लखनऊ: दीपावली के ठीक पहले प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) के कर्मचारियों को बड़ा तोहफा मिला है. हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पीसीडीएफ के कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए सहायक श्रम आयुक्त लखनऊ के आदेश को सही करार दिया है.
वित्तीय संकट की दलील खारिज
कोर्ट ने सहायक आयुक्त के आदेश को बरकरार रखते हुए पीसीडीएफ की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने पीसीडीएफ की वित्तीय संकट की दलील को भी खारिज कर दिया है.
ग्रेच्युटी भुगतान करने का आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने पीसीडीएफ की ओर से सहायक श्रम आयुक्त के आदेशों को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है. सहायक श्रम आयुक्त ने सैकड़ों कर्मचारियों के प्रार्थना पत्रों पर अलग-अलग आदेश पारित करते हुए पीसीडीएफ को ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार भुगतान करने के आदेश दिये थे.
कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए किया आवेदन
दरअसल 24 सितम्बर 2015 को पीसीडीएफ की ओर से स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (वीआरएस) लाई गई, जिसमें कहा गया कि वीआरएस लेने वाले सभी कर्मचारियों को पीसीडीएफ की ग्रेच्युटी योजना के तहत भुगतान किया जाएगा. 30 सितम्बर 2015 को इसे स्पष्ट करते हुए कहा गया कि साढ़े तीन लाख रुपये से अधिक ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान नहीं किया जाएगा, जिसके बाद तमाम कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया और फरवरी 2016 तक साढ़े तीन लाख रुपये की ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान उन्हें प्राप्त हो गया.
वित्तीय संकट की दलील को भी अस्वीकार
कर्मचारियों की ओर से ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कुल साढ़े छह लाख रुपये के ग्रेच्युटी के भुगतान की मांग की गई. न्यायालय ने अपने विस्तृत आदेश में ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 14 का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रेच्युटी अधिनियम की उक्त धारा यह स्पष्ट करती है कि कोई भी करार या कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत भुगतान करने के रास्ते में नहीं आ सकता है. वहीं कोर्ट ने पीसीडीएफ द्वारा दिए वित्तीय संकट की दलील को भी अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान करने का उसका दायित्व है, वह यह कहकर नहीं बच सकता कि उसकी वित्तीय हालत ठीक नहीं है.
इसे भी पढ़ें:- कमलेश हत्याकांड : ट्रांजिट रिमांड के लिए कोर्ट में आरोपियों की पेशी, वापस लाएगी यूपी पुलिस