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बदलेगी टिकैत राय तालाब की सूरत, पूर्व प्रधानमंत्री ने यहां लगवाया था फाउंटेन - लखनऊ प्राचीन इमारतें

लखनऊ की प्राचीन इमारतों को नया रंग रूप देने की तैयारी चल रही है. नवाबों की नगरी में मौजूद ऐतिहासिक इमारतें देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध हैं. बहुत जल्द ही इन इमारतों की सूरत बदलने वाली है.

तालाब को मिलेगा नया रूप
तालाब को मिलेगा नया रूप
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Published : Feb 15, 2021, 1:57 PM IST

लखनऊ: नवाबों की नगरी में मौजूद ऐतिहासिक इमारतें देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध हैं. पुराने लखनऊ में नवाबों के समय की इमारतें मौजूद हैं. इनमें ही शामिल है मोहान रोड स्थित टिकैत राय तालाब. इसका भी अपना एक इतिहास रहा है. जानकार बताते हैं कि 18 वीं सदी में नवाब आसिफुद्दौला के खास रहे दीवान राजा टिकैत राय ने इस तालाब को बनवाया था. इसको लखौरी की ईंटों से बनवाया गया था. कालान्तर में लापरवाही के चलते इस तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था. करीब 25 साल पहले तत्कालीन सांसद अटल बिहारी बाजपेई ने 25 लाख की लागत से तालाब में म्यूजिकल फाउंटेन लगाया था.

तालाब को मिलेगा नया रूप
नवाबों की नगरी में हैं कई ऐतिहासिक इमारतें

राजधानी में भूल-भुलैया, रेजिडेंसी, सफेद बारादरी, लाल बारादरी, भातखंडे संगीत विद्यालय, सतखंडा, सहादत अली खान का मकबरा, रूमी गेट, लक्ष्मण पार्क और जनरैल कोठी जैसी तमाम ऐतिहासिक इमारतें हैं. इन इमारतों को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं.

राजा टिकैत राय ने बनवाया था तालाब

इतिहासकार योगेश प्रवीन बताते हैं कि अवध के नवाब आसिफुद्दौला थे. उनके नाम से रूमी दरवाजा है. फैजाबाद पहले अवध की राजधानी हुआ करती थी. मां से अनबन होने के बाद आसिफुद्दौला घर से चले आए थे. वह जानते थे कि उनकी मां बहुत दबंग हैं. इसलिए आसिफुद्दौला फैजाबाद छोड़कर लखनऊ आ गए. इसके बाद उन्होंने लखनऊ को नये तरीके से आबाद किया. उन्हीं के शासनकाल में 1775 से 1798 के बीच टिकैत राय तालाब का निर्माण हुआ. नवाब साहब दीवान राजा टिकैत राय ने इस तालाब का निर्माण कराया था. राजा टिकैत राय बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के शख्स थे. उन्होंने कई इमारतें भी बनवाईं. राजा बाजार भी उनके ही नाम पर हैं. तालाब के आसपास का इलाका टिकैत गंज कहलाता है. मेहंदी गंज के पीछे शीतला मंदिर है. एक निशात बाग भी हुआ करता था. वह अब जर्जर अवस्था में है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कराया था सौंदर्यीकरण

उत्तराखंड रुड़की से आईं ज्योति बिष्ट बताती हैं कि उन्होंने सुना था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इस पार्क का सौंदर्यीकरण कराया था. इसमें म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया था. यहां आकर देखा तो यहां कुछ और ही नजारा देखने के लिए मिला. राजू बिष्ट बताते हैं कि हम लोग उत्तराखंड से आए थे. हम लोग यहां पर एक रिलेटिव के यहां शादी में आए थे. हमने इसके बारे में काफी सुना था. लेकिन, इसको देखने से लग रहा है कि कई महीनों से यहां झाड़ू भी नहीं लगी होगी. मैं पिछली बार यहां आया था तो फाउंटेन चल रहा था. इसकी हालत बहुत ही खराब हो चुकी है. सरकार को इसके लिए कुछ करना चाहिए.

