लखनऊ : मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव (by election in Mainpuri Lok Sabha seat) को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपनी सक्रियता तेज कर दी है. सबसे खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद इस सीट पर अपनी जीत दर्ज करने और अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. यही कारण है कि मैनपुरी सीट पर चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सपा के कई वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के संपर्क में हैं और उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे परिवार ना टूटने पाए. परिवार के कई लोग इस प्रयास में हैं कि शिवपाल यादव को मनाया जाए और उन्हें समाजवादी पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए. देखना दिलचस्प होगा कि शिवपाल सिंह यादव आगे क्या करते हैं, जिससे परिवार भी एक रहे और उनका खुद का समायोजन भी अच्छा हो जाए.
दरअसल, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ यादव कुनबे में यह बात उठ रही है कि अब मुलायम सिंह यादव के न रहने पर पूरा परिवार एक रहे और राजनीति में आगे बढ़े. शिवपाल और अखिलेश के अलग-अलग रास्तों पर चलने से नुकसान समाजवादी पार्टी का ही हो रहा है. सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव के सामने यह विकल्प दिया गया है कि वह शिवपाल सिंह यादव को मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में प्रत्याशी बनाएं, इसको लेकर अखिलेश यादव राजी भी हो गए हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि सपा के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव नहीं चाहते हैं कि पूरा परिवार एक हो और वह तेज प्रताप सिंह यादव को ही चुनाव मैदान में उतारने के पक्षधर हैं. वहीं बुधवार को मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने आलोक शाक्य को सपा का जिलाध्यक्ष घोषित किया है.
शिवपाल सिंह यादव के करीबी एक नेता कहते हैं कि फिलहाल वह उप चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. वह 2024 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, लेकिन तब तक उन्हीं के नेतृत्व में मैनपुरी चुनाव लड़ा जाए, चुनाव की पूरी बागडोर उनके पास ही रहेगी और वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव जिताने में पूरी ताकत लगाएंगे. वह बताते हैं कि शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी संगठन में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए और वह अपनी पार्टी समाजवादी पार्टी में विलय कर सकते हैं. उनका पूरा सम्मान होना चाहिए, लेकिन परिवार को एक होने में सबसे बड़ा रोड़ा रामगोपाल यादव के स्तर पर डाला जा रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि शिवपाल सिंह यादव को मनाने में पार्टी के नेता क्या कुछ करते हैं? यादव परिवार कैसे शिवपाल सिंह यादव व अखिलेश यादव को एक साथ लाता है. अब जब मुलायम सिंह यादव नहीं हैं तो यादव परिवार को एक रखने में शिवपाल सिंह यादव की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. इसके अलावा राजनीति में शिवपाल सिंह यादव व अखिलेश यादव एक साथ होकर आगे बढ़ेंगे तो इसका फायदा भी यादव परिवार को ही होगा. अलग-अलग होकर चुनाव लड़ने से नुकसान समाजवादी पार्टी को ही होगा. अगर शिवपाल सिंह यादव सपा के साथ नहीं आए तो मैनपुरी चुनाव जिताने में समाजवादी पार्टी को काफी पसीना बहाना पड़ सकता है और मैनपुरी में अगर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की तरफ से उम्मीदवार उतार दिया गया तो इसका काफी खामियाजा उठाना पड़ सकता है. ऐसे में कोई नहीं चाहता कि शिवपाल सिंह नाराज हों और इसको लेकर अब उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि एक-दो दिन में इस दिशा में बातचीत आगे बढ़ने की उम्मीद है और यादव परिवार के कई प्रमुख लोग आपस में बैठकर इस विषय पर चर्चा भी करने वाले हैं.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि मैनपुरी की जनता ने हमेशा समाजवादियों का साथ दिया है. मैनपुरी समाजवादियों का गढ़ रहा है. नेताजी को जो प्यार सम्मान मैनपुरी की जनता ने दिया है, वही अखिलेश यादव को मैनपुरी की जनता से मिल रहा है. मैनपुरी के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी लोकसभा के चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतेगी.
राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन कहते हैं कि मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ है. 2019 का लोकसभा का चुनाव मुलायम सिंह यादव लड़े थे, उसके पहले तेज प्रताप यादव वहां से सांसद थे. इस समय जो बात आ रही है, जानकारी के अनुसार अखिलेश यादव डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारने की इच्छा नहीं रखते हैं. वह तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़ाने के इच्छुक हैं. यहां तक शिवपाल सिंह यादव के चुनाव लड़ने की बात है तो परिवार के अंदर इस समय नेताजी के निधन के बाद शोक है. परिवार में इस समय एकजुटता दिखाई पड़ रही है. ऐसा नहीं लगता है कि शिवपाल कोई ऐसा कदम उठाएंगे, जिससे परिवार में कहीं बिखराव दिखे. मुलायम सिंह यादव के बाद शिवपाल सिंह यादव की जिम्मेदारी बड़ी है परिवार को एक रखने की. तेजप्रताप वहां से सांसद रहे हैं. अभी दो साल का कार्यकाल बचा है. शिवपाल आगे क्या करेंगे इसको लेकर परिवार के स्तर पर बातचीत करके यह सारी चीजें तय होंगी.
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