लखनऊः मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुशील कुमारी ने कथित मुठभेड़ में पुलस्त तिवारी को पैर में गोली मारने के मामले में थानाध्यक्ष आशियाना को सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है. कोर्ट ने इसके साथ ही सात दिनों में एफआईआर की प्रति अदालत में दाखिल करने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश पुलस्त की मां मंजुला तिवारी की अर्जी पर दिया है.
पुलस्त को घर से ले गई थी पुलिस
पुलस्त की मां मंजुला तिवारी की ओर से दायर की गई अर्जी में कथित मुठभेड़ में शामिल रहे पुलिसवालों को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है. मंजुला तिवारी का कहना था कि 9 अगस्त, 2020 को आशियाना थाने के पुलिस वाले उनके सर्वोदय नगर आवास पर आए और उनके पुत्र पुलस्त को अपने साथ ले गए. इसके दूसरे दिन पता चला कि उसके पैर में गोली मार दी गई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
पुलिस का दावा मुठभेड़ के बाद किया गिरफ्तार
अर्जी पर बहस करते हुए मंजुला तिवारी की वकील का कहना था कि लखनऊ पुलिस ने दावा किया था कि आशियाना थाना क्षेत्र में देर रात हुई मुठभेड़ में 25 हजार के इनामी बदमाश पुलस्त तिवारी को गिरफ्तार किया गया है और उसके दाहिने पैर में गोली लगी है. जबकि पुलस्त के परिवार के मुताबिक उस शाम करीब साढ़े छह बजे दो पुलिस वाले उनके घर आए और उसे अपने साथ ले गए, जिसकी सीसीटीवी रिकॉर्डिंग भी हैं. उन्होंने कहा कि फर्जी मुठभेड़ पुलिस वालों के सरकारी काम का हिस्सा नहीं है. लिहाजा इस मामले में अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है.