ETV Bharat / state

कोरोना काल में सरकार की विफलताओं को नहीं भुना पाई समाजवादी पार्टी

अप्रैल महीने में उत्तर प्रदेश भर में हुए पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में कर्मचारी कोरना से संक्रमित हुए. इसके साथ ही संक्रमण बहुत तेजी के साथ बढ़ा और इसे रोक पाने में सरकार और सिस्टम पूरी तरह से लचर साबित हुआ. ऐसे में प्रदेश सरकार की विफलता को समाजवादी पार्टी क्षेत्रों और जनपदों में सक्रियता बढ़ाकर भुना सकती थी. लेकिन समाजवादी पार्टी ने भी ट्विटर और फेसबुक पर ही राजनीति करना मुनासिब समझा.

सरकार की विफलताओं को नहीं भुना पाई समाजवादी पार्टी
सरकार की विफलताओं को नहीं भुना पाई समाजवादी पार्टी
author img

By

Published : Jun 9, 2021, 5:21 AM IST

लखनऊः पूरे देश में फैले कोरोना संक्रमण के कारण उत्तर प्रदेश में भी स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से लड़खड़ा गई थी. सरकार के साथ-साथ आला अधिकारियों की भी लापरवाही साफ देखी गई. जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ा. यही कारण है कि जब प्रदेश में संक्रमण पीक पर था तो सरकार के कुप्रबंधन के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई. इस मौके को समाजवादी पार्टी प्रदेश के जनपदों में सक्रियता बढ़ा कर लोगों की संवेदना अपने पक्ष में कर सकती थी, लेकिन समाजवादी पार्टी की सक्रियता फेसबुक और ट्विटर देखी गई.


अप्रैल महीने में प्रदेश भर में हुए पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में कर्मचारी संक्रमित हुए. इसके साथ ही बहुत तेजी के साथ बढ़े इस संक्रमण को रोक पाने में सरकार और सिस्टम पूरी तरह से फेल साबित हुआ. लेकिन मुख्य विपक्षी होने के बाद भी समाजवादी पार्टी के न तो कार्यकर्ता कहीं दिखे और न ही नेता. सपा नेताओं और उनके मुखिया सोशल मीडिया के माध्यम से जरूर सरकार की विफलताओं को गिनाते रहे.

सरकार की विफलताओं को नहीं भुना पाई समाजवादी पार्टी
पंचायत चुनाव ने दी सपा को संजीवनी
प्रदेश भर में हुए पंचायत चुनाव में जहां प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को जनता ने आपेक्षित परिणाम नहीं दिया. वहीं समाजवादी पार्टी को पंचायत के चुनाव में ठीक-ठाक जनसमर्थन मिला. बावजूद इसके समाजवादी पार्टी क्षेत्रों में सक्रियता नहीं बढ़ा पाई. यही कारण है कि प्रदेश सरकार की विफलताओं को भुनाने में समाजवादी पार्टी पूरी तरह से नाकाम साबित हुई.

पढ़ें- अयोध्या के विकास समेत 10 प्रस्तावों पर लगी योगी कैबिनेट की मुहर


क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

समाजवादी पार्टी की सक्रियता के सवाल पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह का कहना है कि जिस समय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे लोग उनसे जुड़ रहे थे. अखिलेश यादव अपने पिता की तरह क्षेत्र में सक्रियता बरकरार नहीं रख पाए. राजनैतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह का कहना है कि अखिलेश यादव की सक्रियता का आलम यह है कि जिस आजमगढ़ लोकसभा से अखिलेश यादव चुनाव जीतकर आते हैं. वहां चुनाव जीतने के बाद अभी तक एक ही बार गए हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमीनी स्तर पर काम करने को लेकर अखिलेश यादव किस कदर गंभीर हैं. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि जब अपने लोकसभा क्षेत्र में अखिलेश यादव सक्रिय नहीं है तो प्रदेश में वाह क्या सक्रिय होंगे. अखिलेश यादव अब ट्विटर वाले ही नेता बचे हैं.

