ETV Bharat / state

ईटीवी भारत से बोले जलपुरुष, कहा- जल संरक्षण के लिए कानून बनाए सरकार - लखनऊ

जल संरक्षण के लिए मैग्सेसे अवार्ड पाने वाले राजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने जल सरंक्षण के लिए कानून बनाए जाने की बात कही. उन्होंने यह भी आशंका जताई कि जल हमारे हाथ से निकलकर कंपनियों के हाथ में जा रहा है.

जलपुरुष राजेंद्र सिंह
author img

By

Published : Oct 16, 2019, 7:53 PM IST

लखनऊ: कई जल श्रोतों को पुनर्जीवित कर चुके मैग्सेसे अवार्डी जलपुरुष राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत से खास बातचीत की. आपको बता दें कि राजेंद्र सिंह ने हमेशा जल संरक्षण को लेकर कार्य करते रहते हैं. जल को बचाने से लेकर जल संरक्षण के प्रति जागरुकता और जल संकट से निपटारा जैसी समस्याओं पर इन्होंने काम किया है.

स्लोगन से नहीं जिम्मेदारी और अनुशासन से बचेगा जल
जलपुरुष राजेंद्र सिंह का कहना है कि भारत की सरकार ने अभी गंगा पुनर्जीवित मंत्रालय का नाम बदलकर जल शक्ति मंत्रालय बनाया है. जल शक्ति मंत्रालय का स्लोगन है 'हर घर नल और हर नल में जल'. उन्होंने कहा कि आप नल तो लगा दोगे, क्योंकि कंपनियों को पैसा बांटना है, लेकिन जब आपके पास जल नहीं होगा तो नल में जल कहां से आएगा.

जल संरक्षण के लिए अनुशासन जरूरी
उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2019 में 365 जिलों में पानी का संकट है तो वहीं 190 जिलों में बाढ़ की स्थिति है. बाढ़ और सुखा दोनों साथ-साथ हैं. ऐसी परिस्थिति जिस देश में हो, जिसके अंडर ग्राउंड वाटर 72% खाली हो जाएं उस देश में पानी का भविष्य क्या होगा. यह हमारी सरकार को जरा समझना चाहिए. लेकिन हमारी सरकार इसे समझ नहीं रही है.

जल संरक्षण को लेकर ईटीवी भारत से बात करते जलपुरुष राजेंद्र सिंह.

उन्होंने कहा कि जो भी बादल बरसते हैं उस पानी को वहीं पर संरक्षित करने का काम करना चाहिए. यदि हम पानी का संरक्षण नहीं करेंगे तो उनका फिर अनुशासित होकर उपयोग नहीं होगा और यह देश पानी विहिन होता चला जाएगा. उन्होंने राजस्थान में सूखे की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि समाज को इस तरह की समस्याओं से निपटने का काम करना होगा.

जल अधिकार कानून की जरूरत
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत को पानीदार बनाने के लिए सबसे पहले जल अधिकार कानून बनाने की जरूरत है. एक तरफ फूड सिक्योरिटी एक्ट तो बना दिया, लेकिन फूड तो बाद में चाहिए. उससे पहले वाटर सिक्योरिटी की सख्त जरूरत है. भारत के हर आदमी का जल पर समान अधिकार यह हमारी सरकार का स्लोगन होना चाहिए. जिस दिन हमारी सरकार यह स्लोगन देगी, हर इंसान को जल पर समान अधिकार है, उस दिन भारत के लोग खड़े होकर पानी के संरक्षण के लिए काम में जुट जाएंगे और पानी को अनुशासित होकर उपयोग करने लगेंगे.

समाज के इस काम में भागीदारी से भारत की सूखी हुई नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगी, हर कुएं में पानी होगा. लेकिन यह सब तब होगा जब सरकार का अपना कोई कमिटमेंट दिखेगा. उनका कहना है कि सरकार का कोई कमिटमेंट नहीं दिख रहा है, इसीलिए सरकार ने ठेकेदारों, कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए हर घर में नल और हर नल में जल लगाने की योजना बना दी.

