लखनऊ: राजधानी के राजाजीपुरम इलाके में करीब 19 साल मिनी इंडोर स्टेडियम बनकर तैयार हुआ था. इस मिनी इनडोर स्टेडियम का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 4 मई 1999 को किया. इसके बाद 31 जनवरी 2001 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका लोकार्पण किया था. जिसके बाद यहां के खेल प्रेमियों के चेहरे खिल उठे थे. लेकिन, उन्हें यह नहीं पता था की आवास-विकास परिषद की लापरवाही के चलते इस स्टेडियम में आवारा पशु टहलेंगे. करोड़ों की लागत से बना यह स्टेडियम अब बारात घर में तब्दील हो चुका है.
स्टेडियम बना शादी घर
आवास विकास परिषद इस स्टेडियम यहां लोगों की शादी कराकर लाखों रुपये कमा रहा है. इसके बावजूद भी इसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा. यहां स्टॉफ के नाम पर गिने चुने कर्मचारी हैं. मौजूदा समय में गिने चुने लोग ही स्टेडियम में आते हैं. इतना ही नहीं यहां प्रैक्टिस करने आने वाले लोगों से भी पैसे वसूल किए जाते हैं.
धूल फांक रही हैं टूटी कुर्सियां
आयुक्त से लेकर मंत्री तक की शिकायत
स्टेडियम में डेली प्रैक्टिस करने वाले स्थानीय नागरिक डॉ. दिनेश माथुर ने बताया कि यूपी का यह पहला बड़ा इंडोर स्टेडियम है जहां ओपन गेम की भी व्यवस्था है. इंडोर में बैडमिंटन कोर्ट बना हुआ है. शाम के समय बच्चे कोचिंग भी लेते हैं. हम लोग सुबह-सुबह खेलते हैं और इसके लिए 200 शुल्क भी देते हैं. बावजूद इसके सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. इस संबंध में कई बार आवास आयुक्त से शिकायत की गई है. इसके अलावा इसकी बदहाल हालत को सुधारने के लिए उनकी एसोसिएशन सचिव और मंत्री से मिल चुकी है. उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
केवल वसूले जाते हैं पैसे
स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए आने वाले आशीष पांडे ने बताया कि यहां हम लोगों को कोई सुविधा नहीं मिलती है. हम लोग यहां खुद से ही सब कुछ करते हैं. स्टेडियम की हालत ऐसी है कि बरसात में पानी भर जाता है. यहां कभी कोई स्टॉफ का कर्मचारी नहीं आता है. बाहर एक गेट कीपर हैं जो हम लोगों से पैसे लेता है. हम लोग यहां 200 रुपये फीस जमा करते हैं. जब स्टेडियम बना था तो हम लोगों को उम्मीद थी कि स्टेडियम सुधर जाएगा और यहां से खेल जगत में कोई प्रतिभा निकलेगी, लेकिन, स्टेडियम की हालत देखकर ऐसा लग नहीं रहा है.
हालत सुधारने के लिए कई बार उठा मामला
बीजेपी पार्षद शिवपाल सांवरिया ने कहा कि राजाजीपुरम मिनी इंडोर स्टेडियम एशिया का सबसे बेहतरीन स्टेडियम कहा जाता था, लेकिन स्टेडियम की हालत अब बद से बदतर हो चुकी है. कोई भी खिलाड़ी वहां जाना नहीं चाहता है. स्टेडियम अब मात्र शादी घर बनकर रह गया है. आवास एवं विकास परिषद की इतनी तानाशाही है कि हम लोगों के लगातार पत्राचार के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती है. उन्होंने बताया कि स्वर्गीय मंत्री चेतन चौहान के सचिव भी दौरा करने आए थे. मेरे द्वारा भी कई बार इस मामले को उठाया गया कि स्टेडियम को खेल निदेशालय को क्यों ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है. आवास विकास स्टेडियम का उपयोग शादी घर के रूप में कर रहा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस बाबत जब आवास एवं विकास परिषद के हाउसिंग कमिश्नर से बात करने की कोशिश की गई तो पता चला कि वह मीटिंग में गए हैं.