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प्राधिकरणों में दाखिल-खारिज व फ्री होल्ड के निस्तारण को लेकर प्रमुख सचिव ने जताई नाराजगी - latest news in hindi

दाखिल-खारिज में भी एलडीए के 408 ऐसे मामले हैं जिसमें उसके निस्तारण की समय सीमा तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है. मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, रायबरेली तथा सहारनपुर प्राधिकरण में बेहतर काम हो रहा है. इन प्राधिकरणों में एक भी शिकायत नहीं है.

प्राधिकरणों में दाखिल खारिज व फ्री होल्ड के निस्तारण को लेकर प्रमुख सचिव ने जताई नाराजगी
प्राधिकरणों में दाखिल खारिज व फ्री होल्ड के निस्तारण को लेकर प्रमुख सचिव ने जताई नाराजगी
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Published : Aug 6, 2021, 10:47 PM IST

लखनऊ : दाखिल-खारिज तथा फ्री-होल्ड के आवेदनों के निस्तारण में विकास प्राधिकरण दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. कानपुर, गाजियाबाद, गोरखपुर की तुलना में एलडीए में सबसे ज्यादा मामले लंबित हैं.

इस संबंध में जनहित गारंटी पोर्टल पर लंबित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने नाराजगी जताई है. एलडीए अधिकारियों को लंबित प्रकरणों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं.

एलडीए समेत अन्य प्राधिकरणों में आवंटियों के दाखिल-खारिज व फ्री-होल्ड के आवेदनों का निस्तारण नहीं हो रहा है. इससे लोग प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं. सबसे खराब स्थिति लखनऊ विकास प्राधिकरण की है.

स्थिति यह है कि लोग दो-चार साल से दौड़ लगा रहे हैं. पूरा पैसा जमा होने के बाद भी फ्री होल्ड नहीं हो रहा है. एलडीए में फ्री होल्ड के लिए ऐसे 302 मामले लंबित पडे़ हैं. जनहित गारंटी के तहत निर्धारित समय सीमा भी खत्म हो चुकी है. एक महीने में जिस आवेदन का निस्तारण हो जाना चाहिए था, वह तीन साल से लंबित है.

यह भी पढ़ें : गांधी परिवार के नाम पर संस्थानों की लंबी है फेहरिस्त

इसी तरह दाखिल-खारिज में भी एलडीए के 408 ऐसे मामले हैं जिसमें उसके निस्तारण की समय सीमा तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है. मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, रायबरेली तथा सहारनपुर प्राधिकरण में बेहतर काम हो रहा है. इन प्राधिकरणों में एक भी शिकायत नहीं है.

दाखिल खारिज के लंबित प्रकरण

एलडीए में 408, कानपुर विकास प्राधिकरण में 206, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 202, गोरखपुर विकास प्राधिकरण में 172, वाराणसी विकास प्राधिकरण में 84.

फ्री होल्ड के लंबित मामले

एलडीए में 302, कानपुर विकास प्राधिकरण में 14, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 12, अलीगढ़ विकास प्राधिकरण में 11 तथा आगरा विकास प्राधिकरण में 10 मामले हैं.

आनलाइन रिफंड के लंबित मामले

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 361, कानपुर विकास प्राधिकरण में 322, मेरठ विकास प्राधिकरण में 288, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में 93 तथा लखनऊ विकास प्राधिकरण में 66 लंबित हैं.

लखनऊ : दाखिल-खारिज तथा फ्री-होल्ड के आवेदनों के निस्तारण में विकास प्राधिकरण दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. कानपुर, गाजियाबाद, गोरखपुर की तुलना में एलडीए में सबसे ज्यादा मामले लंबित हैं.

इस संबंध में जनहित गारंटी पोर्टल पर लंबित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने नाराजगी जताई है. एलडीए अधिकारियों को लंबित प्रकरणों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं.

एलडीए समेत अन्य प्राधिकरणों में आवंटियों के दाखिल-खारिज व फ्री-होल्ड के आवेदनों का निस्तारण नहीं हो रहा है. इससे लोग प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं. सबसे खराब स्थिति लखनऊ विकास प्राधिकरण की है.

स्थिति यह है कि लोग दो-चार साल से दौड़ लगा रहे हैं. पूरा पैसा जमा होने के बाद भी फ्री होल्ड नहीं हो रहा है. एलडीए में फ्री होल्ड के लिए ऐसे 302 मामले लंबित पडे़ हैं. जनहित गारंटी के तहत निर्धारित समय सीमा भी खत्म हो चुकी है. एक महीने में जिस आवेदन का निस्तारण हो जाना चाहिए था, वह तीन साल से लंबित है.

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इसी तरह दाखिल-खारिज में भी एलडीए के 408 ऐसे मामले हैं जिसमें उसके निस्तारण की समय सीमा तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है. मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, रायबरेली तथा सहारनपुर प्राधिकरण में बेहतर काम हो रहा है. इन प्राधिकरणों में एक भी शिकायत नहीं है.

दाखिल खारिज के लंबित प्रकरण

एलडीए में 408, कानपुर विकास प्राधिकरण में 206, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 202, गोरखपुर विकास प्राधिकरण में 172, वाराणसी विकास प्राधिकरण में 84.

फ्री होल्ड के लंबित मामले

एलडीए में 302, कानपुर विकास प्राधिकरण में 14, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 12, अलीगढ़ विकास प्राधिकरण में 11 तथा आगरा विकास प्राधिकरण में 10 मामले हैं.

आनलाइन रिफंड के लंबित मामले

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 361, कानपुर विकास प्राधिकरण में 322, मेरठ विकास प्राधिकरण में 288, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में 93 तथा लखनऊ विकास प्राधिकरण में 66 लंबित हैं.

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