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पंचायत चुनावः आरक्षण की आपत्तियों का निस्तारण शुरू, 27 को जारी हो सकती है अधिसूचना

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले पंचायतों के आरक्षण को लेकर सभी जिलो में आई आपत्तियों का निस्तारण शुरू कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि हर जिले में महिला और ओबीसी आरक्षण को लेकर आपत्तियां ज्यादा दर्ज कराई गई हैं. ओबीसी कोटे में आरक्षित सीटों में महिलाओं के हिस्से में आई 33 फीसदी सीटों के मानक को ज्यादा बताया गया है.

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Published : Mar 25, 2021, 5:23 AM IST

पंचायत भवन.
पंचायत भवन.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले पंचायतों के आरक्षण को लेकर सभी जिलो में आई आपत्तियों का निस्तारण शुरू कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि हर जिले में महिला और ओबीसी आरक्षण को लेकर आपत्तियां ज्यादा दर्ज कराई गई हैं. ओबीसी कोटे में आरक्षित सीटों में महिलाओं के हिस्से में आई 33 फीसदी सीटों के मानक को ज्यादा बताया गया है. सामान्य वर्ग में महिलाओं को 33 फीसदी से कम आरक्षण है. ऐसी स्थिति में इन्हें ही आपत्तियों में शामिल कर लिया गया है. सबसे ज्यादा आपत्तियां ग्राम प्रधानों के पदों पर आई हैं.

निदेशक पंचायतीराज.
निदेशक पंचायतीराज.
2015 को आरक्षण का मूल वर्ष मानकर जारी किया गया था आरक्षण

सूत्रों का कहना है कि सभी जिलों में सैकड़ों की संख्या में आपत्तियां आई हैं. इनमें आरक्षण को लेकर वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानने को लेकर आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं. अब इन आपत्तियों के निस्तारण का काम सभी जिलों में शुरू कर दिया गया है. आपत्तियों का निस्तारण करते हुए पंचायतों के आरक्षण की अंतिम सूची 26 मार्च को जारी करनी है. इसके बाद 27 मार्च को पहले शासन स्तर पर और फिर उसके बाद राज निर्वाचन आयोग के स्तर पर पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है.

चार चरणों में होंगे चुनाव

पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में चार अलग-अलग तारीखों में यानी चार चरणों में कराए जाने हैं. एक जिले में पंचायत चुनाव एक चरण में ही कराया जाएगा. प्रदेश के सभी मंडलों को चार भागों में बांटते हुए एक मंडल से 1-1 जिला लेते हुए पंचायत चुनाव कराया जाएगा. पंचायतों के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने वर्ष 2015 को आधार वर्ष यानी मूल वर्ष मनाते हुए पंचायतों के लिए आरक्षण लागू किया था. इसी फार्मूले के आधार पर आरक्षण जारी किया गया था. इसको लेकर आपत्तियां दर्ज करने की समय सीमा 24 मार्च तक थी. इसके बाद अब अब आपत्तियों के निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

यह भी पढ़ेंः सरकार ने प्रशासक की नियुक्ति का फैसला लिया वापस, 20 अप्रैल को होगा चुनाव


26 मार्च को जारी होनी है आरक्षण की अंतिम सूची

सभी जिलों से आपत्तियों का निस्तारण करते हुए 26 मार्च तक अंतिम सूची फाइनल करते हुए शासन को आरक्षण की फाइनल सूची भेजी जानी है. इस बीच हाईकोर्ट द्वारा 2015 को मूल वर्ष मनाते हुए आरक्षण प्रक्रिया जारी करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है. ऐसे में 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को लेकर सुनवाई होनी है. इस याचिका पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले पंचायतों के आरक्षण को लेकर सभी जिलो में आई आपत्तियों का निस्तारण शुरू कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि हर जिले में महिला और ओबीसी आरक्षण को लेकर आपत्तियां ज्यादा दर्ज कराई गई हैं. ओबीसी कोटे में आरक्षित सीटों में महिलाओं के हिस्से में आई 33 फीसदी सीटों के मानक को ज्यादा बताया गया है. सामान्य वर्ग में महिलाओं को 33 फीसदी से कम आरक्षण है. ऐसी स्थिति में इन्हें ही आपत्तियों में शामिल कर लिया गया है. सबसे ज्यादा आपत्तियां ग्राम प्रधानों के पदों पर आई हैं.

निदेशक पंचायतीराज.
निदेशक पंचायतीराज.
2015 को आरक्षण का मूल वर्ष मानकर जारी किया गया था आरक्षण

सूत्रों का कहना है कि सभी जिलों में सैकड़ों की संख्या में आपत्तियां आई हैं. इनमें आरक्षण को लेकर वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानने को लेकर आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं. अब इन आपत्तियों के निस्तारण का काम सभी जिलों में शुरू कर दिया गया है. आपत्तियों का निस्तारण करते हुए पंचायतों के आरक्षण की अंतिम सूची 26 मार्च को जारी करनी है. इसके बाद 27 मार्च को पहले शासन स्तर पर और फिर उसके बाद राज निर्वाचन आयोग के स्तर पर पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है.

चार चरणों में होंगे चुनाव

पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में चार अलग-अलग तारीखों में यानी चार चरणों में कराए जाने हैं. एक जिले में पंचायत चुनाव एक चरण में ही कराया जाएगा. प्रदेश के सभी मंडलों को चार भागों में बांटते हुए एक मंडल से 1-1 जिला लेते हुए पंचायत चुनाव कराया जाएगा. पंचायतों के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने वर्ष 2015 को आधार वर्ष यानी मूल वर्ष मनाते हुए पंचायतों के लिए आरक्षण लागू किया था. इसी फार्मूले के आधार पर आरक्षण जारी किया गया था. इसको लेकर आपत्तियां दर्ज करने की समय सीमा 24 मार्च तक थी. इसके बाद अब अब आपत्तियों के निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

यह भी पढ़ेंः सरकार ने प्रशासक की नियुक्ति का फैसला लिया वापस, 20 अप्रैल को होगा चुनाव


26 मार्च को जारी होनी है आरक्षण की अंतिम सूची

सभी जिलों से आपत्तियों का निस्तारण करते हुए 26 मार्च तक अंतिम सूची फाइनल करते हुए शासन को आरक्षण की फाइनल सूची भेजी जानी है. इस बीच हाईकोर्ट द्वारा 2015 को मूल वर्ष मनाते हुए आरक्षण प्रक्रिया जारी करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है. ऐसे में 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को लेकर सुनवाई होनी है. इस याचिका पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं.

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