लखनऊ : बीते दिनों डीजल शेड में टैंकर से डीजल चोरी के मामले का खुलासा हुआ था. जब यह बात सामने आई तो रेलवे में हड़कंप मच गया. इसके लिए डीजल शेड के सुपरिंटेंडेंट को हिरासत में भी लिया गया, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई. इसके दो दिन के बाद ही सुपरिंटेंडेंट राजीव मिश्रा का शव पटरी पर बरामद हुआ. इससे शक की सुई कुछ कर्मचारियों की तरफ घूम गई. आरपीएफ ने मामले की जांच तो शुरू की, लेकिन दबाव के चलते यह जांच भी ठंडे बस्ते में डाली जा रही है. राजीव मिश्रा के बेटे पर लगातार एफआईआर न करने का दबाव बनाया जा रहा है.
डीजल चोरी की घटनाएं डीजल रनिंग शेड में समय-समय पर होती रही है. इससे पहले वर्ष 2021 में उत्तर रेलवे के डीजल शेड में पूरा टैंकर पार कर दिया गया था. जिसमें 18 हजार लीटर से अधिक डीजल था. इस मामले में रेलवे यूनियन का नेता बीएस मीणा मुख्य आरोपी था जिसे बाद में यूनियन से निकाल दिया गया और जांच में दोषी पाए जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया था. हाल ही में डीजल शेड में दो सौ लीटर डीजल चोरी का मामला सामने आया है. जिसमें आरपीएफ ने कार्यालय अधीक्षक राजीव कुमार मिश्र को आरोपी बनाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया कि दो हजार लीटर डीजल शेड के लिए आया था. जिसमें 18 सौ लीटर उतारा गया और दो सौ लीटर टैंकर में ही छोड़ दिया गया. जिससे उसे बाहर बेचा जा सके. मामला रेलवे कोर्ट पहुंचा, जहां राजीव मिश्र को जमानत मिल गई. डीजल शेड के जो अन्य कर्मचारी, अधिकारी सीआईबी, आरपीएफ के रडार पर थे, उनमें कई रेलवे यूनियन से जुड़े हुए हैं. लिहाजा यूनियन के बड़े नेता इस मामले को दबाने में लगे हैं, जिससे उन्हें बचाया जा सके.
नौकरी पर न बन जाए संकट बताकर बरगला रहे नेता : रेलवे के सूत्र बताते हैं कि राजीव मिश्रा के बेटे अंकुर मिश्र पर यूनियन के नेता दबाव डाल रहे हैं कि आरपीएफ के खिलाफ एफआईआर न दर्ज कराई जाए. ऐसा करने के पीछे यह दलील दी जा रही है कि अभी राजीव मिश्र की जगह मृतक आश्रित कोटे में अंकुर को नौकरी मिलने की उम्मीद है. कोर्ट-कचहरी के चक्कर में नौकरी फंस सकती है. यह डर दिखाकर यूनियन नेता एफआईआर होने से बचा रहे हैं. साथ ही यूनियन के कर्मचारी को भी बचाने में जुटे हैं.