ETV Bharat / state

वाहन स्वामियों की रुचि घटने से नीलाम नहीं हो पा रहे कई वीआईपी नंबर

लखनऊ में वाहन स्वामियों में वीआईपी नंबर पाने की बेताबी इस बार नजर नहीं आ रही है. शायद यही वजह है कि इस बार परिवहन विभाग कई नंबर नीलाम नहीं कर पाया है.

author img

By

Published : Apr 11, 2022, 4:30 PM IST

वाहन स्वामियों को वीआईपी बनने की चाहत नहीं, नीलाम ही नहीं हो पा रहे वीआईपी नंबर
वाहन स्वामियों को वीआईपी बनने की चाहत नहीं, नीलाम ही नहीं हो पा रहे वीआईपी नंबर

लखनऊ: परिवहन विभाग ने वीआईपी नंबरों की नीलामी इसलिए शुरू कराई थी जिससे विभाग का फायदा हो लेकिन वीआईपी नंबर विभाग के लिए घाटे का सौदा ही साबित हो रहे हैं. वाहन स्वामी वीआईपी बनने की चाहत ही नहीं रख रहे हैं. आलम ये है कि हर सीरीज में सैकड़ों ऐसे नंबर रह जा रहे हैं जो बुक ही नहीं हुए हैं. लिहाजा इन्हें मजबूरन ब्लॉक करना पड़ रहा है. खास बात यह है कि नीलामी वाले नंबरों में आम जनता हिस्सेदारी भी नहीं कर पाती क्योंकि ये नंबर काफी महंगे हैं. अब परिवहन विभाग ऐसे नंबरों को चिन्हित कर रहा है जो सीरीज में बिना बिके ही रह जाते हैं. उन नंबरों को ब्लॉक करने के बजाय आम जनता के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी हो रही है.



परिवहन विभाग के वीआईपी नंबरों की सीरीज में कुल 348 नंबर शामिल हैं. इन नंबरों की बुकिंग के लिए वाहन स्वामी को बोली लगानी पड़ती है. नंबर की जितनी ऊंची बोली होती है उतना ही उस नंबर के मिलने की संभावना ज्यादा होती है. 0001 से लेकर 0009 तक के नंबर लाखों रुपए में बिकते हैं लेकिन अन्य सैकड़ों ऐसे नंबर हैं जो अमूमन ज्यादातर सीरीज में बिना बिके ही रह जाते हैं. आरटीओ लखनऊ की बात करें तो यहीं पर हर सीरीज में तकरीबन डेढ़ सौ नंबर बुक ही नहीं होते हैं और इन्हें आखिर में ब्लॉक करना पड़ता है. परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय से यह जानकारी मांगी है कि सीरीज में बिना नीलाम हुए कौन-कौन से नंबर रह जाते हैं. अब ऐसे नंबरों को ब्लॉक न करके आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.

यह बोले अफसर.
0001 से 0009 तक के नंबर तो बुक हो जाते हैं, हालांकि कई सीरीज में यह नंबर भी बिना बिके ही रह गए. इन नंबरों के अलावा अगर हर सीरीज में बुक होने वाले नंबरों की बात की जाए तो जिन नंबरों का योग सात, आठ और नौ होता है उन्हें वाहन स्वामी बुक कराते हैं. इसके अलावा 786 नंबर भी हर सीरीज में बुक होता है लेकिन अन्य नंबरों की बुकिंग की कोई गारंटी नहीं है. तकरीबन डेढ़ सौ से ज्यादा वीआईपी नंबर लखनऊ आरटीओ में ही बिना बिके रह जाते हैं. वहीं, प्रदेश के कई जिलों के आरटीओ कार्यालयों में यह संख्या बहुत ज्यादा है. वीआईपी नंबरों की बुकिंग न होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के दो जिलों श्रावस्ती और कासगंज में वाहन स्वामियों ने पिछली दो सीरीज से वीवीआईपी नंबरों की बुकिंग कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, ऐसे में यहां नंबर खाली ही रह गए. उत्तर प्रदेश के 10 ऐसे जिले बताए जा रहे हैं जहां पर वीआईपी नंबरों की सीरीज के बहुत ही कम नंबर बुक होते हैं.

परिवहन विभाग ने एनआईसी को प्रदेश भर के आरटीओ कार्यालयों से वीआईपी नंबरों की बुकिंग संबंधी डाटा कलेक्ट करने के लिए कहा है. अब एनआईसी की तरफ से ऐसे नंबरों का डाटा तैयार किया जा रहा है जो वीआईपी सीरीज में तो शामिल हैं लेकिन इनकी बुकिंग होती ही नहीं है.




