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UP Politics : चाचा-भतीजा और 'आप' मिलकर लड़ेंगे 2022 का चुनाव - लखनऊ ताजा समाचार

समाजवादी पार्टी ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि बड़े दलों के साथ गठबंधन का अनुभव ठीक नहीं रहा. अब समाजवादी पार्टी आगामी चुनाव छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ेगी.

समाजवादी पार्टी
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Published : Jul 19, 2021, 11:06 PM IST

लखनऊ : 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पूरी तरह से सक्रिय होकर चुनावी रणनीति पर ध्यान दे रही है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के साथ सियासी गठजोड़ के सहारे सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने की रणनीति बना रहे हैं. अखिलेश यादव ने पिछले दिनों कहा कि उनका बड़े दलों के साथ गठबंधन का अनुभव ठीक नहीं रहा. ऐसे में अब इस चुनाव में वह छोटे दलों के साथ गठजोड़ करके चुनाव मैदान में उतरेंगे. ऐसे में चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (PSP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ सियासी गठजोड़ और सीटों के बंटवारे को लेकर इस समय बातचीत चल रही है.


यही नहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) के नेतृत्व में बनाये गये भागीदारी मोर्चे में गठबंधन दल के रूप में जुड़े बाबू सिंह कुशवाहा (Babu Singh Kushwaha) भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर चुके हैं. उनकी भी कोशिश है कि वह समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ें. लेकिन, ओमप्रकाश राजभर के भागीदारी मोर्चा के रूप में आगे किस प्रकार से सपा के साथ गठबंधन होना है, इसको लेकर सबकी नजरें लगी हुई हैं. सपा के साथ ओमप्रकाश राजभर भी अगर आते हैं तो स्वाभाविक रूप से समाजवादी पार्टी और मजबूत हो सकती है.

वीडियो रिपोर्ट

आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे सीमावर्ती जिलों में टिकटों की दावेदारी की बात कर रही है. इन जिलों में मुख्य रूप से गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर जिले शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी गाजियाबाद के लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदीनगर, धौलाना विधानसभा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रही है. इसी तरह नोएडा में दादरी, जेवर व नोएडा विधानसभा क्षेत्र में भी दावेदारी है. मेरठ की बात करें तो किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ सदर व मेरठ दक्षिण व हापुड़ शामिल हैं. बागपत में आम आदमी पार्टी की दावेदारी की बात करें तो छपरौली, बड़ौत, बागपत विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. वहीं मुजफ्फरनगर की बात करें तो बुढ़ाना और चरथावल विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी टिकट चाह रही है. इसी प्रकार दिल्ली से सटे बुलंदशहर जिले में भी विधानसभा क्षेत्रों की बात की जाए तो बुलंदशहर, स्याना, अनूपशहर डिबाई व शिकारपुर विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आम आदमी पार्टी टिकट की डिमांड समाजवादी पार्टी से कर सकती है.


समाजवादी पार्टी के के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया कहते हैं कि समाजवादी पार्टी छोटे दलों के साथ गठबंधन को लेकर पहले भी कह चुकी है. छोटे दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में सपा उतरेगी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सत्ता से बेदखल करने का काम करेगी. छोटे दलों में जो लोग भी सपा के साथ आएंगे, उनका स्वागत है.

राजनीतिक विश्लेषक रविकांत कहते हैं कि शिवपाल यादव के साथ आने से अखिलेश यादव को फायदा हो सकता है. शिवपाल यादव जमीन से जुड़े नेता हैं. पार्टी और संगठन के बारे में वह ज्यादा जानते हैं और इसका फायदा अखिलेश यादव को मिल सकता है. लेकिन, रविकांत का कहना है कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का अखिलेश यादव को कोई फायदा होने वाला नहीं है. उनका मानना है कि भाजपा के नाराज वोटर्स समाजवादी पार्टी को वोट कर सकते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर सपा को नुकसान ही होगा.

इसे भी पढ़ें - RSS की बैठक में हुआ सियासी मंथन, सबकुछ भूलकर 2022 में भाजपा की वापसी को जुटेगा संघ

लखनऊ : 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पूरी तरह से सक्रिय होकर चुनावी रणनीति पर ध्यान दे रही है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के साथ सियासी गठजोड़ के सहारे सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने की रणनीति बना रहे हैं. अखिलेश यादव ने पिछले दिनों कहा कि उनका बड़े दलों के साथ गठबंधन का अनुभव ठीक नहीं रहा. ऐसे में अब इस चुनाव में वह छोटे दलों के साथ गठजोड़ करके चुनाव मैदान में उतरेंगे. ऐसे में चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (PSP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ सियासी गठजोड़ और सीटों के बंटवारे को लेकर इस समय बातचीत चल रही है.


यही नहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) के नेतृत्व में बनाये गये भागीदारी मोर्चे में गठबंधन दल के रूप में जुड़े बाबू सिंह कुशवाहा (Babu Singh Kushwaha) भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर चुके हैं. उनकी भी कोशिश है कि वह समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ें. लेकिन, ओमप्रकाश राजभर के भागीदारी मोर्चा के रूप में आगे किस प्रकार से सपा के साथ गठबंधन होना है, इसको लेकर सबकी नजरें लगी हुई हैं. सपा के साथ ओमप्रकाश राजभर भी अगर आते हैं तो स्वाभाविक रूप से समाजवादी पार्टी और मजबूत हो सकती है.

वीडियो रिपोर्ट

आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे सीमावर्ती जिलों में टिकटों की दावेदारी की बात कर रही है. इन जिलों में मुख्य रूप से गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर जिले शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी गाजियाबाद के लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदीनगर, धौलाना विधानसभा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रही है. इसी तरह नोएडा में दादरी, जेवर व नोएडा विधानसभा क्षेत्र में भी दावेदारी है. मेरठ की बात करें तो किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ सदर व मेरठ दक्षिण व हापुड़ शामिल हैं. बागपत में आम आदमी पार्टी की दावेदारी की बात करें तो छपरौली, बड़ौत, बागपत विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. वहीं मुजफ्फरनगर की बात करें तो बुढ़ाना और चरथावल विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी टिकट चाह रही है. इसी प्रकार दिल्ली से सटे बुलंदशहर जिले में भी विधानसभा क्षेत्रों की बात की जाए तो बुलंदशहर, स्याना, अनूपशहर डिबाई व शिकारपुर विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आम आदमी पार्टी टिकट की डिमांड समाजवादी पार्टी से कर सकती है.


समाजवादी पार्टी के के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया कहते हैं कि समाजवादी पार्टी छोटे दलों के साथ गठबंधन को लेकर पहले भी कह चुकी है. छोटे दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में सपा उतरेगी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सत्ता से बेदखल करने का काम करेगी. छोटे दलों में जो लोग भी सपा के साथ आएंगे, उनका स्वागत है.

राजनीतिक विश्लेषक रविकांत कहते हैं कि शिवपाल यादव के साथ आने से अखिलेश यादव को फायदा हो सकता है. शिवपाल यादव जमीन से जुड़े नेता हैं. पार्टी और संगठन के बारे में वह ज्यादा जानते हैं और इसका फायदा अखिलेश यादव को मिल सकता है. लेकिन, रविकांत का कहना है कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का अखिलेश यादव को कोई फायदा होने वाला नहीं है. उनका मानना है कि भाजपा के नाराज वोटर्स समाजवादी पार्टी को वोट कर सकते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर सपा को नुकसान ही होगा.

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