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सुबह से देर रात तक जारी है एसी बसों की हड़ताल, रोडवेज कर्मचारियों ने दी यह चेतावनी - मनमानी का आरोप

राजधानी में गुरुवार को सुबह से ही रोडवेज कर्मचारियों ने एसी बसों का संचालन ठप कर दिया था. कर्मचारियों ने लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक पर मनमानी का आरोप लगाया था.

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Published : Apr 13, 2023, 8:47 PM IST

लखनऊ : लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर पर मनमानी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को अवध डिपो से रोडवेज कर्मचारियों ने एसी बसों का संचालन ठप कर दिया. इससे बस स्टेशन पर बस का इंतजार कर रहे यात्रियों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई. अवध डिपो से एक भी एसी बस बस स्टेशन के लिए नहीं निकली. रोडवेज कर्मचारियों ने कार्यशाला से बसों का संचालन ठप करने का फैसला लिया. रोडवेज अधिकारी कर्मचारियों की हड़ताल खत्म कराने की कोशिश में लगे रहे. सीनियर अधिकारियों के साथ कई बार वार्ता भी हुई, लेकिन सब कुछ बेनतीजा रहा. मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्रशासन), मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) के साथ ही प्रधान प्रबंधक ने भी समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन चक्का जाम कर रहे कर्मचारियों ने एक भी न सुनी. देर रात तक हड़ताल जारी रखी. कर्मचारियों का कहना है कि क्षेत्रीय प्रबंधक हर रोज नए नए नियम कानून लागू करते हैं, जो कर्मचारियों के हित में नहीं है. हड़ताल तभी समाप्त होगी जब कर्मचारी हित में फैसला लिया जाएगा. लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक को हटाया जाएगा. फिलहाल सुबह से शुरू हुई हड़ताल अभी तक जारी है.



लखनऊ के अवध डिपो कार्यशाला से सस्ती वातानुकूलित जनरथ बसों का संचालन होता है. यात्रियों के लिए सस्ती दर पर एसी बस से सफर की सुविधा इन्हीं जनरथ बसों से उपलब्ध होती है. गुरुवार सुबह से ही बस स्टेशन पर यात्रियों को इन्हीं एसी जनरथ बसों के संचालन ठप होने के कारण भटकना पड़ गया. सुबह आठ बजे से ही रोडवेज कर्मचारियों ने एक भी बस डिपो से बाहर नहीं निकलने दी.

रोडवेज कर्मचारी नेता रामराज विश्वकर्मा का कहना था कि 'हर रोज लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक नए नए नियम बना देते हैं, जिससे कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं. अब रात में बसों को उसी जगह पर हाल्ट करने की बात कही जा रही है. ड्राइवर कंडक्टर पर दबाव बनाया जा रहा है जो बिल्कुल भी सही नहीं है. इसका सभी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. कर्मचारियों की कोई सुनवाई ही अधिकारी नहीं करते हैं. ऑटो पार्ट्स का अभाव है. बसें बीच रास्ते में ही खड़ी हो जाती हैं और कटौती ड्राइवर कंडक्टर से कर ली जाती है, यह बिल्कुल सही नहीं है. ड्राइवरों को रात में हाल्ट करने को कहा जाता है. 24-24 घंटे काम लिया जा रहा है. छुट्टी दी नहीं जा रही है. क्या ड्राइवर कंडक्टर का परिवार नहीं है. इनकम से प्रबंधन को सिर्फ मतलब है. एक सवारी लेकर भी बस ले जाने का दबाव बनाते हैं तो भला इनकम कहां से आए. इनकम कम आने पर संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है. आखिर इतनी प्रताड़ना कब तक चलेगी. हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर सहमति नहीं बन जाती, क्षेत्रीय प्रबंधक को लखनऊ परिक्षेत्र से हटा नहीं दिया जाता तब तक हड़ताल जारी रहेगी. अगर कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई की गई तो रात 12 बजे से पूरा रीजन बंद कर दिया जाएगा.'

यूनियन नेता कौशलेंद्र सिंह का कहना है कि 'इस समय चालक-परिचालकों पर जबरन दबाव बनाया जा रहा है. उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. पहले भी अधिकारियों के नेतृत्व में रोडवेज के चालक परिचालकों ने खूब काम किया है. अच्छी इनकम लाई, लेकिन अब बेवजह दबाव बनाकर परेशान किया जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.'

अवध डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक सतनारायण चौधरी का कहना है कि 'अवध डिपो में 52 वातानुकूलित बसें हैं, जिनमें से 35 बसें आठ लाख किलोमीटर के ऊपर चल चुकी हैं. उन्हें अब लंबी दूरी पर नहीं भेजा जाएगा, बल्कि 300 किलोमीटर तक ही इनका संचालन होगा, साथ ही इन बसों पर सिंगल क्रू की व्यवस्था होगी. पांच दिन तक लगातार यह बस एक ही चालक के नाम रहेगी. इसका यूनियन के लोग विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा रात्रि में 600 किलोमीटर से ऊपर जो भी बसें संचालित हो रही हैं उन पर डबल ड्राइवर भेजे जा रहे हैं. रात में उन बसों को वहीं पर हाल्ट करना होगा. इसका भी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. इसी वजह से बसों का संचालन ठप कर दिया है. वार्ता का कई बार सीनियर अधिकारियों ने भी प्रयास किया, लेकिन कर्मचारी नेता तैयार नहीं हो रहे हैं.'


इन रूटों की बसें प्रभावित, लाखों का नुकसान : दिल्ली, गोरखपुर, प्रयागराज, बस्ती, देवरिया, बनारस की तरफ जाने वाली अवध डिपो की बसें न चलने से यात्री कैसरबाग बस स्टेशन और आलमबाग बस स्टेशन पर इंतजार ही करते रह गए. तकरीबन ढाई हजार यात्रियों को स्टेशन पर बस के अभाव में भटकना पड़ गया. तमाम यात्रियों ने जब बस नहीं आई तो अपना टिकट कैंसिल कराकर ट्रेन से यात्रा की. बसों की हड़ताल से रोडवेज को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है.

यह भी पढ़ें : Roadways Workers Strike : क्षेत्रीय प्रबंधक को हटाने की मांग पर अड़े रोडवेजकर्मी, कहा-नहीं चलाएंगे बसें

लखनऊ : लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर पर मनमानी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को अवध डिपो से रोडवेज कर्मचारियों ने एसी बसों का संचालन ठप कर दिया. इससे बस स्टेशन पर बस का इंतजार कर रहे यात्रियों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई. अवध डिपो से एक भी एसी बस बस स्टेशन के लिए नहीं निकली. रोडवेज कर्मचारियों ने कार्यशाला से बसों का संचालन ठप करने का फैसला लिया. रोडवेज अधिकारी कर्मचारियों की हड़ताल खत्म कराने की कोशिश में लगे रहे. सीनियर अधिकारियों के साथ कई बार वार्ता भी हुई, लेकिन सब कुछ बेनतीजा रहा. मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्रशासन), मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) के साथ ही प्रधान प्रबंधक ने भी समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन चक्का जाम कर रहे कर्मचारियों ने एक भी न सुनी. देर रात तक हड़ताल जारी रखी. कर्मचारियों का कहना है कि क्षेत्रीय प्रबंधक हर रोज नए नए नियम कानून लागू करते हैं, जो कर्मचारियों के हित में नहीं है. हड़ताल तभी समाप्त होगी जब कर्मचारी हित में फैसला लिया जाएगा. लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक को हटाया जाएगा. फिलहाल सुबह से शुरू हुई हड़ताल अभी तक जारी है.



लखनऊ के अवध डिपो कार्यशाला से सस्ती वातानुकूलित जनरथ बसों का संचालन होता है. यात्रियों के लिए सस्ती दर पर एसी बस से सफर की सुविधा इन्हीं जनरथ बसों से उपलब्ध होती है. गुरुवार सुबह से ही बस स्टेशन पर यात्रियों को इन्हीं एसी जनरथ बसों के संचालन ठप होने के कारण भटकना पड़ गया. सुबह आठ बजे से ही रोडवेज कर्मचारियों ने एक भी बस डिपो से बाहर नहीं निकलने दी.

