लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑफ रोड सेफ्टी के चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई. बैठक परिवहन विभाग और स्टेक होल्डर्स विभाग के अधिकारियों के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर हुई. उन्होंने कहा कि हम आज इस बात पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए हैं कि प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों को कैसे बचाया जाय? सड़क सुरक्षा वर्तमान में अत्यन्त गम्भीर चिन्ता का विषय बन गया है. उन्होंने कई विभागों को सड़क सुरक्षा से संबंधित तमाम सुझाव दिए, जिससे लोगों की जान बच सकती है. कहा कि हमें दुर्घटना के मामले में जापान से सीखना चाहिए और अपना लक्ष्य तय करना चाहिए. जिस तरह जापान में दुर्घटनाओं के एवज में लोगों की बहुत कम जानें जाती हैं उसी तरह भारत में होना चाहिए.
उन्होंने पुलिस विभाग और परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि मिलकर कार्य योजना बनाएं. लोगों को जागरूक करें. सड़क सुरक्षा नियमों का पालन सख्ती से कराएं, साथ ही प्रत्येक स्टेक होल्डर विभाग अपनी-अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करें. ओवर स्पीडिंग दुर्घटना का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिसकी वजह से लोगों की जान जाती है. इस पर हरहाल में अंकुश लगाएं, साथ ही वाच करें कि लोग ड्रंकन ड्राइविंग, गलत लेन, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बचें. लोगों की जान बचाना हमारा सबसे महत्वपूर्ण कार्य है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सिर्फ जन-जागरूकता से बात नहीं बनेगी. प्रभावी प्रवर्तन, रोड इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ किये जाने पर बल दिया जाय. हेल्मेट को अनिवार्य रूप से पहनना सुनिश्चित किये जाने के लिए शिक्षा विभाग के सहयोग से सभी विद्यालयों में छात्रों और शिक्षकों को सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी और निजी संस्थानों में समस्त कर्मचारियों को बिना हेल्मेट पहने परिसर में प्रवेश निषिद्ध किए जाने का सुझाव दिया. पेट्रोल पम्प पर बिना हेलमेट पेट्रोल न दिया जाए. इसी तरह सड़कों पर निजी वाहनों के दबाव को कम किये जाने के लिए यह भी सुझाव दिया कि सभी सरकारी व अर्द्धसरकारी कार्यालयों, निजी संस्थानों, विद्यालयों में सार्वजनिक वाहन के माध्यम से ही कार्यालयाध्यक्ष से लेकर सभी कर्मचारियों, प्रिंसिपल, शिक्षक से लेकर विद्यार्थियों को आना जाना अनिवार्य बनाया जाए.
पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि हादसे दो प्रकार से होते हैं एक तो जिसमें हमें घटना का पूर्वज्ञान नहीं होता, दूसरा-घटना का पहले से ज्ञान तो है, लेकिन हम जागरूक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा का सम्बन्ध इसी पहलू से है. हमें ऐसे लोगों को जागरूक करना है, जो यह जानते हैं कि बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, ड्रंकन ड्राइविंग, गलत लेन में गाड़ी चलाने पर मृत्यु हो सकती है फिर भी ऐसा करते हैं. यह हमारे आपके लिए बहुत अधिक चैलेजिंग है. कहा कि सड़क सुरक्षा के मामले में यातायात पुलिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. नियमों का इम्प्लीमेंटेशन और इनफोर्समेंट पुलिस को ही कराना होता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या सरकार केवल नियम बना सकती हैं. लोगों से नियमों का अनुपालन तो पुलिस को ही कराना है साथ ही एनएचएआई, पीडब्लूडी, स्टेट हाइवे अथॉरिटी की भी उतनी ही भूमिका है. ब्लैक स्पाॅट का चिन्हांकन, रोड सेफ्टी के साइन बोर्ड लगाना इन्हीं की जिम्मेदारी है. इसके बाद परिवहन विभाग की जिम्मेदारी आती है. लाइसेंस रद्द करना, गाड़ी की फिटनेस जांच करना परिवहन विभाग का काम है. जागरूकता अन्तिम विषय है, लोगों को जागरूक करना हम सभी की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा विषय को शामिल करने से बचपन से नवयुवकों को इसकी आदत पड़ेगी, आगे चलकर इसका लाभ समाज को मिलेगा. हम सब अपनी-अपनी भूमिका का सम्यक निर्वहन करें तो भी सड़क दुर्घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आयेगी. हम सभी को गुड सेमेटेरियन बनने की जरूरत है. सड़क पार करते असहाय की मदद हम सभी को करनी चाहिए. हम यदि लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएं तो भगवान हम सबकी रक्षा करेगा. विश्वास कीजिए जिस दिन आप किसी की मदद करते हैं, तो उस दिन आपको सन्तोष अवश्य मिलता है. सड़क दुर्घटना में अपंग होने वाला व्यक्ति खुद तो पीड़ित होता है साथ ही पूरा परिवार परेशानी में आ जाता है.
पूर्व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की वास्तविकता हमें स्वीकार करनी होगी. पूरे विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में भारत का प्रथम स्थान है. उसमें यूपी पूरे देश में पहला स्थान रखता है. एक आंकड़े के अनुसार, यूपी में प्रतिवर्ष लगभग 20 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं. जब कि भारतवर्ष में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं. अगर विश्व में अन्य देशों पर फोकस करें तो यह आंकड़ा बहुत कम है. अमेरिका में 37 हजार जर्मनी में तीन हजार, जापान में चार हजार, चीन में 16 सौ सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु होती है, जो कि भारत की तुलना में बहुत कम है. ऐक्सीडेंट्स की तुलना में कैजुअलिटी देखें तो यह आंकड़ा आश्चर्यजनक है. जापान में प्रतिवर्ष 4.99 लाख ऐक्सीडेंट्स होते हैं और मृत्यु केवल 4000, जर्मनी में 3.08 लाख ऐक्सीडेंट्स में से 3000 हजार मृत्यु, चीन में 3.61 लाख ऐक्सीडेंट्स 1600 मृत्यु, अमेरिका में 22 लाख ऐक्सीडेंटस में से 37 हजार मृत्यु होती है, जबकि भारत में 4.80 लाख ऐक्सीडेंट्स में से लगभग 1.50 लाख मृत्यु हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम लोगों को जागरूक करें, नियमों का पालन करें और कराएं तो हम जापान की श्रेणी में आ सकते हैं.
समीक्षा बैठक के दौरान प्रमुख सचिव परिवहन वेंकेटेश्वर लू, एडीजी यातायात निदेशालय व सड़क सुरक्षा अनुपमा कुलश्रेष्ठ, प्रबंध निदेशक परिवहन निगम संजय कुमार, परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.
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