लखनऊ : प्रदेश सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए एक बड़ा परिवर्तन किया गया है. अभी तक प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद और माध्यमिक शिक्षा परिषद के तहत स्कूलों का बंटवारा कर शिक्षा व्यवस्था का संचालन किया जा रहा था. सरकार ने अब दोनों ही विभागों का विलय कर महानिदेशक शिक्षा को नियुक्त कर दिया है. ऐसे में अभी तक अलग-अलग चल रहे दोनों विभाग का संचालन एक ही विभाग से होगा. सरकार के इस कदम के पीछे मंशा है कि दोनों ही विभागों में सामंजस्य बैठाकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्तापूर्ण को बढ़ाया जा सके.
सरकार की ओर से महानिदेशक शिक्षा के पद का गठन करने के साथ ही, इस पद के तहत माध्यमिक और बेसिक विभाग को जोड़ दिया है. साथ ही सरकार ने महानिदेशक शिक्षा के दायित्वों की भी घोषणाकर दी है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब इसके साथ ही दोनों विभाग मिलकर काम करेंगे. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि राज्य शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) अभी तक बेसिक के स्कूलों के पाठ्यक्रम तैयार करने, शिक्षकों को प्रशिक्षण देने सहित अन्य दूसरे काम कर रहा था, अब वही काम वह माध्यमिक के स्कूलों के लिए भी कर सकेगा, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रदेश में एससीईआरटी जैसी कोई व्यवस्था अभी तक काम नहीं कर रही है. ऐसे में इन स्कूलों के संचालन के लिए वर्षों से चला आ रहा शिक्षा पैटर्न ही लागू है.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद और बेसिक शिक्षा परिषद दोनों में ही तालमेल की भारी कमी देखने को मिल रही थी. एक ओर जहां बेसिक शिक्षा में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदेश में राज्य शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की स्थापना की गई है. एससीईआरटी के माध्यम से सरकार बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार कराने के साथ ही पुस्तकों की व्यवस्था करने और शिक्षकों के प्रशिक्षण देने आदि जैसे काम करवाती है, जिससे इन स्कूलों में शिक्षा की क्वालिटी में सुधार हो सके. वहीं दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षा परिषद में इस तरह के कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं दूसरी तरफ माध्यमिक के स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों के टीचरों की ट्रेनिंग एससीईआरटी नहीं कराता है. वहां पर पाठ्यक्रम बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयार किया जाता है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसके अलावा दोनों विभागों की कार्यप्रणाली अलग है. माध्यमिक के अधिकारी 9 से 12 तक के क्रियाकलापों में अधिक ध्यान देते हैं, उनकी बेसिक के कक्षाओं की ओर कोई विशेष रुचि नहीं होती है, जिस कारण से माध्यमिक और बेसिक के स्कूलों में भारी अंतर है.
मौजूदा समय में माध्यमिक शिक्षा परिषद के तहत 2600 के करीब राजकीय विद्यालयों व 4500 से अधिक सहायता प्राप्त विद्यालयों का संचालन किया जाता है. इन विद्यालयों में मौजूदा समय में करीब 55 से 58000 शिक्षक कार्यरत हैं. इसके अलावा इन स्कूलों में 3 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके अलावा 9000 से अधिक सेल्फ फाइनेंस स्कूलों का भी संचालन किया जाता है, जिनमें करीब 5 करोड़ के आसपास छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. माध्यमिक शिक्षा परिषद हर साल 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा में औसतन 53 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं की परीक्षा आयोजित कराता है. अब सर्व शिक्षा अभियान के तहत माध्यमिक स्कूलों के विकास के लिए रोड मैप तैयार होगा व नए सिरे से कायाकल्प किया जाएगा.
यह भी पढ़ें : एकेटीयू का दीक्षांत समारोह की तारीख बदली, अब 26 नवंबर को होगा