जल का बिजनेस हो रहा, कम्पनियों को सरकार पहुंचा रही लाभ
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सबको समान अधिकार है तो जल को लेकर भी समान अधिकार कानून बनाने में कहां कोई दिक्कत है. उसके लिए सरकारें चिंतित नहीं हैं. सरकारें जल में भी बिजनेस का काम कर रही हैं. यह चाहते हैं कि जल का बिजनेस हो. जल के बिजनेस में प्राइवेट कंपनियों को लाभ हो. इसलिए कई बार ऐसा समझ में आता है कि हमारी सरकार लोगों के प्रति चिंतित नहीं है, बल्कि कंपनियों के प्रति चिंतित है. कंपनियों के बिजनेस के प्रति चिंतित हैं. पानी में भी बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा अब हस्तक्षेप की कोई अर्जी स्वीकार नहीं ​

हमारी सरकार पिछले दो-तीन सालों में एक बीओलिया इंडिया कंपनी को शहरों के पानी का निजीकरण का काम दिया है. आप कल्पना कर सकते हैं कि बीओलिया इंडिया कंपनी, ईस्ट इंडिया कंपनी से भी ज्यादा खतरनाक है और ज्यादा भयानक है. ईस्ट इंडिया कंपनी हमारे यहां व्यापार करने आई थी और उसके बाद वह राज करने लगी. इनका लक्ष्य पानी के माध्यम से पानी का कब्जा करके कंट्रोल में करके और राज कायम करना है. मुझे ऐसा लगता है कि पानी हमारे हाथों से निकलकर कंपनियों के हाथों में जा रहा है और यह देश बेपानी हो रहा है.

लखनऊ: कई जल श्रोतों को पुनर्जीवित कर चुके मैग्सेसे अवार्डी जलपुरुष राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत से खास बातचीत की. आपको बता दें कि राजेंद्र सिंह ने हमेशा जल संरक्षण को लेकर कार्य करते रहते हैं. जल को बचाने से लेकर जल संरक्षण के प्रति जागरुकता और जल संकट से निपटारा जैसी समस्याओं पर इन्होंने काम किया है.

स्लोगन से नहीं जिम्मेदारी और अनुशासन से बचेगा जल
जलपुरुष राजेंद्र सिंह का कहना है कि भारत की सरकार ने अभी गंगा पुनर्जीवित मंत्रालय का नाम बदलकर जल शक्ति मंत्रालय बनाया है. जल शक्ति मंत्रालय का स्लोगन है 'हर घर नल और हर नल में जल'. उन्होंने कहा कि आप नल तो लगा दोगे, क्योंकि कंपनियों को पैसा बांटना है, लेकिन जब आपके पास जल नहीं होगा तो नल में जल कहां से आएगा.

जल संरक्षण के लिए अनुशासन जरूरी
उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2019 में 365 जिलों में पानी का संकट है तो वहीं 190 जिलों में बाढ़ की स्थिति है. बाढ़ और सुखा दोनों साथ-साथ हैं. ऐसी परिस्थिति जिस देश में हो, जिसके अंडर ग्राउंड वाटर 72% खाली हो जाएं उस देश में पानी का भविष्य क्या होगा. यह हमारी सरकार को जरा समझना चाहिए. लेकिन हमारी सरकार इसे समझ नहीं रही है.

जल संरक्षण को लेकर ईटीवी भारत से बात करते जलपुरुष राजेंद्र सिंह.

उन्होंने कहा कि जो भी बादल बरसते हैं उस पानी को वहीं पर संरक्षित करने का काम करना चाहिए. यदि हम पानी का संरक्षण नहीं करेंगे तो उनका फिर अनुशासित होकर उपयोग नहीं होगा और यह देश पानी विहिन होता चला जाएगा. उन्होंने राजस्थान में सूखे की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि समाज को इस तरह की समस्याओं से निपटने का काम करना होगा.

जल अधिकार कानून की जरूरत
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत को पानीदार बनाने के लिए सबसे पहले जल अधिकार कानून बनाने की जरूरत है. एक तरफ फूड सिक्योरिटी एक्ट तो बना दिया, लेकिन फूड तो बाद में चाहिए. उससे पहले वाटर सिक्योरिटी की सख्त जरूरत है. भारत के हर आदमी का जल पर समान अधिकार यह हमारी सरकार का स्लोगन होना चाहिए. जिस दिन हमारी सरकार यह स्लोगन देगी, हर इंसान को जल पर समान अधिकार है, उस दिन भारत के लोग खड़े होकर पानी के संरक्षण के लिए काम में जुट जाएंगे और पानी को अनुशासित होकर उपयोग करने लगेंगे.

समाज के इस काम में भागीदारी से भारत की सूखी हुई नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगी, हर कुएं में पानी होगा. लेकिन यह सब तब होगा जब सरकार का अपना कोई कमिटमेंट दिखेगा. उनका कहना है कि सरकार का कोई कमिटमेंट नहीं दिख रहा है, इसीलिए सरकार ने ठेकेदारों, कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए हर घर में नल और हर नल में जल लगाने की योजना बना दी.

