लखनऊ: कई जल श्रोतों को पुनर्जीवित कर चुके मैग्सेसे अवार्डी जलपुरुष राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत से खास बातचीत की. आपको बता दें कि राजेंद्र सिंह ने हमेशा जल संरक्षण को लेकर कार्य करते रहते हैं. जल को बचाने से लेकर जल संरक्षण के प्रति जागरुकता और जल संकट से निपटारा जैसी समस्याओं पर इन्होंने काम किया है.
स्लोगन से नहीं जिम्मेदारी और अनुशासन से बचेगा जल
जलपुरुष राजेंद्र सिंह का कहना है कि भारत की सरकार ने अभी गंगा पुनर्जीवित मंत्रालय का नाम बदलकर जल शक्ति मंत्रालय बनाया है. जल शक्ति मंत्रालय का स्लोगन है 'हर घर नल और हर नल में जल'. उन्होंने कहा कि आप नल तो लगा दोगे, क्योंकि कंपनियों को पैसा बांटना है, लेकिन जब आपके पास जल नहीं होगा तो नल में जल कहां से आएगा.
जल संरक्षण के लिए अनुशासन जरूरी
उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2019 में 365 जिलों में पानी का संकट है तो वहीं 190 जिलों में बाढ़ की स्थिति है. बाढ़ और सुखा दोनों साथ-साथ हैं. ऐसी परिस्थिति जिस देश में हो, जिसके अंडर ग्राउंड वाटर 72% खाली हो जाएं उस देश में पानी का भविष्य क्या होगा. यह हमारी सरकार को जरा समझना चाहिए. लेकिन हमारी सरकार इसे समझ नहीं रही है.
उन्होंने कहा कि जो भी बादल बरसते हैं उस पानी को वहीं पर संरक्षित करने का काम करना चाहिए. यदि हम पानी का संरक्षण नहीं करेंगे तो उनका फिर अनुशासित होकर उपयोग नहीं होगा और यह देश पानी विहिन होता चला जाएगा. उन्होंने राजस्थान में सूखे की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि समाज को इस तरह की समस्याओं से निपटने का काम करना होगा.
जल अधिकार कानून की जरूरत
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत को पानीदार बनाने के लिए सबसे पहले जल अधिकार कानून बनाने की जरूरत है. एक तरफ फूड सिक्योरिटी एक्ट तो बना दिया, लेकिन फूड तो बाद में चाहिए. उससे पहले वाटर सिक्योरिटी की सख्त जरूरत है. भारत के हर आदमी का जल पर समान अधिकार यह हमारी सरकार का स्लोगन होना चाहिए. जिस दिन हमारी सरकार यह स्लोगन देगी, हर इंसान को जल पर समान अधिकार है, उस दिन भारत के लोग खड़े होकर पानी के संरक्षण के लिए काम में जुट जाएंगे और पानी को अनुशासित होकर उपयोग करने लगेंगे.
समाज के इस काम में भागीदारी से भारत की सूखी हुई नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगी, हर कुएं में पानी होगा. लेकिन यह सब तब होगा जब सरकार का अपना कोई कमिटमेंट दिखेगा. उनका कहना है कि सरकार का कोई कमिटमेंट नहीं दिख रहा है, इसीलिए सरकार ने ठेकेदारों, कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए हर घर में नल और हर नल में जल लगाने की योजना बना दी.
जल का बिजनेस हो रहा, कम्पनियों को सरकार पहुंचा रही लाभ
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सबको समान अधिकार है तो जल को लेकर भी समान अधिकार कानून बनाने में कहां कोई दिक्कत है. उसके लिए सरकारें चिंतित नहीं हैं. सरकारें जल में भी बिजनेस का काम कर रही हैं. यह चाहते हैं कि जल का बिजनेस हो. जल के बिजनेस में प्राइवेट कंपनियों को लाभ हो. इसलिए कई बार ऐसा समझ में आता है कि हमारी सरकार लोगों के प्रति चिंतित नहीं है, बल्कि कंपनियों के प्रति चिंतित है. कंपनियों के बिजनेस के प्रति चिंतित हैं. पानी में भी बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं.
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हमारी सरकार पिछले दो-तीन सालों में एक बीओलिया इंडिया कंपनी को शहरों के पानी का निजीकरण का काम दिया है. आप कल्पना कर सकते हैं कि बीओलिया इंडिया कंपनी, ईस्ट इंडिया कंपनी से भी ज्यादा खतरनाक है और ज्यादा भयानक है. ईस्ट इंडिया कंपनी हमारे यहां व्यापार करने आई थी और उसके बाद वह राज करने लगी. इनका लक्ष्य पानी के माध्यम से पानी का कब्जा करके कंट्रोल में करके और राज कायम करना है. मुझे ऐसा लगता है कि पानी हमारे हाथों से निकलकर कंपनियों के हाथों में जा रहा है और यह देश बेपानी हो रहा है.