एक करोड़ 10 लाख से होगा सौंदर्यीकरण

पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि टिकैत राय तालाब, बुद्धेश्वर मंदिर, सीता कुंड, काला पहाड़, श्मशान घाट का सौंदर्यीकरण कराने की योजना है. टिकैत राय तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये का बजट रखा गया है. इसके लिए टेंडर हो चुके हैं. जल्द ही इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू कराया जाएगा.

लखनऊ: नवाबों की नगरी में मौजूद ऐतिहासिक इमारतें देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध हैं. पुराने लखनऊ में नवाबों के समय की इमारतें मौजूद हैं. इनमें ही शामिल है मोहान रोड स्थित टिकैत राय तालाब. इसका भी अपना एक इतिहास रहा है. जानकार बताते हैं कि 18 वीं सदी में नवाब आसिफुद्दौला के खास रहे दीवान राजा टिकैत राय ने इस तालाब को बनवाया था. इसको लखौरी की ईंटों से बनवाया गया था. कालान्तर में लापरवाही के चलते इस तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था. करीब 25 साल पहले तत्कालीन सांसद अटल बिहारी बाजपेई ने 25 लाख की लागत से तालाब में म्यूजिकल फाउंटेन लगाया था.

तालाब को मिलेगा नया रूप
नवाबों की नगरी में हैं कई ऐतिहासिक इमारतें

राजधानी में भूल-भुलैया, रेजिडेंसी, सफेद बारादरी, लाल बारादरी, भातखंडे संगीत विद्यालय, सतखंडा, सहादत अली खान का मकबरा, रूमी गेट, लक्ष्मण पार्क और जनरैल कोठी जैसी तमाम ऐतिहासिक इमारतें हैं. इन इमारतों को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं.

राजा टिकैत राय ने बनवाया था तालाब

इतिहासकार योगेश प्रवीन बताते हैं कि अवध के नवाब आसिफुद्दौला थे. उनके नाम से रूमी दरवाजा है. फैजाबाद पहले अवध की राजधानी हुआ करती थी. मां से अनबन होने के बाद आसिफुद्दौला घर से चले आए थे. वह जानते थे कि उनकी मां बहुत दबंग हैं. इसलिए आसिफुद्दौला फैजाबाद छोड़कर लखनऊ आ गए. इसके बाद उन्होंने लखनऊ को नये तरीके से आबाद किया. उन्हीं के शासनकाल में 1775 से 1798 के बीच टिकैत राय तालाब का निर्माण हुआ. नवाब साहब दीवान राजा टिकैत राय ने इस तालाब का निर्माण कराया था. राजा टिकैत राय बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के शख्स थे. उन्होंने कई इमारतें भी बनवाईं. राजा बाजार भी उनके ही नाम पर हैं. तालाब के आसपास का इलाका टिकैत गंज कहलाता है. मेहंदी गंज के पीछे शीतला मंदिर है. एक निशात बाग भी हुआ करता था. वह अब जर्जर अवस्था में है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कराया था सौंदर्यीकरण

उत्तराखंड रुड़की से आईं ज्योति बिष्ट बताती हैं कि उन्होंने सुना था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इस पार्क का सौंदर्यीकरण कराया था. इसमें म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया था. यहां आकर देखा तो यहां कुछ और ही नजारा देखने के लिए मिला. राजू बिष्ट बताते हैं कि हम लोग उत्तराखंड से आए थे. हम लोग यहां पर एक रिलेटिव के यहां शादी में आए थे. हमने इसके बारे में काफी सुना था. लेकिन, इसको देखने से लग रहा है कि कई महीनों से यहां झाड़ू भी नहीं लगी होगी. मैं पिछली बार यहां आया था तो फाउंटेन चल रहा था. इसकी हालत बहुत ही खराब हो चुकी है. सरकार को इसके लिए कुछ करना चाहिए.

एक करोड़ 10 लाख से होगा सौंदर्यीकरण

पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि टिकैत राय तालाब, बुद्धेश्वर मंदिर, सीता कुंड, काला पहाड़, श्मशान घाट का सौंदर्यीकरण कराने की योजना है. टिकैत राय तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये का बजट रखा गया है. इसके लिए टेंडर हो चुके हैं. जल्द ही इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू कराया जाएगा.

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