लखनऊ : अल्ट्रासाउंड जांच के बाद अब गर्भवती महिलाओं का सीटी स्कैन या एमआरआई जांच करना भी डायग्नोस्टिक सेंटर को महंगा पड़ सकता है. जांच करने वाले सेंटर्स को सीटी स्कैन और एमआरआई जांच करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय (Office of the Chief Medical Officer) में रिपोर्टिंग करनी होगी. उन्हें बताना होगा कि पूरे माह में कितनी गर्भवती महिलाओं का सीटी स्कैन या एमआरआई हुआ रिपोर्ट न करने वाले डायग्नोस्टिक सेंटर्स का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है.
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केडी मिश्र (Deputy Chief Medical Officer Dr. KD Mishra) ने बताया कि निर्देश महानिदेशक परिवार कल्याण उप्र द्वारा जारी हुआ है. उन्होंने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत, गर्भवती महिलाओं में लिंग की पहचान करने वाले प्रत्येक उपायों पर नजर रखनी होती है. कई बार अन्य वजहों से गर्भवती महिलाओं को सीटी स्कैन व एमआरआई जांच करानी पड़ती है. इससे भी गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग का पता किया जा सकता है. लिहाजा अब गर्भवती महिलाओं का एमआरआई सीटी स्कैन की मासिक रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय को देनी होगी.
आधार कार्ड जमा करने के बाद होगी जांच : डॉ. मिश्र ने बताया कि लखनऊ में 70 से 80 डायग्नोस्टिक सेंटर व अस्पतालों में एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन लगी है. इसमें सरकारी व प्राइवेट क्षेत्र के अस्पताल भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड जमा करने के बाद भी गर्भवती महिला की सीटी व एमआरआई जांच की जा सकेगी. नियम पूरी तरह से लागू कर दिया गया है. नियम का पालन न करने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा.
गर्भवती की एमआरआई और सीटी स्कैन जांच की भी होगी रिपोर्टिंग - उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ केडी मिश्र
अल्ट्रासाउंड जांच के बाद अब गर्भवती महिलाओं का सीटी स्कैन या एमआरआई जांच करना भी डायग्नोस्टिक सेंटर को महंगा पड़ सकता है. जांच करने वाले सेंटर्स को सीटी स्कैन और एमआरआई जांच करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में रिपोर्टिंग करनी होगी.
लखनऊ : अल्ट्रासाउंड जांच के बाद अब गर्भवती महिलाओं का सीटी स्कैन या एमआरआई जांच करना भी डायग्नोस्टिक सेंटर को महंगा पड़ सकता है. जांच करने वाले सेंटर्स को सीटी स्कैन और एमआरआई जांच करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय (Office of the Chief Medical Officer) में रिपोर्टिंग करनी होगी. उन्हें बताना होगा कि पूरे माह में कितनी गर्भवती महिलाओं का सीटी स्कैन या एमआरआई हुआ रिपोर्ट न करने वाले डायग्नोस्टिक सेंटर्स का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है.
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केडी मिश्र (Deputy Chief Medical Officer Dr. KD Mishra) ने बताया कि निर्देश महानिदेशक परिवार कल्याण उप्र द्वारा जारी हुआ है. उन्होंने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत, गर्भवती महिलाओं में लिंग की पहचान करने वाले प्रत्येक उपायों पर नजर रखनी होती है. कई बार अन्य वजहों से गर्भवती महिलाओं को सीटी स्कैन व एमआरआई जांच करानी पड़ती है. इससे भी गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग का पता किया जा सकता है. लिहाजा अब गर्भवती महिलाओं का एमआरआई सीटी स्कैन की मासिक रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय को देनी होगी.
आधार कार्ड जमा करने के बाद होगी जांच : डॉ. मिश्र ने बताया कि लखनऊ में 70 से 80 डायग्नोस्टिक सेंटर व अस्पतालों में एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन लगी है. इसमें सरकारी व प्राइवेट क्षेत्र के अस्पताल भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड जमा करने के बाद भी गर्भवती महिला की सीटी व एमआरआई जांच की जा सकेगी. नियम पूरी तरह से लागू कर दिया गया है. नियम का पालन न करने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा.