लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में टीचिंग स्टाफ के रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए. न्यायालय ने कहा है कि प्रावधानों में इस सम्बंध में संशोधन तीन माह के भीतर कर लिए जाएं. यह निर्णय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला (Justice Om Prakash Shukla) की एकल पीठ ने डॉ. प्रेमचंद मिश्रा व अन्य शिक्षकों की कई याचिकाओं पर एक साथ पारित किया है.
याचियों की ओर से दलील दी गई कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (human resource development ministry) यह निर्णित कर चुकी है कि केंद्र सरकार से पोषित उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों के नियमित शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 कर दी जाए. इसके पश्चात यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (University Grant Commission) ने भी 30 जून 2010 को रेग्युलेशन्स, 2010 पारित किया. उक्त रेग्युलेशन के प्रावधानों में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा जारी 31 दिसम्बर 2008 का शासनादेश यूजीसी से संबंधित सभी विश्वविद्यालयों पर लागू होगा.
याचियों की ओर से कहा गया कि उक्त शासनादेश में नियमित शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 कर दी गई थी. यह भी दलील दी गई कि यूजीसी का 2010 का उक्त रेग्युलेशन लखनऊ विश्वविद्यालय पर भी लागू होता है व इस सम्बंध में पहले भी हाईकोर्ट निर्णय पारित कर चुकी है. न्यायालय ने सभी परिस्थितियों को देखते हुए, राज्य सरकार को टीचिंग स्टाफ के सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष करने का आदेश दिया है. साथ ही याचियों को अपने-अपने पदों पर तब तक कार्य करने की अनुमति दी है. जब तक राज्य सरकार इस सम्बंध में कोई निर्णय नहीं ले लेती.