लखनऊ: रोडवेज मार्गों का निजीकरण किए जाने के विरोध में बुधवार को प्रदेश भर में रोडवेज कर्मियों द्वारा धरना-प्रदर्शन किया गया. निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सरकार को तीन दिनों का समय दिया है. संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने मांगें पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
उत्तर प्रदेश में रोडवेज मार्गों के निजीकरण के खिलाफ प्रदेश के 75 जनपदों में विरोध प्रदर्शन किया गया. सात सूत्री मांग पत्र के साथ इस प्रदर्शन में रोडवेज कर्मचारी, अधिकारी और संविदा कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का गठन किया है, जिसके नेतृत्व में बुधवार को कैसरबाग बस अड्डे पर विरोध के रूप में धरना दिया गया है. धरना प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में महिला रोडवेज कर्मचारी भी शामिल रहीं. इस दौरान सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ व संयुक्त राज्य परिषद के तमाम पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया.
सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री जसवंत सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय कृत मार्गों का अतिक्रमण किया जा रहा है. इन मार्गों पर निजी बसों को चलाने के लिए परमिट जारी करने की बात की जा रही है, जिसका रोडवेज कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. सात सूत्री मांगों को लेकर 18 नवंबर से जन जागरण की शुरुआत की गई थी. इसी के उपलक्ष्य में आज प्रदेश के सभी जनपदों में विशाल धरना दिया जा रहा है. उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा है कि वह अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करें. इसके साथ ही मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि वह जनता की सीमाओं का अस्तित्व समाप्त न करें.
कोरोना काल में भी निरंतर सेवाएं दे रहे हैं रोडवेज कर्मचारी
महामंत्री जसवंत सिंह ने बताया कि रोडवेज कर्मचारियों ने सरकारी राजस्व को बढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत की है. दिवाली से लेकर अभी तक उन्होंने काफी संघर्ष किया है. बावजूद इसके रोडवेज कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है.
संयुक्त राज्य परिषद के प्रदेश महामंत्री गिरीश मिश्रा ने निजी कंपनियों पर काफी गंभीर आरोप लगाए हैं. रोष व्यक्त करते हुए कहा है कि कारपोरेशन के सात प्रतिशत मार्गों को योजनाबद्ध ढंग से निजी कंपनियों को दिया जा रहा है. योजना के अंतर्गत निगम की बसों के साथ निजी बसों को मार्गों पर उतारा जा रहा है. एक या दो लोगों को निजी बसें चलाने का परमिट दिया जा रहा है. गिने चुने लोगों के हाथों में काम दिए जाने से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.
निजी कंपनियों की लूट, बिना परमिट चला रहे हैं गाड़ियां
संयुक्त राज्य परिषद प्रदेश के महामंत्री गिरीश मिश्रा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिन कंपनियों को निजीकरण के क्षेत्र में उतारने की बात की जा रही है, वह कंपनियां बिना परमिट के ही इन मार्गों पर अपनी गाड़ियां चला रही हैं, इससे सरकार और कारपोरेशन को लाखों रुपये का नुकसान रोजाना उठाना पड़ रहा है. सात सूत्री मांग पत्र को लेकर तीन दिन का समय दिया गया है, यदि जल्द ही उनकी मांगों पर अमल नहीं किया जाता है तो बड़े स्तर पर प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा.