लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के दर्जनों चालक और परिचालकों ने लखनऊ और गोरखपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक की शिकायत मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से की है. चालक परिचालकों की तरफ से मानवाधिकार आयोग में सामूहिक शिकायत दर्ज कर न्याय की मांग की गई है. लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक की शिकायत कोरोना काल के दौरान अतिरिक्त बकाया पैसों का भुगतान न करने, जबरन लोड फैक्टर का दबाव बनाने की है. तो, गोरखपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक की शिकायत ड्राइवर व कंडक्टर के साथ अभद्रता की है. सभी ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से न्याय की मांग की है.
मानवाधिकार आयोग को भेजे गए पत्र में ड्राइवर कंडक्टर ने सामूहिक रूप से आरोप लगाया है कि कोरोना काल का बकाया पैसा परिवहन निगम के अधिकारियों ने ड्राइवर कंडक्टर्स को दिया ही नहीं, जबकि दलील दे रहे हैं कि सारा भुगतान कर दिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कोरोना काल के दौरान चालक परिचालकों को ₹300 अतिरिक्त देने का आदेश परिवहन निगम के तत्कालीन एमडी की तरफ से किया गया था. इसके एवज में सिर्फ मई 2019 का भुगतान हुआ, जबकि मई से अक्टूबर माह तक का भुगतान होना था. अब लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक इस पर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं.
पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक ने कह दिया था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है जबकि ड्राइवर कंडक्टर्स का ₹10,000-10,000 से ज्यादा बकाया है. कोई भुगतान नहीं हुआ है. इसके अलावा चालक-परिचालकों ने यह भी आरोप लगाया है कि परिवहन निगम की गाइडलाइन है कि 55 फीसद न्यूनतम लोड फैक्टर लाना है. लेकिन लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक 65 फीसद लोड फैक्टर लाने का दबाव बना रहे हैं. वह बिल्कुल भी सही नहीं है. बस स्टेशनों पर सिर्फ 15 मिनट बसों को ठहरने का समय दिया जा रहा है और उसमें यात्री नहीं मिल पाने पर लोड फैक्टर नहीं आता है.
ऐसे में इस तरह का दबाव बनाना बिल्कुल भी सही नहीं है. इससे कई चालक परिचालक बीमार हो रहे हैं. तमाम चालक परिचालकों ने यह भी आरोप लगाया है कि ड्यूटी सॉफ्टवेयर से ड्यूटी लगाने में ड्राइवर कंडक्टर्स का काफी घाटा हो रहा है. माह के आखिर में सॉफ्टवेयर अपडेट करने से 28, 30 और 31 तारीख को अगले माह में ड्यूटी दर्शा दी जाती है. इससे ड्राइवर कंडक्टर के किलोमीटर कम हो जाते हैं जिसका उन्हें नुकसान होता है. चालक परिचालकों के आरोपों पर लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक से फोन पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया.
इसके अलावा मानवाधिकार आयोग में गोरखपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक की शिकायत की गई है कि गोरखपुर बस स्टेशन पर लखनऊ की बसों को खड़ा नहीं होने दिया जाता है. क्षेत्रीय प्रबंधक चालक व परिचालकों से गाली गलौज और अभद्रता करते हैं.