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मेडिकल की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को होगी आसानी, रिटायर्ड चिकित्सक ने हिंदी में लिखी यह किताब

मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को आसानी हो इसके लिए सेवानिवृत्त चिकित्सक ने हिंदी में एक किताब लिखी है. इस पुस्तक में पोस्टमार्टम की सभी बारीकियों को हिंदी में लिखा गया है.

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Published : Jul 10, 2023, 12:08 PM IST

Updated : Jul 10, 2023, 2:31 PM IST

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संवाददाता अपर्णा शुक्ला की खास रिपोर्ट

लखनऊ : एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में आसानी हो इसके लिए लखनऊ के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में अपनी सेवा दे चुके सेवानिवृत्त डॉ. टीआर कालरा ने पोस्टमार्टम पर एक पुस्तक लिखी है. इस पुस्तक में सबसे 'शव विच्छेदन' यानी कि पोस्टमार्टम की सभी बारीकियों को हिंदी में लिखा गया है, ताकि छात्र-छात्राओं को आसानी से समझ में आए.

सेवानिवृत्त चिकित्सक डाॅ. टीआर कालरा ने बताया कि 'यह पुस्तक लिखने के लिए मेरी पत्नी डॉ. रीता कालरा हमेशा से प्रेरित करती रही हैं. वह स्वयं एक डॉक्टर थीं. पत्नी डॉ. रीता कालरा ने केजीएमयू, एसजीपीजीआई और सिविल अस्पताल जैसे बड़े संस्थानों में अपनी सेवा दी है. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी हमेशा कहती थी कि हिंदी वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए भी कुछ ऐसी किताबें होनी चाहिए जिससे उन्हें पोस्टमार्टम के बारे में बेहतरीन जानकारी प्राप्त हो सके. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के जो भी छात्र-छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई करते हैं, उन्हें इंग्लिश समझने में दिक्कत होती है. आज भी ऐसे छात्र-छात्राओं की संख्या एमबीबीएस में बहुत है जो यह अपेक्षा रखते हैं कि हिंदी में भी किताबें आएं. यह किताब डॉ. टीआर कालरा ने अपनी पत्नी को समर्पित की है. उन्होंने कहा कि जिस वक्त बलरामपुर अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे थे, उस समय उनके सीनियर अधिकारी ने यह कहा था कि जरूरी नहीं है कि चिकित्सा क्षेत्र में तीन वर्ष पूरे होने के बाद ही पोस्टमार्टम किया जाए. अगर अभी नहीं करोंगे तो सिखोंगे कब. उन्होंने बताया कि 10 साल तक वह सिविल अस्पताल में तैनात रहे फिर उसके बाद 10 साल तक बलरामपुर अस्पताल में तैनात रहे और वहीं पर उन्होंने पोस्टमार्टम करना शुरू किया.'

एमबीबीएस के विद्यार्थियों को होगी आसानी
एमबीबीएस के विद्यार्थियों को होगी आसानी


सेवानिवृत्त डॉ. टीआर कालरा ने बताया कि 'प्रदेश में लेडी डॉक्टरों की मेडिकोलीगल जहरखुरानी व जटिल पोस्टमार्टम के लिए आवश्यकता को देखते हुए अपनी दो बेटियों में से एक को फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में 'एमडी' का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स विशेष रूप से जनहित में कराया. आज वह इसी विषय में फैकल्टी ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में इसी प्रदेश के मेडिकल काॅलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि यह एमबीबीएस कोर्स कर रहे और प्रयोगात्मक कार्य के लिए हर चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों व अन्य पैरामेडिकल चिकित्सीय स्टाफ के कार्यों के लिए अन्य छात्र-छात्राओं के हित में भी उपयोगी रहेगी.'

क्या है 'शव विच्छेदन' : सेवानिवृत्त डॉ. टीआर कालरा ने बताया कि 'शव विच्छेदन (पोस्टमार्टम) उस समय किया जाता है जब व्यक्ति के मौत का सही समय और कारण जानना होता है. पोस्टमार्टम से किसी भी शव का सटीक समय और कारण का पता लगाया जाता है. इसे करने में फॉरेंसिक डॉक्टर्स शव के सभी अंगों का पूरी तरह विच्छेदन करते हैं क्योंकि मौत का कारण एक या एक से अधिक अंगों में आई चोट व खराबी के होने से भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि शव विच्छेदन का कार्य चिकित्सक द्वारा स्वयं किया जाना चाहिए. इसे शव गृह के दूसरे कर्मचारी पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए. शवगृह के अन्य कर्मचारी को विच्छेदन कार्य कर रहे चिकित्सक को उसकी आवश्यकतानुसार सहयोग करना चाहिए.

डॉ. टीआर कालरा ने बताया कि 'जब भी किसी व्यक्ति की मौत के पीछे संदेह होता है तब पुलिस पोस्टमार्टम के लिए कहती है. पोस्टमार्टम करने के पूर्व मृतक के निकट संबंधी से सहमति प्राप्त करना, प्रशासन की अनुमति और शरीर का पंचनामा होना जरूरी होता है.'

