लखनऊ: प्रदेश के राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसें चलाने के सरकारी आदेश से रोडवेज कर्मचारी नाराज हैं. इस आदेश के विरोध में कर्मचारियों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय पर कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन किया. सात सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश भर के 55 हजार रोडवेज कर्मचारियों ने अपनी आवाज बुलंद की है. उन्होंने लखनऊ समेत प्रदेश भर के क्षेत्रीय कार्यालयों में धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा.
निगम प्रबंधन और शासन ने नहीं लिया कोई निर्णय
परिवहन निगम मुख्यालय पर रोडवेज कर्मचारियों ने निजीकरण की आहट पर प्रदर्शन किया. वे सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. मोर्चे के संयोजक रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री गिरीश मिश्रा ने कहा कि सात सूत्री मांगों को लेकर 25 नवंबर को धरना दिया गया था. इसके बाद भी निगम प्रबंधन और शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है. इसी वजह से बुधवार को प्रदेशभर के क्षेत्रीय कार्यालयों के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि निजीकरण के साथ ही अन्य कई मांगें भी विरोध प्रदर्शन में रखी गई हैं. इस मौके पर संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता और सेंटर रीजनल वर्कशाप कर्मचारी संघ के महामंत्री जसवंत सिंह, संविदा संघर्ष यूनियन के महामंत्री कंहैया लाल पांडेय, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के शाखा अध्यक्ष रजनीश मिश्रा मौजूद रहे.
मुख्यालय पर हुआ प्रदर्शन
परिवहन निगम मुख्यालय पर कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन प्रदेश के 20 परिक्षेत्रों में हुआ. निगम मुख्यालय पर लखनऊ यूनिट के साथ मुख्यालय यूनिट के कर्मचारी एकत्रित हुए. प्रदर्शन में निजीकरण के साथ ही कर्मचारियों की तमाम समस्याओं को उठाया जा रहा है. परिवहन निगम के अधिकारियों का ध्यानाकर्षण किया गया है.
इन सात सूत्री मांगों को लेकर हुआ प्रदर्शन
- रोडवेज के राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसों को परमिट देना
- पूर्व में 206 प्रस्तावित मार्गो को राष्ट्रीयकृत मार्ग घोषित करना
- वर्ष 2001 तक के संविदा कर्मियों की नियमित भर्ती करना
- नियमित कर्मियों के बकाए महंगाई भत्ते का भुगतान करना
- मृतक आश्रिकों की भर्ती और बकाए का भुगतान किया जाए
- संविदा चालक परिचालकों को चरणबद्ध तरीके से नियमित हो
- आउटसोर्स और निलिट संस्था के कर्मियों को वरीयता देना