लखनऊ: बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के विशेषाधिकार का मामला इस प्रकार से गरमाया कि प्रदेश भर में फैल गया. विधायक ने अपनी बात सदन में रखनी चाही, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला तो वह सदन में ही धरने पर बैठ गए. गुर्जर के साथ बीजेपी के विधायकों के अलावा विपक्ष के विधायक भी धरने पर बैठे हैं. यह खबर प्रदेश भर में ऐसे फैली कि बीजेपी के आधे से ज्यादा विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
सीएम योगी से की इस्तीफे की मांग
दूसरी तरफ यह मुद्दा बैठे बिठाए विपक्ष के हाथ लग गया. विपक्ष ने इस पूरे प्रकरण में आग में घी डालने जैसी भूमिका अदा की. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के विधायक इस मुद्दे को लेकर वेल में पहुंच गए. नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने तो यहां तक कह दिया कि योगी सरकार अल्पमत में है, इसलिए योगी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
प्रदेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने कहा कि आज सरकार और पीठ दोनों हद से बाहर निकल गए. उत्तर प्रदेश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि विधायक की बात नहीं सुनी जाए. विधायक के साथ पूरा सदन खड़ा हो गया तो भी पीठ नहीं बोल रही है. इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है. विधायकों की मांग थी कि संबंधित अधिकारी को तलब किया जाए, उन्हें सजा दी जाए. विधायक की प्रतिष्ठा का सवाल था, इसलिए पूरा विपक्ष एक साथ था.
थोड़ी भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा दे देंगे
चौधरी ने कहा कि तय किया गया था कि शाम 5 बजे तक धरने पर बैठेंगे और सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो कल फिर धरने पर बैठा जाएगा. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के किसी भी असेंबली में इस प्रकार का नजारा देखने को नहीं मिला था. 1977 में हमने भी मामला उठाया था, उस वक्त मुख्यमंत्री को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी थी. आज बीजेपी के 169 विधायकों ने सरकार के खिलाफ हस्ताक्षर किए हैं. इसलिए यह सरकार अल्पमत में है, अब उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. अगर योगी जी में थोड़ी भी नैतिकता होगी तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अधिकारियों के खिलाफ है गुस्सा
रामगोविंद चौधरी ने बताया कि सत्ता पक्ष के विधायकों से उन्हें जानकारी मिली है कि सरकार की तरफ से विधायकों को आश्वासन दिया गया है कि संबंधित जिला अधिकारी कप्तान व अन्य अधिकारियों को कल सदन में तलब किया जाएगा. लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो विधायक फिर से सदन में धरने पर बैठेंगे. वहीं इस पूरे प्रकरण पर बीजेपी के एक विधायक का कहना है कि उन लोगों का गुस्सा सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अधिकारियों के खिलाफ है. इसलिए वह सभी यह चाहते हैं कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सरकार कठोर कार्रवाई करे ताकि यह नजीर बने और आगे फिर कोई अधिकरी किसी जनप्रतिनिधि के साथ ऐसे व्यवहार न करें.