लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती (69000 Teacher Recruitment) के 6800 चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर सोमवार को लखनऊ की सड़कों पर उतर गए. विधानभवन का घेराव करने निकले इन अभ्यर्थियों को परिवर्तन चौक पर ही रोक लिया गया. जहां जमकर घंटों नारेबाज़ी की गई. यह अभ्यर्थी विधान भवन तक जाना चाह रहे थे.
अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार उनकी मांग को अनसुना करने में लगी है. 5 जनवरी को चयनित सूची में शामिल किए जाने के बावजूद अभी तक नियुक्ति पत्र के लिए भटक रहे हैं. बता दें कि अभ्यर्थी बीते 67 दिनों से लखनऊ में धरना दे रहे थे. इनका आरोप है कि सरकार उनके साथ धोखा कर रही है. भर्ती प्रक्रिया पर कोर्ट की तरफ से किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई गई है. गेंद सरकार के पाले में है. उन्हें इसके संबंध में फैसला लेना है. बावजूद सरकार चुप्पी साधे बैठी है. बीते दिनों इस धरने में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद भी शामिल हुए थे. प्रदर्शनकारी अभी परिवर्तन चौक पर मौजूद हैं. वह किसी भी सूरत में पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018-19 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था. इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया, लेकिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई. अभ्यर्थियों का आरोप है कि आरक्षण लागू करने में धांधली की गई है. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी. इसको लेकर चयनित अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं.
अभ्यर्थियों ने कहा कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा. सरकार ने आरक्षण लागू करने में गड़बड़ी को माना और आचार संहिता लागू होने से पहले 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया. राज्य सरकार ने बीती 5 जनवरी को 6800 अभ्यर्थियों की एक अतिरिक्त सूची जारी की थी. इसे लेकर मामला फिर कोर्ट पहुंच गया है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ स्पष्ट कर दिया कि यह स्थिति सरकार ने उत्पन्न की है. आप चाहें तो कोर्ट के बाहर इस मामले का हल निकाल सकते हैं. कोर्ट के आदेश के बावजूद भी सरकार इस पूरे प्रकरण को लेकर खामोश बैठी है.
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