जल का बिजनेस हो रहा, कम्पनियों को सरकार पहुंचा रही लाभ
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सबको समान अधिकार है तो जल को लेकर भी समान अधिकार कानून बनाने में कहां कोई दिक्कत है. उसके लिए सरकारें चिंतित नहीं हैं. सरकारें जल में भी बिजनेस का काम कर रही हैं. यह चाहते हैं कि जल का बिजनेस हो. जल के बिजनेस में प्राइवेट कंपनियों को लाभ हो. इसलिए कई बार ऐसा समझ में आता है कि हमारी सरकार लोगों के प्रति चिंतित नहीं है, बल्कि कंपनियों के प्रति चिंतित है. कंपनियों के बिजनेस के प्रति चिंतित हैं. पानी में भी बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा अब हस्तक्षेप की कोई अर्जी स्वीकार नहीं ​

हमारी सरकार पिछले दो-तीन सालों में एक बीओलिया इंडिया कंपनी को शहरों के पानी का निजीकरण का काम दिया है. आप कल्पना कर सकते हैं कि बीओलिया इंडिया कंपनी, ईस्ट इंडिया कंपनी से भी ज्यादा खतरनाक है और ज्यादा भयानक है. ईस्ट इंडिया कंपनी हमारे यहां व्यापार करने आई थी और उसके बाद वह राज करने लगी. इनका लक्ष्य पानी के माध्यम से पानी का कब्जा करके कंट्रोल में करके और राज कायम करना है. मुझे ऐसा लगता है कि पानी हमारे हाथों से निकलकर कंपनियों के हाथों में जा रहा है और यह देश बेपानी हो रहा है.

Intro:स्पेशल...

ईटीवी से बोले जलपुरुष, संरक्षण और अनुशासन से बचेगा 'कल के लिए जल' केंद्र सरकार बनाए जल अधिकार अधिनियम
एंकर
लखनऊ। आज हम आपको एक ऐसी सख्शियत से रूबरू करा रहे हैं जिनकी चिंता सिर्फ जल बचाने को लेकर है और इन्हें देश-विदेश में जल पुरुष के नाम से जाना जाता है। इन्हें न तो किसी पोर्टफोलियो को चिंता है बल्कि चिंता है तो कल के लिए जल की। हर पल अगर सोचते हैं तो सिर्फ यह कि कैसे जल बचाने को लेकर जागरूक हो और जल संकट से निपटा जा सके। कई जल श्रोतो को पुनर्जीवित कर चुके मैग्सेसे अवार्डी जल पुरुष राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की।

स्लोगन से नहीं जिम्मेदारी और अनुशासन से बचेगा जल
केंद्र और राज्य सरकार जल बचाने को लेकर क्या कर रही है, इस सवाल पर जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि देखिए भारत की सरकार ने अभी गंगा पुनर्जीवित मंत्रालय का नाम बदलकर जल शक्ति मंत्रालय बनाया है और उस जल शक्ति मंत्रालय का स्लोगन है हर घर नल और हर नल में जल भाई आप नल तो लगा दोगे क्योंकि मुझे मालूम है कंपनियों को पैसा बांटना है नल की कंपनियों को पैसा चाहिए तो आप 3 लाख करोड रुपए भारत में घर में नल लगाने के नाम पर पैसा खर्च कर दोगे लेकिन जब आपके पास जल नहीं होगा तो नल में जल कहां से आएगा क्या आपको यह मालूम है कि 2019 के अक्टूबर महीने में 365 जिलों में पानी का संकट है और 190 जिलों में बाढ़ है।

जल संरक्षण के लिए अनुशासन जरूरी
बाढ़ और सुखाड़ दोनों साथ-साथ हैं ऐसी परिस्थिति में जिस देश में हो जिसके अंडर ग्राउंड वाटर 72% खाली हो जाए उस देश में पानी का भविष्य क्या होगा यह हमारी सरकार को जरा समझना चाहिए लेकिन हमारी सरकार है इसे ठीक से समझ नहीं रही है। हम समझते हैं कि भारत सरकार को भारत के हर गांव में हर शहर में पानी देने का का पाइप नहीं कर सकता है पानी देने का काम पहले जो भी बादल बरसते हैं उन पानी को जहां बरसता है वहीं पर संरक्षण करने का काम करना चाहिए यदि यदि हम पानी का संरक्षण नहीं करेंगे तो उनका फिर अनुशासित होकर उपयोग नहीं होगा और यह देश पानी होता चला जाएगा पानी पानी के स्लोगन ओं से नहीं सबसे ज्यादा संकट राजस्थान में था जहां हम रहते हैं जब हम 36 साल पहले वहां पर काम किया तो लोग में पानी होकर उजड़ रहे थे और वहां पर रतौंधी नाम की बीमारी हुई थी सभी लोग इस रोग से त्रस्त थे लेकिन जब समझ में आया कि हम जो भी कुछ पानी कम बरसता है पूरा डार्क जोन हो गया था एक तरफ बादल आते थे बिनावर से रूठ कर चले जाते थे लोगों ने कोशिश की हरियाली बढ़ाने का काम किया फिर आकर बादल बरसने लगे और धरती को बुखार चढ़ा था वह सब ठीक हो गया मौसम का मिजाज ठीक हो गया आप लोग अपने जमीन पर खेती कर रहे हैं लोग इस तरह का काम करें इस तरह के काम राज नहीं कर सकता समाज को ही इस तरह का काम करना होगा आज समाज को यह समाज को अधिकार नहीं है कि पानी को रोकने का काम करें सरकारी कहती तो है ना रे तो बहुत है पानी रोकेंगे जब भी कोई समाज पानी के संरक्षण के लिए कुछ संरचनाओं का निर्माण करता है तो यह उनके खिलाफ कार्यवाही करते हैं।




