लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों के रिटायर्ड अध्यापकों (Retired teachers) को एक बार फिर से नियुक्त करने का फैसला लिया है. दरअसल, सरकार इन रिटायर्ड अध्यापकों को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जा रही है. उप्र बेसिक शिक्षा परिषद के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने एक आदेश जारी किया. जिसमें यह कहा गया कि रिटायर्ट अध्यापकों को स्कूलों में सहयोगात्मक पर्यवेक्षण (supportive supervision) के लिए नियुक्त किया जाएगा.
सरकार के द्वारा तय किए गए मानक में रिटायर्ड अध्यापकों (Retired teachers) की नियुक्ति होनी है. 70 वर्ष से कम आयु के टीचर्स मेंटरिंग के लिए एलिजिबल होंगे और उनका कार्यकाल एक साल का होगा. चुने गए हर टीचर अपने कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू करवाने से पहले एक साल के बाद एक परफॉर्मेंस अप्रैजल से गुजरेगा. सेलेक्शन में उन टीचर्स को वरीयता दी जाएगी जो राज्य या राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता हैं. साथ ही उनके पास असिस्टेंट टीचर या हेड टीचर (प्रिंसिपल) के रूप में कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए.
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इन सभी मानकों के आधार पर सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के लिए अध्यापकों को चुना जाएगा. इसके लिए अध्यापकों को 2,500 रुपये हर महीने मोबिलिटी अलावेंस के रूप में दिया जाएगा. इसके अलावा कोई अतिरिक्त मानदेय नहीं दिया जाएगा. हर चुने गए टीचर को प्रेरणा ऐप के जरिए से कम से कम 30 स्कूलों का ऑनलाइन सपोर्टिव सुपरविजन करना होगा.
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