लखनऊ: इमाम-ए-जुमा और शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने जिला प्रशासन के खिलाफ सख्त तेवर अख्तियार कर लिया है. मौलाना कल्बे जवाद ने लखनऊ के बड़े इमामबाड़े में एक मजलिस को संबोधित करते हुए एलान किया है कि लखनऊ के ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े में बड़े पैमाने पर मजलिसों का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान मौलाना ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा के यह इमामबाड़े हमारी अजादारी के मकसद के लिए बनाए गए और अजादारी हमारा हक है, लिहाज़ा इसको हमसे कोई नहीं छीन सकता है. मौलाना ने डीएम से अपना बयान वापस लेने और लिखित तौर पर स्प्ष्ट करने कि मांग की है कि यह इमामबाड़े धार्मिक स्थल हैं या नहीं.
मौलाना कल्बे जवाद ने बड़े इमामबाडे में मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि अदब की सरजमी लखनऊ अज़ादारी का मरकज़ है. यह इमामबाड़े हमारी अज़ादारी के मक़सद से बनवाए गए थे न कि इनको सैरगाह के इस्तेमाल के लिए जाना जाए. मौलाना ने कहा कि यहां आने वाले पर्यटकों का खैरमकदम है, लेकिन यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि सैलानियों को आने की इजाज़त तो दी जाए, लेकिन मजलिस, मातम और अज़ादारी की इजाज़त न दी जाय.
मौलाना ने कहा कि ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े के लिए यह कहा जाए कि यह एक मज़हबी मक़ाम है भी या नहीं. मौलाना ने जिला प्रशासन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनका यह बयान नियत में शक पैदा करने जैसा मालूम देता है. मौलाना कल्बे जवाद ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि कोरोना की महामारी को देखते हुए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखते हुए मुहर्रम से जुड़े तमाम प्रोग्राम बड़े इमामबाड़े के अंदर किए जाएंगे, जो अब तक नहीं हो सके थे.
हालांकि मौलाना के एलान के बाद जिला प्रशासन ने कल्बे जवाद से बातचीत की. इसके बाद उन्होंने सोमवार दिन की मजलिस के कार्यक्रम को टाल दिया. जिला प्रशासन को एक दिन की मोहलत दी है, लेकिन मौलाना ने सोमवार शाम मजलिस और मातम पहले की तरह करने की बात कही है.