लखनऊ: प्रदेश सरकार ने भूगर्भ जल प्रबंधन और नियमन विधेयक 2019 के तहत नियमावली तैयार की है. इसके अनुसार भूगर्भ जल दोहन करने वाले सभी लोगों को अब सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी के पास अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. कृषि और घरेलू उपयोगकर्ताओं से हालांकि भूगर्भ जल दोहन का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन पंजीकरण कराना उनके लिए भी अनिवार्य है.
भूगर्भ जल दोहन के लिए प्रदेश सरकार ने 2019 में विधानसभा और विधान परिषद से अधिनियम पारित कराया है. प्रदेश सरकार ने इसकी भी तैयारी कर ली है. इसके तहत सभी भूगर्भ जल दोहन करने वालों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. प्रदेश सरकार ने भूगर्भ जल विभाग की वेबसाइट और प्रदेश स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक मौजूद भूगर्भ जल संरक्षण समितियों को अधिकृत किया है.
वहीं भूगर्भ जल निदेशक वी.के उपाध्याय के अनुसार रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ऑनलाइन रखा गया है. ऐसे में कोई भी आसानी से अपना पंजीकरण करा सकता है. इस व्यवस्था का मकसद प्रदेश में भूगर्भ जल दोहन के प्रामाणिक डाटा को तैयार करना है. सरकार जानना चाहती है कि प्रदेश में कहां-कहां किस-किस उपयोग के लिए भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है. जो लोग कृषि कार्य या घरेलू जरूरतों के लिए भूगर्भ जल का दोहन कर रहे हैं, उनसे कोई भी पंजीकरण शुल्क या किसी अन्य तरीके का शुल्क नहीं लिया जाएगा. वह साधारण तौर पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं.
मजदूरों को पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है. बोरिंग करने वाली कंपनियां से अपना पंजीकरण कराएंगे. उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि जो भी अति दोहित क्षेत्र हैं, वहां भूगर्भ जल दोहन के लिए बोरिंग ना करें.
-वी.के उपाध्याय, निदेशक, भूगर्भ जल विभाग
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