लखनऊ: परिवहन विभाग की तरफ से लगातार सड़क सुरक्षा के प्रति आयोजित हो रहे जागरूकता कार्यक्रमों का असर इस साल के दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर साफ तौर पर नजर आ रहा है. पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 की सड़क दुर्घटनाओं में 4 फीसद से ज्यादा की कमी आई है, वहीं मृतकों की संख्या में तकरीबन ढाई प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. यह परिवहन विभाग के लिए राहत की बात है.
उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन राज्य मंत्री अशोक कटारिया दुर्घटनाओं और मृतकों की कमी के पीछे की वजह सड़क सुरक्षा विषय पर जागरूकता अभियान, प्रवर्तन कार्य, निरीक्षण कार्य, लाइसेंसिंग का ऑटोमेशन और मोटर यान अधिनियम में संशोधन मानते हैं. उनका यह भी मानना है कि भारत सरकार हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह आयोजित करती है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार हर तीन माह में अतिरिक्त सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन करती है. जिसमें जनता को जागरूक किया जाता है, इसलिए अब जनता जागरूक हो गई है.
परिवहन आयुक्त धीरज साहू बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2019 में पिछले साल की अपेक्षा सड़क दुर्घटनाओं में 4.13% और मृतकों की संख्या में 2.42% की कमी आई है. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं एवं उनमें होने वाली मृत्यु की संख्या में पिछले वर्ष 2019 के जुलाई माह में गिरावट आना शुरू हुई जो अगस्त, नवंबर और इसी वर्ष के फरवरी माह को छोड़कर अभी तक जारी है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष मार्च माह में भी पिछले साल की अपेक्षा सड़क दुर्घटनाओं में 22 प्रतिशत और मृतकों की संख्या में 20% की कमी आई है.
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परिवहन आयुक्त धीरज साहू के मुताबिक वर्ष 2019 में कुल 41494 सड़क दुर्घटनाओं में 22115 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, जबकि पिछले साल कुल 43282 सड़क दुर्घटनाओं में 22663 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी. उन्होंने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत वर्ष 2018-19 में किए गए 48,35,657 चालान के सापेक्ष वर्ष 2019 में 68,14,633 चालान किए गए हैं. इस प्रकार चालानों की संख्या में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्ष 2019 में यातायात नियमों का पालन न करने वाले 6949 लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित किए गए. इसके अलावा पहली बार सड़क के किनारे अनधिकृत ढंग से खड़े वाहनों के विरुद्ध भी विशेष अभियान चलाकर 60913 चालान हुए. इंटरसेप्टर से भी 13291 चालान किए गए.
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर धीरज साहू ने बताया कि इस वर्ष पुलिस और परिवहन विभाग के संयुक्त अभियान में हेलमेट, सीट बेल्ट, मोबाइल फोन, ओवर स्पीडिंग पर विशेष ध्यान दिया गया. 2019-20 में हेलमेट का प्रयोग न करने वाले 27,7 7,483 लोगों, सीट बेल्ट न पहनने वाले 4,63,215 लोगों, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करने वाले 1,05,992 लोगों, ड्रंकन ड्राइविंग करने वाले 19,693 लोगों और ओवर स्पीडिंग में एक 1,14,606 लोगों के चालान किए गए.