमा रहे हैं. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य हमारे संस्थान में पढ़ रहे बच्चों के साथ उनके अभिभावकों और आम जनमानस को यह दिखाना है कि हमारी संस्कृति को विरासत में कई ऐसी चीजें मिली हैं, जो इसे अनमोल बनाती हैं और इसे संजोए रखने की जरूरत है.
-सरिता श्रीवास्तव, सचिव, राष्ट्रीय कथक संस्थान