लखनऊ: प्रदेश सरकार स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को लेकर एक्शन में है. इसके बाद भी राजधानी लखनऊ के भौली गांव की 10 हजार लोगों की आबादी को स्वास्थ्य संबंधी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं. इससे ग्रामीणों को समय रहते इलाज नहीं मिल पाता है. ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1947 में आयुर्वेदिक अस्पताल खोला गया था. यह भी अब बंद हो चुका है. स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या होने पर लोगों को इलाज कराने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है.
न कोई अस्पताल, न दवाखाना
राजधानी लखनऊ स्थित बख्शी का तालाब में सबसे बड़ा गांव भौली है. यह 31 दिसंबर 2009 को नगर पंचायत में शामिल किया गया था. इस गांव में 2 वार्ड हैं. इन दोनों वार्डों की जनसंख्या लगभग 10 हजार है. इसके बाद भी यहां न तो कोई अस्पताल है, न ही दवाखाना है. यहां की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे हैं. यहां वर्ष 1947 में जिला परिषद लखनऊ ने आयुर्वेदिक अस्पताल खोला था.
1995 में खोला गया स्वास्थ्य परिवार कल्याण केंद्र
इस दवाखाने में आसपास के गांव के लोग इलाज कराने आते थे. पिछले दो दशक से आयुर्वेदिक अस्पताल बंद है. उसके बाद से आज तक यहां पर कोई भी स्वास्थ संबंधी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. महिलाओं से संबंधित सुविधाओं की बात करें तो वर्ष 1995 में मातृ स्वास्थ्य परिवार कल्याण केंद्र खोला गया था. इसमें आज सिर्फ गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण होते हैं. महिला प्रसव की यहां कोई व्यवस्था नहीं है. अचानक कोई घटना या दुर्घटना हो जाने पर गांव से 5-7 किमी दूर जाना पड़ता है.
स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर परेशानियां हो रही थीं. इसको लेकर नगर पंचायत के सीईओ को पत्र लिखा गया है. कोरोना वैश्विक महामारी के चलते काम में समस्या आई है. गांव के लोगों की समस्या का समाधान कराने के लिए अधिकारियों को सूचित किया है. यहां पर एक पीएचसी खोली जानी चाहिए, जिससे लोगों को इलाज के लिए गांव से बाहर न जाना पड़े.
-रामू रावत, पार्षद पति