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16 हजार मिलियन लीटर रोज खराब हो रहा पेयजल, लखनऊ की गोमती छठी सबसे प्रदूषित नदी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 23, 2023, 10:42 AM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय में हुई रिसर्च (Research in Lucknow University) के अनुसार बड़े शहरों में 16 हजार मिलियन लीटर पेयजल हर रोज प्रदूषित हो रहा है. यह प्रदूषित जल रोजाना एक लाख से अधिक आबादी को सप्लाई होता है. शोध के अनुसार लखनऊ की गोमती छठी सबसे प्रदूषित नदी बन गई है.

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लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के दो प्रोफेसर को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (सीएसटी) उत्तर प्रदेश की ओर से नदियों में घुल रहे औद्योगिक अपशिष्ट को दूर करने और इस रिसर्च करने के लिए 16 लाख रुपये की ग्रांट दी गई है. इससे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिभा बंसल की ओर से नदियों में घुल रहे अपशिष्ट चीजों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को भेजा गया था.

लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिभा बंसल.
लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिभा बंसल.

नदियों में घुल रहा है औद्योगिक प्रदूषण : रिपोर्ट में बताया गया कि एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्र में 16 हजार मिलियन लीटर जल बढ़ते प्रदूषण के कारण रोज खराब हो रहा है. इसके अलावा नदियों में बह रहे घुल रहे औद्योगिक प्रदूषण के कारण हमारी नदियों का जल का 33 फीसदी जल निष्प्रयोग होने और औद्योगिक नगरी से निकलने वाले अपशिष्ट के कारण खराब हो रहे हैं. एलयू एक दोनों प्रोफेसर के संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर सीएसटी ने नदियों में बह रहे औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी के विकसित करने के लिए इन्हें ग्रांट मुहैया कराया है.


प्रदूषण के आंकड़े.
प्रदूषण के आंकड़े.


महानगरों की नदियों की स्थिति बेहद खराब : प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा के अनुसार राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के बड़े महानगरों में बह रही नदियों की स्थिति काफी खराब है. विशेष तौर पर लखनऊ की गोमती नदी तो प्रदेश की छठी सबसे प्रदूषित नदी बन चुकी है. इसके बाद भी इस नदी में औद्योगिक क्षेत्र से निकला हुआ प्रदूषण धड़ल्ले से छोड़ा जा रहा है. ऐसे में अपशिष्ट जल नदी के पानी में मिलकर पूरे पानी को भी दूषित कर रहा है. उन्होंने बताया कि देश और प्रदेश में बढ़ते जल प्रदूषण को लेकर सरकार ने चिंता जताई है. ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की टीम ने इससे निजात दिलाने के लिए एक नैनो टेक्नोलॉजी विकसित करने का प्रस्ताव सीएसटी को भेजा था.

यह भी पढ़ें : लखनऊ के कुकरैल के आसपास का पानी पीने लायक नहीं, शोध में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

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लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के दो प्रोफेसर को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (सीएसटी) उत्तर प्रदेश की ओर से नदियों में घुल रहे औद्योगिक अपशिष्ट को दूर करने और इस रिसर्च करने के लिए 16 लाख रुपये की ग्रांट दी गई है. इससे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिभा बंसल की ओर से नदियों में घुल रहे अपशिष्ट चीजों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को भेजा गया था.

लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिभा बंसल.
लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिभा बंसल.

नदियों में घुल रहा है औद्योगिक प्रदूषण : रिपोर्ट में बताया गया कि एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्र में 16 हजार मिलियन लीटर जल बढ़ते प्रदूषण के कारण रोज खराब हो रहा है. इसके अलावा नदियों में बह रहे घुल रहे औद्योगिक प्रदूषण के कारण हमारी नदियों का जल का 33 फीसदी जल निष्प्रयोग होने और औद्योगिक नगरी से निकलने वाले अपशिष्ट के कारण खराब हो रहे हैं. एलयू एक दोनों प्रोफेसर के संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर सीएसटी ने नदियों में बह रहे औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी के विकसित करने के लिए इन्हें ग्रांट मुहैया कराया है.


प्रदूषण के आंकड़े.
प्रदूषण के आंकड़े.


महानगरों की नदियों की स्थिति बेहद खराब : प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा के अनुसार राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के बड़े महानगरों में बह रही नदियों की स्थिति काफी खराब है. विशेष तौर पर लखनऊ की गोमती नदी तो प्रदेश की छठी सबसे प्रदूषित नदी बन चुकी है. इसके बाद भी इस नदी में औद्योगिक क्षेत्र से निकला हुआ प्रदूषण धड़ल्ले से छोड़ा जा रहा है. ऐसे में अपशिष्ट जल नदी के पानी में मिलकर पूरे पानी को भी दूषित कर रहा है. उन्होंने बताया कि देश और प्रदेश में बढ़ते जल प्रदूषण को लेकर सरकार ने चिंता जताई है. ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग की टीम ने इससे निजात दिलाने के लिए एक नैनो टेक्नोलॉजी विकसित करने का प्रस्ताव सीएसटी को भेजा था.

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