रोडवेज कर्मचारी नेता रामराज विश्वकर्मा का कहना था कि 'हर रोज लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक नए नए नियम बना देते हैं, जिससे कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं. अब रात में बसों को उसी जगह पर हाल्ट करने की बात कही जा रही है. ड्राइवर कंडक्टर पर दबाव बनाया जा रहा है जो बिल्कुल भी सही नहीं है. इसका सभी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. कर्मचारियों की कोई सुनवाई ही अधिकारी नहीं करते हैं. ऑटो पार्ट्स का अभाव है. बसें बीच रास्ते में ही खड़ी हो जाती हैं और कटौती ड्राइवर कंडक्टर से कर ली जाती है, यह बिल्कुल सही नहीं है. ड्राइवरों को रात में हाल्ट करने को कहा जाता है. 24-24 घंटे काम लिया जा रहा है. छुट्टी दी नहीं जा रही है. क्या ड्राइवर कंडक्टर का परिवार नहीं है. इनकम से प्रबंधन को सिर्फ मतलब है. एक सवारी लेकर भी बस ले जाने का दबाव बनाते हैं तो भला इनकम कहां से आए. इनकम कम आने पर संविदा समाप्त करने की धमकी दी जाती है. आखिर इतनी प्रताड़ना कब तक चलेगी. हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर सहमति नहीं बन जाती, क्षेत्रीय प्रबंधक को लखनऊ परिक्षेत्र से हटा नहीं दिया जाता तब तक हड़ताल जारी रहेगी. अगर कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई की गई तो रात 12 बजे से पूरा रीजन बंद कर दिया जाएगा.'

यूनियन नेता कौशलेंद्र सिंह का कहना है कि 'इस समय चालक-परिचालकों पर जबरन दबाव बनाया जा रहा है. उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. पहले भी अधिकारियों के नेतृत्व में रोडवेज के चालक परिचालकों ने खूब काम किया है. अच्छी इनकम लाई, लेकिन अब बेवजह दबाव बनाकर परेशान किया जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.'

अवध डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक सतनारायण चौधरी का कहना है कि 'अवध डिपो में 52 वातानुकूलित बसें हैं, जिनमें से 35 बसें आठ लाख किलोमीटर के ऊपर चल चुकी हैं. उन्हें अब लंबी दूरी पर नहीं भेजा जाएगा, बल्कि 300 किलोमीटर तक ही इनका संचालन होगा, साथ ही इन बसों पर सिंगल क्रू की व्यवस्था होगी. पांच दिन तक लगातार यह बस एक ही चालक के नाम रहेगी. इसका यूनियन के लोग विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा रात्रि में 600 किलोमीटर से ऊपर जो भी बसें संचालित हो रही हैं उन पर डबल ड्राइवर भेजे जा रहे हैं. रात में उन बसों को वहीं पर हाल्ट करना होगा. इसका भी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. इसी वजह से बसों का संचालन ठप कर दिया है. वार्ता का कई बार सीनियर अधिकारियों ने भी प्रयास किया, लेकिन कर्मचारी नेता तैयार नहीं हो रहे हैं.'


इन रूटों की बसें प्रभावित, लाखों का नुकसान : दिल्ली, गोरखपुर, प्रयागराज, बस्ती, देवरिया, बनारस की तरफ जाने वाली अवध डिपो की बसें न चलने से यात्री कैसरबाग बस स्टेशन और आलमबाग बस स्टेशन पर इंतजार ही करते रह गए. तकरीबन ढाई हजार यात्रियों को स्टेशन पर बस के अभाव में भटकना पड़ गया. तमाम यात्रियों ने जब बस नहीं आई तो अपना टिकट कैंसिल कराकर ट्रेन से यात्रा की. बसों की हड़ताल से रोडवेज को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है.

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