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लखनऊ के शायर बोले, "राहत इंदौरी की चमक जमानों तक रहेगी बरकरार"

प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी साहब का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. जाहिर है कि राहत इंदौरी के निधन से शायरी की दुनिया वीरान हो गई है. उनके चाहने वाले गम में हैं. राहत इंदौरी के निधन के बाद कुछ शायरों ने अपने विचार प्रकट किए हैं.

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राहत इंदौरी का निधन.
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Published : Aug 12, 2020, 6:44 AM IST

Updated : Aug 12, 2020, 8:06 AM IST

लखनऊ: भारत के प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी साहब का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मंगलवार को वे कोरोना से संक्रमित हुए थे. इसके बाद उन्हें इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. राहत इंदौरी दुनिया का दिल शायरियों से जीतते रहे. कोरोना वायरस की जद में आए राहत इंदौरी इस दुनिया को हमेशा के लिए रुखसत करके चले गए. जाहिर है कि राहत इंदौरी के निधन से शायरी की दुनिया वीरान हो गई है. उनके चाहने वाले गम में हैं.

राहत इंदौरी के इंतकाल पर सुनिए क्या कहते हैं लखनऊ के शायर

राहत इंदौरी साहब के साथ तमाम दफा मंच साझा कर चुके शायर अभिषेक शुक्ला कहते हैं कि मैं इस खबर से परेशान हूं. यह एक बेहद अफसोसनाक दिन है कि राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. उनकी शख्सियत के बारे में अपने अनुभव बताते हुए अभिषेक कहते हैं कि मुझे याद आता है कि 2011 हमने एक मुशायरे में राहत साहब को लखनऊ बुलाया था. उनका हौसला अफजाई का तरीका इतना लुभावना था कि महज एक बार बुलाने पर ही वे लखनऊ आ गए. उन्होंने मुझे बनाया है. मेरे लिए यह क्षति कभी पूरी नहीं हो सकती. मुझे लगता है कि आगे आने वाले कई वर्षों तक राहत इंदौरी साहब जैसा कोई शायर नहीं हो पाएगा.

लखनऊ के शायरों ने राहत इंदौरी को याद किया.

राहत इंदौरी की चमक जमानों तक बरकरार रहेगी
एक शायर संजय मिश्रा शौक कहते हैं कि राहत इंदौरी उर्दू शायरी में चमकने वाला एक ऐसा सितारा था, जिसकी चमक आगे आने वाले जमानों तक बरकरार रहेगी. उर्दू स्टेज के वह सबसे बड़े शायर थे. उन्होंने कई नस्लों की आबयारी की. हमारे समाज के हर वर्ग का अपनी शायरी में उन्होंने प्रतिनिधित्व किया. यही सबब है कि उनकी शायरी नौजवान से लेकर बुजुर्ग तक सभी के जुबां पर रहती है. इसके साथ ही उन्होंने समाज को जोड़ने का भी काम किया. उनकी शायरी में आम इंसान की जुबान का इस्तेमाल होता था. उनके इंतकाल की खबर सुनकर अफसोस हुआ. यह न केवल हमारे अदब के लोगों का नुकसान है, बल्कि समाज के हर वर्ग का एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.

लखनऊ की जमीन से जुड़े हुए शायर ताज रिजवी कहते हैं कि राहत साहब की शायरी का मौजू एक आम इंसान, एक चोट खाया हुआ इंसान, तकलीफों से गुजरते हुए इंसान से जुड़ा हुआ होता था. इसी वजह से राहत इंदौरी इतनी मकबूलियत हासिल कर पाए. मैं तमाम लोगों को राहत इंदौरी के इंतकाल पर ताजियत पेश करता हूं.

लखनऊ: भारत के प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी साहब का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मंगलवार को वे कोरोना से संक्रमित हुए थे. इसके बाद उन्हें इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. राहत इंदौरी दुनिया का दिल शायरियों से जीतते रहे. कोरोना वायरस की जद में आए राहत इंदौरी इस दुनिया को हमेशा के लिए रुखसत करके चले गए. जाहिर है कि राहत इंदौरी के निधन से शायरी की दुनिया वीरान हो गई है. उनके चाहने वाले गम में हैं.

राहत इंदौरी के इंतकाल पर सुनिए क्या कहते हैं लखनऊ के शायर

राहत इंदौरी साहब के साथ तमाम दफा मंच साझा कर चुके शायर अभिषेक शुक्ला कहते हैं कि मैं इस खबर से परेशान हूं. यह एक बेहद अफसोसनाक दिन है कि राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. उनकी शख्सियत के बारे में अपने अनुभव बताते हुए अभिषेक कहते हैं कि मुझे याद आता है कि 2011 हमने एक मुशायरे में राहत साहब को लखनऊ बुलाया था. उनका हौसला अफजाई का तरीका इतना लुभावना था कि महज एक बार बुलाने पर ही वे लखनऊ आ गए. उन्होंने मुझे बनाया है. मेरे लिए यह क्षति कभी पूरी नहीं हो सकती. मुझे लगता है कि आगे आने वाले कई वर्षों तक राहत इंदौरी साहब जैसा कोई शायर नहीं हो पाएगा.

लखनऊ के शायरों ने राहत इंदौरी को याद किया.

राहत इंदौरी की चमक जमानों तक बरकरार रहेगी
एक शायर संजय मिश्रा शौक कहते हैं कि राहत इंदौरी उर्दू शायरी में चमकने वाला एक ऐसा सितारा था, जिसकी चमक आगे आने वाले जमानों तक बरकरार रहेगी. उर्दू स्टेज के वह सबसे बड़े शायर थे. उन्होंने कई नस्लों की आबयारी की. हमारे समाज के हर वर्ग का अपनी शायरी में उन्होंने प्रतिनिधित्व किया. यही सबब है कि उनकी शायरी नौजवान से लेकर बुजुर्ग तक सभी के जुबां पर रहती है. इसके साथ ही उन्होंने समाज को जोड़ने का भी काम किया. उनकी शायरी में आम इंसान की जुबान का इस्तेमाल होता था. उनके इंतकाल की खबर सुनकर अफसोस हुआ. यह न केवल हमारे अदब के लोगों का नुकसान है, बल्कि समाज के हर वर्ग का एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.

लखनऊ की जमीन से जुड़े हुए शायर ताज रिजवी कहते हैं कि राहत साहब की शायरी का मौजू एक आम इंसान, एक चोट खाया हुआ इंसान, तकलीफों से गुजरते हुए इंसान से जुड़ा हुआ होता था. इसी वजह से राहत इंदौरी इतनी मकबूलियत हासिल कर पाए. मैं तमाम लोगों को राहत इंदौरी के इंतकाल पर ताजियत पेश करता हूं.

Last Updated : Aug 12, 2020, 8:06 AM IST
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