लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सुविधा और सुरक्षा का मुद्दा उठाया है. रामगोविंद चौधरी ने पीएम से निवेदन किया है कि विधायक निधि की गाइडलाइन में संशोधन किया जाए और केंद्र सरकार देश के सभी पत्रकारों (प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक, समाचार एजेंसी, वेब मीडिया) का 50 लाख का दुर्घटना बीमा सरकार की तरफ से कराया जाए. कोई दुर्घटना होने पर उनके परिवार को 25 लाख रुपया उसी समय आर्थिक सहायता दी जाए. देश के मीडियाकर्मियों को पेंशन भी दी जाए.
पत्र में रामगोविंद चौधरी ने उल्लेख किया कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में मीडियाकर्मी अगली कतार के योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं. यही लोग हैं जो सरकार की बात जनता तक और जनता की बात सरकार तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. साथ ही व्यवस्थाओं में कहीं व्यवधान आता है या किसी के कारण बाधा पैदा होती है तो उसे भी उजागर करने का काम यही करते हैं, जिससे व्यवस्थापिका और कार्यपालिका का कार्य आसान हो जाता है. कई बार इनकी जान भी खतरे में पड़ जाती है, लेकिन उसकी परवाह किये बगैर यह कर्मवीर एक कलम, कागज और हाथ में एक कैमरा लेकर हर मोर्चे पर बेखौफ डटे रहते हैं.
इनमें से ज्यादातर लोगों का वेतन बहुत ही कम होता है. इनके लिए वेज बोर्ड में कोई एक्ट नहीं है. अगर इनके साथ कोई दुर्घटना होती है तो इनका परिवार आर्थिक तंगी का शिकार हो जाता है. पत्रकारों के लिए नवीन या पुरानी पेंशन तक नहीं है, जो आश्चर्य का विषय है. नेता प्रतिपक्ष ने कोरोना महामारी के समय पत्रकारों के लिए अपनी निधि से एक लाख रुपये के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि मैं इस महामारी के खिलाफ छिड़ी जंग में मीडियाकर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्यरत मीडियाकर्मियों को मास्क, सैनिटाइजर आदि अन्य आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराने के लिए विधायक निधि से देने का प्रस्ताव मुख्य विकास अधिकारी बलिया से किया, जो गाइडलाइन में उल्लिखित न होने के कारण नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा कि अगर गाइडलाइन में संशोधन करने की आवश्यकता हो तो कर दी जाए. प्रदेश के सभी विधायक अपनी निधि से कोरोना योद्धाओं के जीवन की सुरक्षा की सामग्री खरीदने का प्रस्ताव दे दें. यह भी निर्देश सरकार की तरफ से हो जाए. साथ ही सभी मीडियाकर्मियों का 50 लाख का बीमा हो. यह भी उस पत्र में मांग की गई थी, लेकिन अब तक उस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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