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प्रोफेसर विनीत कंसल को मिली AKTU के कुलपति पद की जिम्मेदारी - लखनऊ खबर

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति पद की जिम्मेदारी प्रोफेसर विनीत कंसल को सौंपी गई है. वह नए कुलपति की नियुक्ति होने अथवा अग्रिम आदेशों तक इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे.

प्रोफेसर विनीत कंसल को मिली कुलपति पद की जिम्मेदारी
प्रोफेसर विनीत कंसल को मिली कुलपति पद की जिम्मेदारी
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Published : Aug 9, 2021, 2:03 PM IST

लखनऊ: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति पद की जिम्मेदारी प्रोफेसर विनीत कंसल को सौंप दी गई है. वह नए कुलपति की नियुक्ति होने अथवा अग्रिम आदेशों तक इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे. वह वर्तमान में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का कार्यकाल पूरा होने पर यह जिम्मेदारी प्रोफेसर विनीत कंसल को सौंपी गई है. प्रोफेसर विनय पाठक ने यहां कुलपति पद के दो कार्यकाल (6 साल) सफलतापूर्वक पूरे किए.


बड़े बदलावों का दौर रहा
प्रोफेसर विनय पाठक वर्तमान में कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वह मूल रूप से कानपुर के ही रहने वाले हैं. उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में दो कार्यकाल यानी 6 साल तक कुलपति पद की जिम्मेदारी संभाली. इन 6 सालों में विश्वविद्यालय को बड़े बदलाव देखने को मिले.

विश्वविद्यालय के नाम में हुआ परिवर्तन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की वर्तमान पहचान प्रोफेसर विनय पाठक के कार्यकाल में ही मिली है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का देहांत जुलाई 2015 में हुआ था. प्रोफेसर विनय पाठक के प्रयासों से ही उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी को इस महान वैज्ञानिक का नाम दिया गया.


विश्व विद्यालय को मिला नवीन परिसर
विश्वविद्यालय के नवीन परिसर के निर्माण का कार्य काफी लंबे समय से चल रहा था. प्रोफेसर विनय पाठक ने जब पद संभाला तो इसके निर्माण कार्य को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा. उनके कार्यकाल में न केवल इस विश्वविद्यालय को अपना परिसर मिला बल्कि एक एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी ने अपने स्तर पर पाठ्यक्रमों का संचालन शुरू किया. नवीन परिसर में नैनो टेक्नोलॉजी से लेकर कई एडवांस तकनीकी पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए गए. उन्होंने अपने प्रयासों से प्रदेश में संचालित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों को अनुदान देने की व्यवस्था शुरू की.


निजी शिक्षण संस्थानों पर लगाई लगाम
एक समय में निजी शिक्षण संस्थानों का एकेटीयू पर कब्जा हुआ करता था. उनके हिसाब से विश्वविद्यालय की नीतियां बना करती थी. भ्रष्टाचार का माहौल था. लेकिन, प्रोफेसर विनय पाठक ने जिम्मेदारी संभालने के बाद इसमें बदलाव किया. छात्रों के पंजीकरण से लेकर परीक्षा में शामिल करने तक की व्यवस्था में तकनीकी के इस्तेमाल को बढ़ाया. नतीजा है कि यहां होने वाले फर्जी पंजीकरण से लेकर अन्य फर्जीवाड़ा पर रोक लगाई जा सकी है.

कर्मचारियों का विनियमितीकरण मील का पत्थर
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के डेढ़ सौ से ज्यादा कर्मचारियों का विनियमितीकरण प्रोफेसर पाठक के कार्यकाल का मील का पत्थर रहा है. यह कर्मचारी विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही विनियमितीकरण की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे थे. प्रोफेसर पाठक ने न केवल उनका विनियमितीकरण किया बल्कि इन्हें अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई.

लखनऊ: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति पद की जिम्मेदारी प्रोफेसर विनीत कंसल को सौंप दी गई है. वह नए कुलपति की नियुक्ति होने अथवा अग्रिम आदेशों तक इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे. वह वर्तमान में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का कार्यकाल पूरा होने पर यह जिम्मेदारी प्रोफेसर विनीत कंसल को सौंपी गई है. प्रोफेसर विनय पाठक ने यहां कुलपति पद के दो कार्यकाल (6 साल) सफलतापूर्वक पूरे किए.


बड़े बदलावों का दौर रहा
प्रोफेसर विनय पाठक वर्तमान में कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वह मूल रूप से कानपुर के ही रहने वाले हैं. उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में दो कार्यकाल यानी 6 साल तक कुलपति पद की जिम्मेदारी संभाली. इन 6 सालों में विश्वविद्यालय को बड़े बदलाव देखने को मिले.

विश्वविद्यालय के नाम में हुआ परिवर्तन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की वर्तमान पहचान प्रोफेसर विनय पाठक के कार्यकाल में ही मिली है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का देहांत जुलाई 2015 में हुआ था. प्रोफेसर विनय पाठक के प्रयासों से ही उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी को इस महान वैज्ञानिक का नाम दिया गया.


विश्व विद्यालय को मिला नवीन परिसर
विश्वविद्यालय के नवीन परिसर के निर्माण का कार्य काफी लंबे समय से चल रहा था. प्रोफेसर विनय पाठक ने जब पद संभाला तो इसके निर्माण कार्य को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा. उनके कार्यकाल में न केवल इस विश्वविद्यालय को अपना परिसर मिला बल्कि एक एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी ने अपने स्तर पर पाठ्यक्रमों का संचालन शुरू किया. नवीन परिसर में नैनो टेक्नोलॉजी से लेकर कई एडवांस तकनीकी पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए गए. उन्होंने अपने प्रयासों से प्रदेश में संचालित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों को अनुदान देने की व्यवस्था शुरू की.


निजी शिक्षण संस्थानों पर लगाई लगाम
एक समय में निजी शिक्षण संस्थानों का एकेटीयू पर कब्जा हुआ करता था. उनके हिसाब से विश्वविद्यालय की नीतियां बना करती थी. भ्रष्टाचार का माहौल था. लेकिन, प्रोफेसर विनय पाठक ने जिम्मेदारी संभालने के बाद इसमें बदलाव किया. छात्रों के पंजीकरण से लेकर परीक्षा में शामिल करने तक की व्यवस्था में तकनीकी के इस्तेमाल को बढ़ाया. नतीजा है कि यहां होने वाले फर्जी पंजीकरण से लेकर अन्य फर्जीवाड़ा पर रोक लगाई जा सकी है.

कर्मचारियों का विनियमितीकरण मील का पत्थर
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के डेढ़ सौ से ज्यादा कर्मचारियों का विनियमितीकरण प्रोफेसर पाठक के कार्यकाल का मील का पत्थर रहा है. यह कर्मचारी विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही विनियमितीकरण की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे थे. प्रोफेसर पाठक ने न केवल उनका विनियमितीकरण किया बल्कि इन्हें अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई.

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