Body:जल अधिकार कानून की जरूरत
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत को पानीदार बनाने के लिए सबसे पहले जल अधिकार कानून बनाने की जरूरत है एक तरफ फूड सिक्योरिटी एक्ट तो बना दिया फूड तो बाद में चाहिए वाटर सिक्योरिटी की पहले सख्त जरूरत है तो हम भारत को भारत को पानीदार बनाना चाहते हैं तो हर घर में नल हर नल में जल कहने से पहले भारत के हर आदमी को जल पर समान अधिकार यह हमारी सरकार का स्लोगन होना चाहिए। जिस दिन हमारी सरकार यह स्लोगन देगी हर इंसान को जल पर समान अधिकार है भारत के लोग खड़े होकर पानी के संरक्षण के लिए काम में जुट जाएंगे और पानी को अनुशासित होकर उपयोग करने लगेंगे और फिर भारत के समाज ने इस काम में भागीदारी निभाई भारत की सूखी हुई नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगे हर कुएं में पानी होगा हर खेती होगी बेमौसम बारिश नहीं होगी लेकिन यह जब जब होता है सरकार का अपनी कोई कमिटमेंट दिखे सरकार के कमिटमेंट नहीं दिख रहे हैं इसीलिए सरकार ने ठेकेदारों को कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए हर घर में नल और हर नल में जल लगाने की योजना तो बना दी लेकर हर घर में जल हो हर जगह पर जल हो हर जगह जल का संरक्षण हो उसके लिए जिस तरह के कानून की जरूरत है अधिनियम की जरूरत है भारत को चाहे जल सुरक्षा अधिकार अधिनियम हमारा जल पर सबका समान अधिकार हो हमारी सरकार जबकि इस बात को मानती है कि जल जो है मानव अधिकार है लेकिन जब जल मानव अधिकार है तो कानून बना दो लोगों को विश्वास दे दो कि हम हमारा जल पर अधिकार है और जल हमारे जीवन के लिए जरूरी है।




Conclusion:जल का बिजनेस हो रहा, कम्पनियों को सरकार पहुंचा रही लाभ

भारतीय संविधान में सबको समान अधिकार है तो जल में को लेकर भी समान अधिकार कानून बनाने की कहां कोई दिक्कत है उसके लिए सरकारें चिंतित नहीं है जल में भी बिजनेस का काम कर रहे हैं यह चाहते हैं कि जल का बिजनेस हो जल के बिजनेस में प्राइवेट कंपनियों को लाभ हो। इसलिए कई बार ऐसा समझ में आता है कि हमारी सरकार है लोगों के प्रति चिंतित नहीं है बल्कि कंपनियों के प्रति चिंतित है कंपनियों के बिजनेस के प्रति चिंतित हैं पानी में भी बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं इसीलिए हमारी सरकार पिछले दो-तीन सालों में एक बीओलिया इंडिया कंपनी को शहरों के पानी का निजीकरण का काम दिया है। आप कल्पना कर सकते हैं क्या बीओलिया इंडिया कंपनी, ईस्ट इंडिया कंपनी से भी ज्यादा खतरनाक है और ज्यादा भयानक है। ईस्ट इंडिया कंपनी है जो हमारे यहाँ व्यापार करने आई थी तो उसके बाद वह राज करने लगी तो इनका लक्ष्य है कि पानी के माध्यम से पानी का कब्जा करके कंट्रोल में करके और राज कायम कर रहा है। इसलिए मुझे ऐसा लगता है पानी पानी हमारे हाथों से निकलकर कंपनियों के हाथों में जा रहा है और यह देश बेपानी हो रहा है।


फीड कैमरा सहयोगी धीरज कुमार ने एफ़टीपी से भेजी है,

up_luc_01_jal_purush_rajendra_singh_tiktok_pkg_7200991

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.