लखनऊ. दुष्कर्म के एक मामले में विशेष न्यायाधीश (आयुर्वेद घोटाला प्रकरण) डॉ. अवनीश कुमार (Special Judge (Ayurveda Scam Case) Dr. Avnish Kumar) ने अभियुक्त चंद्र प्रकाश (accused chandra prakash) को 14 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा (14 years' rigorous imprisonment) सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की सम्पूर्ण रकम पीड़िता को दी जाएगी.
अभियोजन (Prosecution) के अनुसार घटना 24 फरवरी 2013 की रात एक बजे की है. पीड़िता अपने घर में अपनी सात वर्षीय बेटी के साथ सोई हुई थी. उसी समय अभियुक्त चन्द्र प्रकाश ने उसे आवाज दी. जैसे ही पीड़िता ने बाहर झांकने का प्रयास किया, अभियुक्त ने पीड़िता को दबोच लिया व मुंह बंद करके गले पर चाकू रख दिया और वहीं पड़े एक तख्त पर गिराकर दुष्कर्म किया.
इस दौरान पीड़िता ने मदद के लिए अपने मोबाइल से फोन करने का प्रयास किया तो अभियुक्त ने छीनकर तोड़ डाला. अगले दिन सुबह पीड़िता थाना बंथरा (Thana Banthara) गई. जहां आपबीती सुनाई, लेकिन पुलिस ने दुष्कर्म का परीक्षण न करा कर मात्र चोटों का परीक्षण कराया और एनसीआर दर्ज कर ली. पीड़िता का आरोप था कि बंथरा पुलिस अभियुक्त को पकड़कर थाने लाई थी, लेकिन पैसे लेकर छोड़ दिया. आला अधिकारियों से शिकायत के बाद 2 मार्च 2013 को मामले की एफआईआर दर्ज कर की गई और विवेचना के बाद अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र (charge sheet) प्रेषित किया गया.
नाबालिग के साथ अश्लील हरकत करने के अभियुक्त की जमानत अर्जी खारिज : विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट मयंक त्रिपाठी (Special Judge POCSO Act Mayank Tripathi) ने 15 साल की नाबालिग लड़की के साथ अश्लील हरकत करने के अभियुक्त श्रवण उर्फ गोलू की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए अपने बयान में कहा है कि अभियुक्त ने उसके अंडर गारमेंट तक उतार दिए थे. लिहाजा अभियुक्त का अपराध गंभीर प्रकृति का है. सरोजनीनगर क्षेत्र के मामले में अभियोजन की ओर से दलील दी गई थी कि पीड़िता घर पर अकेली थी. उसकी मां घर से थोड़ी दूर पर मेहंदी लगा रही थी और पिता भोजन के बाद टहलने निकले थे. इसी दौरान अभियुक्त पानी मांगने के बहाने घर में घुस गया व अकेला पाकर उसके साथ अश्लील हरकतें कीं. पीड़िता ने शोर मचाना चाहा तो उसका मुंह दबा दिया और पीड़िता व उसके परिवार को खत्म करने की धमकी दी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पीड़िता के कोर्ट के समक्ष बयान को अहम बताते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया.
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