यह भी पढ़ें : Vegetable price in UP: 160 रुपये किलो बिक रहा टमाटर, यहां देखें आज की रेट लिस्ट

संवाददाता अपर्णा शुक्ला की खास रिपोर्ट

लखनऊ : एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में आसानी हो इसके लिए लखनऊ के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में अपनी सेवा दे चुके सेवानिवृत्त डॉ. टीआर कालरा ने पोस्टमार्टम पर एक पुस्तक लिखी है. इस पुस्तक में सबसे 'शव विच्छेदन' यानी कि पोस्टमार्टम की सभी बारीकियों को हिंदी में लिखा गया है, ताकि छात्र-छात्राओं को आसानी से समझ में आए.

सेवानिवृत्त चिकित्सक डाॅ. टीआर कालरा ने बताया कि 'यह पुस्तक लिखने के लिए मेरी पत्नी डॉ. रीता कालरा हमेशा से प्रेरित करती रही हैं. वह स्वयं एक डॉक्टर थीं. पत्नी डॉ. रीता कालरा ने केजीएमयू, एसजीपीजीआई और सिविल अस्पताल जैसे बड़े संस्थानों में अपनी सेवा दी है. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी हमेशा कहती थी कि हिंदी वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए भी कुछ ऐसी किताबें होनी चाहिए जिससे उन्हें पोस्टमार्टम के बारे में बेहतरीन जानकारी प्राप्त हो सके. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के जो भी छात्र-छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई करते हैं, उन्हें इंग्लिश समझने में दिक्कत होती है. आज भी ऐसे छात्र-छात्राओं की संख्या एमबीबीएस में बहुत है जो यह अपेक्षा रखते हैं कि हिंदी में भी किताबें आएं. यह किताब डॉ. टीआर कालरा ने अपनी पत्नी को समर्पित की है. उन्होंने कहा कि जिस वक्त बलरामपुर अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे थे, उस समय उनके सीनियर अधिकारी ने यह कहा था कि जरूरी नहीं है कि चिकित्सा क्षेत्र में तीन वर्ष पूरे होने के बाद ही पोस्टमार्टम किया जाए. अगर अभी नहीं करोंगे तो सिखोंगे कब. उन्होंने बताया कि 10 साल तक वह सिविल अस्पताल में तैनात रहे फिर उसके बाद 10 साल तक बलरामपुर अस्पताल में तैनात रहे और वहीं पर उन्होंने पोस्टमार्टम करना शुरू किया.'

एमबीबीएस के विद्यार्थियों को होगी आसानी
एमबीबीएस के विद्यार्थियों को होगी आसानी


सेवानिवृत्त डॉ. टीआर कालरा ने बताया कि 'प्रदेश में लेडी डॉक्टरों की मेडिकोलीगल जहरखुरानी व जटिल पोस्टमार्टम के लिए आवश्यकता को देखते हुए अपनी दो बेटियों में से एक को फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में 'एमडी' का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स विशेष रूप से जनहित में कराया. आज वह इसी विषय में फैकल्टी ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में इसी प्रदेश के मेडिकल काॅलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि यह एमबीबीएस कोर्स कर रहे और प्रयोगात्मक कार्य के लिए हर चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों व अन्य पैरामेडिकल चिकित्सीय स्टाफ के कार्यों के लिए अन्य छात्र-छात्राओं के हित में भी उपयोगी रहेगी.'

क्या है 'शव विच्छेदन' : सेवानिवृत्त डॉ. टीआर कालरा ने बताया कि 'शव विच्छेदन (पोस्टमार्टम) उस समय किया जाता है जब व्यक्ति के मौत का सही समय और कारण जानना होता है. पोस्टमार्टम से किसी भी शव का सटीक समय और कारण का पता लगाया जाता है. इसे करने में फॉरेंसिक डॉक्टर्स शव के सभी अंगों का पूरी तरह विच्छेदन करते हैं क्योंकि मौत का कारण एक या एक से अधिक अंगों में आई चोट व खराबी के होने से भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि शव विच्छेदन का कार्य चिकित्सक द्वारा स्वयं किया जाना चाहिए. इसे शव गृह के दूसरे कर्मचारी पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए. शवगृह के अन्य कर्मचारी को विच्छेदन कार्य कर रहे चिकित्सक को उसकी आवश्यकतानुसार सहयोग करना चाहिए.

डॉ. टीआर कालरा ने बताया कि 'जब भी किसी व्यक्ति की मौत के पीछे संदेह होता है तब पुलिस पोस्टमार्टम के लिए कहती है. पोस्टमार्टम करने के पूर्व मृतक के निकट संबंधी से सहमति प्राप्त करना, प्रशासन की अनुमति और शरीर का पंचनामा होना जरूरी होता है.'

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Last Updated : Jul 10, 2023, 2:31 PM IST
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