लखीमपुर खीरी : दुधवा टाइगर रिजर्व में चल रहे गैंडा प्रोजेक्ट (Rhinos project in Dudhwa Tiger Reserve) की सफलता में एक नई कड़ी जुड़ने वाली है. अब बाड़ में रह रहे गैंडों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा. टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि पहले फेज में 10 गैंडों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि गैंडा प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद से ही गैंडों को बाड़बंदी में ही रखा गया. अब इन्हें खुले जंगल में छोड़ने का वक्त आ गया है. विभाग प्रयोग के तौर पर अभी 10 गैंडों को खुले जंगल में छोड़ेगा और उनके व्यवहार का अध्ययन करेगा (Rhinos will be released in the forest).
भारत में असम के बाद उत्तर प्रदेश के तराई के दुधवा टाइगर रिजर्व में ही एक सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी पॉपुलेशन है. हालिया गणना में सामने आया है कि दुधवा में 42 छोटे बड़े गैंडे फलफूल रहे हैं (Dudhwa Tiger Reserve Rhinos). भारत सरकार ने 1984 में लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व में गैंडा प्रोजेक्ट शुरू किया था. तब असम से पांच गैंडों को जहाज से पहले दिल्ली फिर टाइगर रिजर्व में लाया गया था. दुधवा के सलूकापुर में 32 वर्ग किलोमीटर में फेंसिंग कर गैंडों को रखने की व्यवस्था की गई. शुरुआती झटकों के बाद भी तराई की इस जमीन में दलदली भूमि और बड़े घास के मैदान होने के कारण गैंडों का कुनबा-फलने फूलने लगा. प्रोजेक्ट के शुरुआत में दो गैंडों की मौत हो गई थी. पर नेपाल सरकार से फिर गैंडे मंगाकर इनका कुनबा बढ़ाया.
फेज वन की सफलता के बाद दुधवा टाइगर रिजर्व के बेलरायां रेंज में 14 वर्ग किलोमीटर में गैंडा पुनर्वास योजना का दूसरा चरण शुरू किया गया. इस नए घर में तीन मादा और एक नर गैंडे को रखा गया. नए घर में भी गैंडों के नए बच्चे पैदा हुए. अब दुधवा टाइगर रिजर्व में गैंडों की तादाद बढ़कर 42 तक हो गई है. फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि गैंडों को दूसरे जानवरों के साथ खुले में छोड़ने का अब वक्त आ गया है. पशुओं के पुनर्वास की लंबी प्रकिया होती है. किसी जानवर को नई जगह पर इंट्रोड्यूस करने या बसाने के लिए वक्त देना होता है. संजय पाठक ने बताया कि अभी 10 गैंडों को खुले जंगल में छोड़ने की प्लानिंग की गई है. दुधवा में देश भर के गैंडा विशेषज्ञ आए हुए हैं. खुले जंगल में जाने के बाद उनके व्यवहार और मूवनेंट पर अध्धयन किया जाएगा. सभी गैंडों के रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे.
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