एआरटीओ प्रशासन अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि हर सीरीज में कुल मिलाकर 9999 नंबर होते हैं. इन्हीं में वीआईपी सीरीज के नंबर अलग किए जाते हैं. लखनऊ आरटीओ की बात करें तो यहां पर हर सीरीज में 200 से ज्यादा वीआईपी नंबर बुक हो जाते हैं, अन्य नंबर जो बुक नहीं होते हैं उन्हें ब्लॉक कर दिया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: परिवहन विभाग ने वीआईपी नंबरों की नीलामी इसलिए शुरू कराई थी जिससे विभाग का फायदा हो लेकिन वीआईपी नंबर विभाग के लिए घाटे का सौदा ही साबित हो रहे हैं. वाहन स्वामी वीआईपी बनने की चाहत ही नहीं रख रहे हैं. आलम ये है कि हर सीरीज में सैकड़ों ऐसे नंबर रह जा रहे हैं जो बुक ही नहीं हुए हैं. लिहाजा इन्हें मजबूरन ब्लॉक करना पड़ रहा है. खास बात यह है कि नीलामी वाले नंबरों में आम जनता हिस्सेदारी भी नहीं कर पाती क्योंकि ये नंबर काफी महंगे हैं. अब परिवहन विभाग ऐसे नंबरों को चिन्हित कर रहा है जो सीरीज में बिना बिके ही रह जाते हैं. उन नंबरों को ब्लॉक करने के बजाय आम जनता के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी हो रही है.



परिवहन विभाग के वीआईपी नंबरों की सीरीज में कुल 348 नंबर शामिल हैं. इन नंबरों की बुकिंग के लिए वाहन स्वामी को बोली लगानी पड़ती है. नंबर की जितनी ऊंची बोली होती है उतना ही उस नंबर के मिलने की संभावना ज्यादा होती है. 0001 से लेकर 0009 तक के नंबर लाखों रुपए में बिकते हैं लेकिन अन्य सैकड़ों ऐसे नंबर हैं जो अमूमन ज्यादातर सीरीज में बिना बिके ही रह जाते हैं. आरटीओ लखनऊ की बात करें तो यहीं पर हर सीरीज में तकरीबन डेढ़ सौ नंबर बुक ही नहीं होते हैं और इन्हें आखिर में ब्लॉक करना पड़ता है. परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय से यह जानकारी मांगी है कि सीरीज में बिना नीलाम हुए कौन-कौन से नंबर रह जाते हैं. अब ऐसे नंबरों को ब्लॉक न करके आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.

यह बोले अफसर.
0001 से 0009 तक के नंबर तो बुक हो जाते हैं, हालांकि कई सीरीज में यह नंबर भी बिना बिके ही रह गए. इन नंबरों के अलावा अगर हर सीरीज में बुक होने वाले नंबरों की बात की जाए तो जिन नंबरों का योग सात, आठ और नौ होता है उन्हें वाहन स्वामी बुक कराते हैं. इसके अलावा 786 नंबर भी हर सीरीज में बुक होता है लेकिन अन्य नंबरों की बुकिंग की कोई गारंटी नहीं है. तकरीबन डेढ़ सौ से ज्यादा वीआईपी नंबर लखनऊ आरटीओ में ही बिना बिके रह जाते हैं. वहीं, प्रदेश के कई जिलों के आरटीओ कार्यालयों में यह संख्या बहुत ज्यादा है. वीआईपी नंबरों की बुकिंग न होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के दो जिलों श्रावस्ती और कासगंज में वाहन स्वामियों ने पिछली दो सीरीज से वीवीआईपी नंबरों की बुकिंग कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, ऐसे में यहां नंबर खाली ही रह गए. उत्तर प्रदेश के 10 ऐसे जिले बताए जा रहे हैं जहां पर वीआईपी नंबरों की सीरीज के बहुत ही कम नंबर बुक होते हैं.

परिवहन विभाग ने एनआईसी को प्रदेश भर के आरटीओ कार्यालयों से वीआईपी नंबरों की बुकिंग संबंधी डाटा कलेक्ट करने के लिए कहा है. अब एनआईसी की तरफ से ऐसे नंबरों का डाटा तैयार किया जा रहा है जो वीआईपी सीरीज में तो शामिल हैं लेकिन इनकी बुकिंग होती ही नहीं है.




एआरटीओ प्रशासन अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि हर सीरीज में कुल मिलाकर 9999 नंबर होते हैं. इन्हीं में वीआईपी सीरीज के नंबर अलग किए जाते हैं. लखनऊ आरटीओ की बात करें तो यहां पर हर सीरीज में 200 से ज्यादा वीआईपी नंबर बुक हो जाते हैं, अन्य नंबर जो बुक नहीं होते हैं उन्हें ब्लॉक कर दिया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.