लखनऊः समाजवादी पार्टी की सरकार आने पर सीएए का विरोध करने वाले लोगों को पेंशन दिए जाने के बयान पर नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि सीएए और एनपीआर के खिलाफ चल रहा आन्दोलन आजादी की तीसरी लड़ाई है. उन्होंने कहा कि हम समाजवादियों को देख कर ही मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने सरकारी कोष से इमरजेंसी में बंद लोगों को लोकतंत्र सेनानी के तौर पर पैसे दिए थे.
आवाज दबाने की हो रही कोशिश
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार लगातार जनआन्दोलन का शिकार हो रही है, लेकिन लोगों की आवाज लगातार इमरजेंसी की तरह दबाने की कोशिश हो रही है. रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि सीएम अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. उन्होने सवाल किया कि आखिर मौजूदा बीजेपी सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन में पांच हजार रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी क्यों की है?
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पेंशन की राशि नहीं होती निजी
रामगोविंद ने कहा कि पेंशन की राशि निजी नहीं होती है. अगर समाजवादी लोग सीएम की भाषा में उन्हें जवाब देने लगें तो कैसा रहेगा? उन्होंने कहा कि हम लोग ऐसी भाषा नहीं बोल सकते हैं, लेकिन अगर कोई पलट कर पूछ ले कि जो लोकतंत्र सेनानियों को बढ़ा हुआ पांच हजार रुपया दिया जा रहा है क्या वह अपने पिताजी के घर से दे रहे हैं? उन्होंने पूछा कोई भी अनुदान देते हैं तो क्या वे अपने पिताजी के घर से दे रहे हैं.
इमरजेंसी के दौरान मुलायम सिंह ने दी थी पेंशन
उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में सबसे ज्यादा समाजवादी, आरएसएस और बीजेपी के लोग जेल में बंद थे. उनके नेता मुलायम सिंह ने ही इन सभी को लोकतंत्र सेनानी के रूप में पेंशन देने की व्यवस्था की. जब मुलायम सिंह ने पेंशन दी थी तब आरएसएस और बीजेपी के लोगों ने नेता जी को सम्मानित किया था. बीजेपी जब पेंशन की राशि बढ़ाती है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती है.