पढ़ें-एम्बुलेंस ठेका मामले में होगी जांच, दोषियों को मिलेगी सजा: स्वास्थ्य मंत्री

अखिलेश ने दिए क्षेत्रों में सक्रियता के निर्देश

अब जबकि पूरे प्रदेश से संक्रमण लगातार कम हो रहा है ऐसे में 4 दिन पूर्व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रियता बरतने के निर्देश दिए हैं. अब ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों की सक्रियता का कितना फायदा आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी को मिलता है.

पढ़ें- यूपी की जेलों में अब होगा रैंडम सिक्योरिटी ऑडिट

लखनऊः पूरे देश में फैले कोरोना संक्रमण के कारण उत्तर प्रदेश में भी स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से लड़खड़ा गई थी. सरकार के साथ-साथ आला अधिकारियों की भी लापरवाही साफ देखी गई. जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ा. यही कारण है कि जब प्रदेश में संक्रमण पीक पर था तो सरकार के कुप्रबंधन के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई. इस मौके को समाजवादी पार्टी प्रदेश के जनपदों में सक्रियता बढ़ा कर लोगों की संवेदना अपने पक्ष में कर सकती थी, लेकिन समाजवादी पार्टी की सक्रियता फेसबुक और ट्विटर देखी गई.


अप्रैल महीने में प्रदेश भर में हुए पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में कर्मचारी संक्रमित हुए. इसके साथ ही बहुत तेजी के साथ बढ़े इस संक्रमण को रोक पाने में सरकार और सिस्टम पूरी तरह से फेल साबित हुआ. लेकिन मुख्य विपक्षी होने के बाद भी समाजवादी पार्टी के न तो कार्यकर्ता कहीं दिखे और न ही नेता. सपा नेताओं और उनके मुखिया सोशल मीडिया के माध्यम से जरूर सरकार की विफलताओं को गिनाते रहे.

सरकार की विफलताओं को नहीं भुना पाई समाजवादी पार्टी
पंचायत चुनाव ने दी सपा को संजीवनी
प्रदेश भर में हुए पंचायत चुनाव में जहां प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को जनता ने आपेक्षित परिणाम नहीं दिया. वहीं समाजवादी पार्टी को पंचायत के चुनाव में ठीक-ठाक जनसमर्थन मिला. बावजूद इसके समाजवादी पार्टी क्षेत्रों में सक्रियता नहीं बढ़ा पाई. यही कारण है कि प्रदेश सरकार की विफलताओं को भुनाने में समाजवादी पार्टी पूरी तरह से नाकाम साबित हुई.

पढ़ें- अयोध्या के विकास समेत 10 प्रस्तावों पर लगी योगी कैबिनेट की मुहर


क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

समाजवादी पार्टी की सक्रियता के सवाल पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह का कहना है कि जिस समय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे लोग उनसे जुड़ रहे थे. अखिलेश यादव अपने पिता की तरह क्षेत्र में सक्रियता बरकरार नहीं रख पाए. राजनैतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह का कहना है कि अखिलेश यादव की सक्रियता का आलम यह है कि जिस आजमगढ़ लोकसभा से अखिलेश यादव चुनाव जीतकर आते हैं. वहां चुनाव जीतने के बाद अभी तक एक ही बार गए हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमीनी स्तर पर काम करने को लेकर अखिलेश यादव किस कदर गंभीर हैं. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि जब अपने लोकसभा क्षेत्र में अखिलेश यादव सक्रिय नहीं है तो प्रदेश में वाह क्या सक्रिय होंगे. अखिलेश यादव अब ट्विटर वाले ही नेता बचे हैं.

पढ़ें-एम्बुलेंस ठेका मामले में होगी जांच, दोषियों को मिलेगी सजा: स्वास्थ्य मंत्री

अखिलेश ने दिए क्षेत्रों में सक्रियता के निर्देश

अब जबकि पूरे प्रदेश से संक्रमण लगातार कम हो रहा है ऐसे में 4 दिन पूर्व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रियता बरतने के निर्देश दिए हैं. अब ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों की सक्रियता का कितना फायदा आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी को मिलता है.

पढ़ें- यूपी की जेलों में अब होगा रैंडम सिक्योरिटी ऑडिट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.