लखनऊ: लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह ही स्थानीय निकाय चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी को झटके देने शुरू कर दिए हैं. पहली बार शाहजहांपुर में मेयर के चुनाव होने जा रहे हैं. बड़ी उम्मीद के साथ साइकिल दौड़ाने के लिए सपा मुखिया ने पार्टी के बेहद विश्वसनीय रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय राममूर्ति वर्मा की बहू अर्चना वर्मा को शाहजहांपुर से मेयर पद का उम्मीदवार बनाया था. लेकिन, नामांकन से पहले ही अर्चना ने सपा मुखिया की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया और भाजपा में शामिल हो गईं.
उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, मंत्री सुरेश खन्ना और जेपीएस राठौर ने भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर रविवार शाम अर्चना वर्मा को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई. इसके बाद शाम को जारी हुई मेयर पदों की सूची में शाहजहांपुर से अर्चना वर्मा को भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है. बीजेपी के इस कदम को समाजवादी पार्टी हजम नहीं कर पा रही है.
अर्चना वर्मा के भाजपा में शामिल होने के बाद से उनके आवास पर समर्थकों में जश्न का माहौल है. सभी ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई और जय श्रीराम के नारे लगाए. समर्थकों कहना है कि अब शाहजहांपुर से सपा साफ हो गई है. समाजवादी पार्टी छोड़कर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से अपना नाता जोड़ लिया. भारतीय जनता पार्टी ने सपा मेयर प्रत्याशी अर्चना वर्मा को तोड़ लिया. बीजेपी नेताओं के समक्ष उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता त्याग कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. पिछले मंगलवार को ही सपा मुखिया ने उन्हें मेयर का टिकट दिया था. समाजवादी पार्टी ने उम्मीद जताई थी कि शाहजहांपुर में पार्टी जीत हासिल करने में जरूर सफल होगी.
अब जब खेल हो गया तो समाजवादी पार्टी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. इससे पहले शाहजहांपुर जिला पंचायत अध्यक्ष के समय भी ऐसा ही हुआ था. सपा प्रत्याशी भाजपा में शामिल कराया गया था. अब फिर से वही दोहराया गया है, सपा की प्रत्याशी भाजपा में शामिल हो गई हैं. अर्चना वर्मा सपा शासनकाल में ज़िला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. पूर्व मंत्री राम मूर्ति वर्मा की बहू हैं.
ये है बड़ा सवाल: शाहजहांपुर में पत्रकार को जिंदा जलाने के आरोप पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा पर लगे थे. इस घटना को लेकर भाजपा ने खूब हल्ला मचाया था. अभी भी जब भी समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर कानून व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान लगाती है तो भाजपा नेता इस घटना का उदाहरण देते हैं. अब भाजपा के पास भला क्या जवाब है कि जिस घटना को लेकर हो हल्ला मचाते थे, उसी नेता की बहू को भाजपा में शामिल कर लिया.
जिस क्षेत्र से तीन मंत्री, उसी में नहीं मिला प्रत्याशी: शाहजहांपुर से भाजपा की सरकार में तीन मंत्री हैं. फिर भी भाजपा को यहां अपना प्रत्याशी नहीं मिल पाया. सुरेश खन्ना भाजपा के पुरोधा हैं. लगातार विधायक रहे हैं. उनका यहां जलवा है, जिद के लिए जाने जाते हैं, फिर भी पार्टी को मेयर प्रत्याशी नहीं मिला. दूसरे मंत्री हैं जेपीएस राठौर जो स्वयं को संगठन का योद्धा बताते हैं. संगठन शिल्पी के करीबी भी रहे हैं. अब मंत्री भी हैं, लेकिन प्रत्याशी बीजेपी को नहीं मिला. एक अन्य मंत्री हैं जितिन प्रसाद. जो बड़े घराने से हैं. भाजपा में रेड कॉर्पेट से आए. इनके पास बचाव का मजबूत तर्क है कि मंत्रालय में कोई सुन नहीं रहा, भला संगठन कहां से सुनेगा.
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