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यूपी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या पर नकेल कसने की कोशिश क्यों नहीं चढ़ रही परवान

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Published : Jul 26, 2023, 7:31 PM IST

यूपी एटीएस की सक्रियता से 74 रोहिंग्या घुसपैठियों को गिरफ्तार करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ पूरी तरह रुक नहीं सकी है. सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऐसी घुसपैठ रोकना चुनौती बना हुआ है.

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लखनऊ : हाल ही में एटीएस ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों से अभियान चलाकर 74 रोहिंग्या घुसपैठियों को गिरफ्तार किया. ऐसी गिरफ्तारी कोई पहली बार नहीं हुई थी. हमारी सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर ऐसे अभियान चलाकर गिरफ्तारियां करती रहती हैं. बावजूद इसके बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ पूरी तरह रुक नहीं सकी है. पूरे प्रदेश में अब भी तमाम बांग्लादेशी और रोहिंग्या आराम से रह रहे हैं. कई जगहों पर तो इन्होंने राशन कार्ड और पहचान पत्र भी बनवा लिए हैं. इसलिए सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है.

देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.



दरअसल रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ की समस्या दशकों पुरानी है. बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से घुसपैठ कर देश के विभिन्न हिस्सों में घुसपैठ कर रहे हैं. वहीं म्यांमार में 2012 में हुए सांप्रदायिक संघर्ष के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने पलायन किया. म्यांमार से भागकर यह भारत में घुस आए तो बड़ी संख्या में बांग्लादेश भी आए. म्यांमार के रखाइन प्रांत में अंग्रेजों ने बंगाल (अब बांग्लादेश) से मुसलमान मजदूरों को यहां लाकर बसाया था, जिनकी आबादी धीरे-धीरे बढ़कर अच्छी-खासी हो गई. इन्हें ही रोहिंग्या मुसलमान कहा जाता है. 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी सत्ता में आई. जिसके बाद 1982 में म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता खत्म कर दी गई. इसके बाद से ही रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन शुरू हुआ, लेकिन 2012 में हुए जातीय संघर्ष के बाद यहां से तेजी से पलायन होने लगा. भारतीय सीमा से सटे होने के कारण बड़ी संख्या में रोहिंग्या घुसपैठ करने में सफल रहे जो अब धीरे-धीरे पूरे देश में फैल चुके हैं.

देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.



दो साल पहले रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ का मामला संसद में भी उठाया गया था. तब गृहराज्य मंत्री ने कहा था कि सरकार को अवैध घुसपैठियों की सही संख्या का अंदाजा नहीं है. शीर्ष अदालत में भी इन अवैध घुसपैठियों को बाहर करने के लिए याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर फैसला आना अभी बाकी है. स्वाभाविक है कि जब कोई विषय संसद और शीर्ष अदालत तक पहुंच गया है तो यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है. बावजूद इसके स्वार्थ की राजनीति के कारण कई स्थानों पर इन्हें मतदाता और भारत का नागरिक बनाने के प्रयास हो रहे हैं. प्रदेश के कई शहरों में यह अवैध घुसपैठिए नौकरियां और कूड़ा आदि उठाने का काम करते हैं. इन परिवारों की तमाम महिलाएं कूड़ा बीनते हुए भी देखी जा सकती हैं. सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता इस बात की है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान कर पाना बहुत आसान नहीं है. जिन पर नजर पड़ती है, उनके खिलाफ तो कार्रवाई हो जाती है, लेकिन तमाम बचे भी रह जाते हैं.



यह भी पढ़ें : No Confidence Motion : पांच साल पहले ही पीएम मोदी ने कर दी थी इसकी 'भविष्यवाणी', जानें पूरा मामला

लखनऊ : हाल ही में एटीएस ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों से अभियान चलाकर 74 रोहिंग्या घुसपैठियों को गिरफ्तार किया. ऐसी गिरफ्तारी कोई पहली बार नहीं हुई थी. हमारी सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर ऐसे अभियान चलाकर गिरफ्तारियां करती रहती हैं. बावजूद इसके बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ पूरी तरह रुक नहीं सकी है. पूरे प्रदेश में अब भी तमाम बांग्लादेशी और रोहिंग्या आराम से रह रहे हैं. कई जगहों पर तो इन्होंने राशन कार्ड और पहचान पत्र भी बनवा लिए हैं. इसलिए सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है.

देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.



दरअसल रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ की समस्या दशकों पुरानी है. बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से घुसपैठ कर देश के विभिन्न हिस्सों में घुसपैठ कर रहे हैं. वहीं म्यांमार में 2012 में हुए सांप्रदायिक संघर्ष के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने पलायन किया. म्यांमार से भागकर यह भारत में घुस आए तो बड़ी संख्या में बांग्लादेश भी आए. म्यांमार के रखाइन प्रांत में अंग्रेजों ने बंगाल (अब बांग्लादेश) से मुसलमान मजदूरों को यहां लाकर बसाया था, जिनकी आबादी धीरे-धीरे बढ़कर अच्छी-खासी हो गई. इन्हें ही रोहिंग्या मुसलमान कहा जाता है. 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी सत्ता में आई. जिसके बाद 1982 में म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता खत्म कर दी गई. इसके बाद से ही रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन शुरू हुआ, लेकिन 2012 में हुए जातीय संघर्ष के बाद यहां से तेजी से पलायन होने लगा. भारतीय सीमा से सटे होने के कारण बड़ी संख्या में रोहिंग्या घुसपैठ करने में सफल रहे जो अब धीरे-धीरे पूरे देश में फैल चुके हैं.

देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.
देश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की घुसपैठ.



दो साल पहले रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ का मामला संसद में भी उठाया गया था. तब गृहराज्य मंत्री ने कहा था कि सरकार को अवैध घुसपैठियों की सही संख्या का अंदाजा नहीं है. शीर्ष अदालत में भी इन अवैध घुसपैठियों को बाहर करने के लिए याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर फैसला आना अभी बाकी है. स्वाभाविक है कि जब कोई विषय संसद और शीर्ष अदालत तक पहुंच गया है तो यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है. बावजूद इसके स्वार्थ की राजनीति के कारण कई स्थानों पर इन्हें मतदाता और भारत का नागरिक बनाने के प्रयास हो रहे हैं. प्रदेश के कई शहरों में यह अवैध घुसपैठिए नौकरियां और कूड़ा आदि उठाने का काम करते हैं. इन परिवारों की तमाम महिलाएं कूड़ा बीनते हुए भी देखी जा सकती हैं. सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता इस बात की है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान कर पाना बहुत आसान नहीं है. जिन पर नजर पड़ती है, उनके खिलाफ तो कार्रवाई हो जाती है, लेकिन तमाम बचे भी रह जाते हैं.



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