लखनऊः रेलवे बोर्ड के निर्देश पर रेलवे कॉलोनियों की ऑडिटिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं. इस तरह के निर्देश आने के बाद तमाम ऐसे कर्मचारी जो किराए पर रेलवे के क्वार्टर दे रखे हैं उनके पसीने छूट रहे हैं. वजह है कि रेलवे कॉलोनियों की ऑडिटिंग में भ्रष्टाचार की पोल खुलना तय माना जा रहा है.
रेलवे कॉलोनियों में क्वार्टर किराये पर उठाए जाते हैं. इन कॉलोनियों से जिम, तबेले और दुकानें संचालित होती हैं. इतना ही नहीं अवैध रूप से रेलवे की बिजली का भी भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. जानकारी होते हुए भी रेलवे के अफसर बेखबर बने रहते हैं. अब ऑडिटिंग के दौरान इन कॉलोनियों की हकीकत उजागर होगी.
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शहर में 50 से ज्यादा हैं रेलवे कॉलोनी
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय मौजूद हैं. शहर के अंदर रेलवे कॉलोनियों की संख्या तकरीबन 50 हैं. इन रेलवे कॉलोनियों में बड़ी संख्या में रेलकर्मी अपने क्वार्टर किराए पर उठाते रहे हैं. जिसे लेकर कभी-कभार आरपीएफ की तरफ से कार्रवाई भी की जाती रही है. बावजूद इसके किराए पर कॉलोनियों के क्वार्टर उठाए जाने का सिलसिला जारी है. यही नहीं रेलवे की बिजली की अवैध खपत भी निर्बाध जारी है.
बता दें कि जर्जर रेलवे क्वार्टरों को भी किराए पर उठाया जाता है. इसे लेकर रेलवे यूनियन की तरफ से बोर्ड को कई बार अवगत भी कराया जा चुका है. अब रेलवे बोर्ड ने रेलवे कॉलोनियों की ऑडिटिंग का निर्णय लिया है. सभी जोन को बोर्ड की तरफ से निर्देशित कर दिया गया है. ऑडिटिंग होने से सच्चाई सामने आ जाएगी.
ऑडिटिंग से पहले सेटिंग में जुटे भ्रष्ट अधिकारी
रेलवे कॉलोनी को ऑडिटिंग शुरू हो और अधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों की पोल खुले, इससे पहले ही इंजीनियरिंग विभाग के भ्रष्ट अधिकारी सेटिंग में जुट गए हैं. वे सभी इस कोशिश में लगे हैं कि जब तक ऑडिटिंग आरंभ हो उससे पहले सारी स्थितियां सही कर ली जाएं और खुद को फंसने से बचाया जा सके.