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पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से राहत, 50 हजार के मुचलके पर वारंट निरस्त करने का आदेश - लखनऊ की ख़बर

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने पूर्व विधायक प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी का वारंट निरस्त कर दिया है. उन्हें 50 हजार के निजी मुचलके पर वारंट निरस्त करने का आदेश दिया है.

पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से राहत
पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से राहत
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Published : Feb 24, 2021, 10:28 PM IST

लखनऊः पूर्व विधायक प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से राहत मिल गयी है. कोर्ट ने वारंट निरस्त करते हुए, उसे 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है. पूर्व विधायक पर पेट्रोल पंप बेचने के एवज में लाखों रुपये लेकर बैनामा न करने और रकम भी वापस नहीं करने का आरोप है. इस मामले में जिप्पी तिवारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में सरेंडकर कर अपने खिलाफ वारंट को निरस्त करने का अनुरोध किया था.

ये है पूरा मामला

12 जनवरी, 2008 को इस मामले की एफआईआर डॉ. सुभाष चन्द्र कुलश्रेष्ठ ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक अभियुक्त जिप्पी तिवारी ने उनसे डुमरियागंज स्थित अपना विजयी ऑटो मोबाइल पेट्रोल पम्प की भूमि, बिल्डिंग और सामान 80 लाख रुपए में बेचना तय किया था. 29 सितंबर, 2007 को उन्होंने इसके एवज में 30 लाख रुपए बतौर अग्रिम धनराशि जिप्पी तिवारी को दे दी थी. लेकिन रसीद मांगने पर जिप्पी तिवारी ने कहा कि आठ-दस दिन में बैनामा कर दूंगा. लिहाजा रसीद की आवश्यक्ता नहीं है, लेकिन वो बैनामे की तारीख आगे बढ़ाते रहे. 1 जनवरी, 2008 को बैनामा नहीं करने की स्थिति में उनसे वादी ने अपनी रकम मांगी. आरोप है कि वो रकम देने से मुकर गये. उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई पैसा नहीं है. इसके साथ ही शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी भी देने लगे. 11 दिसंबर, 2008 को विवेचना के बाद पुलिस ने इस मामले में अभियुक्त जिप्पी तिवारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 506, 419 और 420 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था.

लखनऊः पूर्व विधायक प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी को एमपी-एमएलए कोर्ट से राहत मिल गयी है. कोर्ट ने वारंट निरस्त करते हुए, उसे 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है. पूर्व विधायक पर पेट्रोल पंप बेचने के एवज में लाखों रुपये लेकर बैनामा न करने और रकम भी वापस नहीं करने का आरोप है. इस मामले में जिप्पी तिवारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में सरेंडकर कर अपने खिलाफ वारंट को निरस्त करने का अनुरोध किया था.

ये है पूरा मामला

12 जनवरी, 2008 को इस मामले की एफआईआर डॉ. सुभाष चन्द्र कुलश्रेष्ठ ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक अभियुक्त जिप्पी तिवारी ने उनसे डुमरियागंज स्थित अपना विजयी ऑटो मोबाइल पेट्रोल पम्प की भूमि, बिल्डिंग और सामान 80 लाख रुपए में बेचना तय किया था. 29 सितंबर, 2007 को उन्होंने इसके एवज में 30 लाख रुपए बतौर अग्रिम धनराशि जिप्पी तिवारी को दे दी थी. लेकिन रसीद मांगने पर जिप्पी तिवारी ने कहा कि आठ-दस दिन में बैनामा कर दूंगा. लिहाजा रसीद की आवश्यक्ता नहीं है, लेकिन वो बैनामे की तारीख आगे बढ़ाते रहे. 1 जनवरी, 2008 को बैनामा नहीं करने की स्थिति में उनसे वादी ने अपनी रकम मांगी. आरोप है कि वो रकम देने से मुकर गये. उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई पैसा नहीं है. इसके साथ ही शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी भी देने लगे. 11 दिसंबर, 2008 को विवेचना के बाद पुलिस ने इस मामले में अभियुक्त जिप्पी तिवारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 506, 419 और 420 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था.

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