लखनऊ : पिछले कई वर्षों की तुलना में इस साल रेलवे को जो बजट मिला है वह आने वाले दिनों में रेलवे का कायाकल्प करने वाला साबित हो सकता है. इस बजट से रेल को पटरी पर दौड़ाकर रफ्तार दी जाएगी और फैक्ट्रियों में कोच का उत्पादन भी तेजी से किया जा सकेगा. रेलवे मंत्रालय की तरफ से वंदे भारत एक्सप्रेस के निर्माण को गति देने के लिए रायबरेली रेल कोच कारखाना के बजट में तकरीबन तीन हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है. इस रेल कोच फैक्ट्री में अप्रैल माह से युद्धस्तर पर रैक का निर्माण शुरू हो जाएगा. इसके अलावा एलएचबी कोच के प्रोडक्शन में इजाफा होगा. रेल बजट में रायबरेली कोच फैक्ट्री को कुल 8,826 करोड़ रुपए अलॉट किए गए हैं. पिछले साल ये बजट 5,676 करोड़ रुपये था.
रेलवे को मिले हैं ढाई लाख करोड़ रुपए : केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने रेलवे को बजट के रूप में ढाई लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. रेलवे की तरफ से साल 2023-24 के बजट में उत्पादन ईकाइयों को कुल 47,027 करोड़ रुपये दिए गए हैं. पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में उत्पादन इकाइयों को कुल 35,700 करोड़ रुपये बजट आवंटित हुआ था. रेल बजट में सिर्फ रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री ही नहीं, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, रेल व्हील फैक्ट्री बंगलुरु, पटियाला लोकामोटिव वर्क्स, विद्युतीकरण, रेल व्हील प्लांट जैसी प्रोडक्शन यूनिटों के बजट में भी इजाफा किया गया है. वंदे भारत एक्सप्रेस का रैक अब रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री में निर्माण किया जाएगा, जबकि अभी तक यह इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चैन्नई में निर्मित होता है.
रैक का होगा निर्माण : आरडीएसओ में पिछले साल हुई इनो रेल प्रदर्शनी में मेधा सर्वो प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक (विपणन) जेपी शर्मा ने कहा था कि 'वंदे भारत एक्सप्रेस के कोच निर्माण का काम कंपनी के पास था. पहले चरण में 44 रैक का निर्माण होना है. जिसमें सात का निर्माण हो चुका है. अगले चरण में 27 रैक और तैयार होंगे. यह रैक पहले से ज्यादा आरामदायक और सुविधाजनक होंगे. रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री में उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल से तेजी से रैक का निर्माण प्रारंभ हो जाएगा.
कोच, इंजन, पहियों का भी तेज होगा उत्पादन : रेलवे बोर्ड ने रायबेरली रेल कोच फैक्ट्री के अतिरिक्त अन्य उत्पादन इकाइयों के बजट में भी इजाफा किया है. इससे इंजन, कोच और पहियों के उत्पादन पर अच्छी धनराशि खर्च की जाएगी. लिंक हाफमैन बुश कोच का उत्पादन बढ़ेगा, इसकी जिम्मेदारी कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री को दी गई है.
बजट के जरिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भी कोशिश की जा रही है. यही वजह है कि अनुसंधान, अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) को अनुसंधान के लिए 61.50 करोड़ रुपये दिए गए हैं. पिछले साल यह धनराशि सिर्फ 51 करोड़ रुपये ही थी. आरडीएसओ को अनुसंधान, लैब स्थापना के साथ चार करोड़ रुपये स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने पर खर्च किया जाएगा. ऑप्टिकल रेल मापन प्रणाली के लिए तीन करोड़ रुपये, विद्युत प्रयोगशाला की स्थापना के लिए टोकन के तौर पर एक लाख रुपये, अग्नि परीक्षण सुविधा के लिए 42 लाख, ट्रेन टक्कर रोधी तकनीकी के लिए एक लाख रुपये मिले हैं.
वंदे भारत को लेकर मंथन : नई दिल्ली से लखनऊ के रास्ते अयोध्या, वाराणसी और गोरखपुर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस के संचालन की तैयारी है. इस पर गंभीरता से विचार चल रहा है. इसमें दो ट्रेनें लखनऊ के रास्ते मिल सकती हैं, लेकिन इसका अंतिम फैसला रेलवे बोर्ड को ही करना है. हालांकि, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के मेंटेनेंस के लिए लखनऊ में काम कराया जा रहा है. इस पर 30 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
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