लखनऊः मार्च में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले गांव और जिला पंचायतों में आरक्षण लागू करने को लेकर होने वाली प्रक्रिया अब नये सिरे से की जायेगी. इसके लिए पंचायती राज निदेशालय की ओर से वार्डों के आरक्षण का फार्मूला शासन को भेजा गया है. शासन की ओर से अगर इसे हरी झंड़ी मिली, तो गांव क्षेत्र के जिला पंचायतों का आरक्षण नये तरीके से होगा. इसके साथ ही प्रदेश की कई सीटों में बदलाव भी होंगे.
चक्रानुक्रम में होगा आरक्षण
पंचायत चुनाव से पहले परिसीमन का काम प्रदेश भर में चल रहा है. आरक्षण को लेकर भी तैयारियां तेज हैं. अब पंचायती राज निदेशालय ने आरक्षण का फार्मूला शासन को भेजा है. आरक्षण चक्रानुक्रम में होगा. लेकिन पिछली बार अनुसूचित जाति और दूसरे पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पंचायतों में इस बार इन वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं होगी. नये नगरीय निकायों के गठन और सीमा विस्तार का असर आरक्षण निर्धारण पर भी पड़ सकता है.
आबादी के आधार पर होगा आरक्षण
त्रिस्तरीय पंचायतों के आंशिक परिसीमन की प्रक्रिया आखिरी चरण में है. इसके बाद हर ब्लॉक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए गांव पंचायतों की सूची वर्णमाला के आधार पर बनाई जायेगी. इसमें ये भी दर्शाया जायेगा कि साल 1995 में कौन सी ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी. पंचायती राज निदेशालय ने शासन को फार्मूला भेजा है. जिसके मुताबिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या ब्लॉक में अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते हुए क्रम में आवंटित किए जाने की बात कही गई है. इसके साथ ही आरक्षण का निर्धारण होगा.
पंचायती राज निदेशालय के शासन को भेजे गये आरक्षण फार्मूले के मुताबिक जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर आरक्षण संबंधी प्रक्रिया शासन स्तर पर होगी. जिलावार प्रमुख और विकासखंडवार प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या शासन और निदेशालय स्तर से तय करके डीएम को उपलब्ध कराई जाएगी. क्षेत्र पंचायत प्रमुख के आरक्षित पद ब्लॉक और ग्राम पंचायतों के प्रधानों के आरक्षित पदों और तीनों स्तर की पंचायतों में आरक्षित वर्गों के आवंटन की कार्रवाई डीएम के स्तर पर होगी.