लखनऊ: कोरोना का ग्राफ लगातार बढ़ने के कारण बस से यात्रा करने में यात्री परहेज कर रहे हैं, जिससे रोडवेज के संविदा कर्मियों का लोड फैक्टर नहीं आ रहा है. उधर रोडवेज के अधिकारी संविदा कर्मियों को लोड फैक्टर कम आने के कारण वेतन से रिकवरी करने का नोटिस जारी कर रहे हैं. इससे नाराज संविदा कर्मियों ने गुरुवार सुबह बसों का चक्का जाम कर दिया.
आलमबाग, चारबाग और कैसरबाग बस स्टेशन पर सुबह से बसों का संचालन न होने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लगभग चार घंटे तक संचालन ठप रहा. इसके बाद लखनऊ रीजन के सेवा प्रबंधक सत्यनारायण और कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों के बीच वार्ता हुई. वार्ता में जब समस्या के समाधान का भरोसा दिया गया, तब चक्का जाम खत्म हुआ. हालांकि तीन से चार घंटे तक बसों का संचालन नहीं होने से रोडवेज को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.
यात्रियों को उठानी पड़ी परेशानी
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए सीटों के मुताबिक यात्रियों की संख्या आधी कर दी. ऐसे में इसका सीधा नुकसान रोडवेज के संविदा चालक-परिचालकों को उठाना पड़ रहा है. रोडवेज अधिकारियों ने 50 परसेंट से नीचे लोड फैक्टर लाने पर रिकवरी का नियम बना रखा है, लेकिन इस समय कोरोना के कारण सवारियां ही नहीं मिल रही हैं और सीटों की क्षमता के मुताबिक आधी सवारियां ही लेकर जाना है. इससे संविदा कर्मियों को दोहरा नुकसान हो रहा है.
परिवहन निगम की तरफ से 50 परसेंट से नीचे लोड फैक्टर लाने वाले संविदा कर्मियों को जब नोटिस भेजी गई तो कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट गया. गुरुवार सुबह करीब साढ़े सात बजे आलमबाग, चारबाग और कैसरबाग बस स्टेशन पर संविदा चालक और परिचालकों ने हड़ताल कर दी. करीब 11:30 बजे के बाद जब दोनों पक्षों में सहमति बनी, तब संचालन शुरू हो पाया. चक्का जाम के दौरान तीनों बस स्टेशनों पर यात्री बसों के इंतजार में भटकते रहे, लेकिन उन्हें बस 11:30 बजे के बाद ही मिल पाई.
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सैनिटाइज नहीं हो रही बसें
कर्मचारी यूनियन के नेता रूपेश कुमार ने बताया कि आलमबाग बस स्टेशन पर संचालन ठप होने से करीब 40 एसी बसें और 38 साधारण बसें प्रभावित हुईं. चक्का जाम के दौरान लोड फैक्टर के साथ ही संविदा कर्मियों ने बसों के सैनिटाइज न होने पर भी आक्रोश जाहिर किया. उनका कहना है कि कोरोना तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बसों को सैनिटाइज किए बिना ही रूट पर भेजा जा रहा है, जिससे जान का खतरा बना हुआ है. हालांकि रोडवेज अधिकारियों का कहना है कि रूट पर भेजने से पहले बसों को सैनिटाइज कराया जाता है.